भारत में पत्थर बाजी क्यों हो रही है , पैलेट गन क्यों चलाया जा रहा है , नेता क्यों बोल रहे है और क्यों किसी को वहां बसने का अधिकार नही है इसबात को लेकर पूरा देश चिंतित है और चाहता है कि एक बार जो होना है हो जाये और बार बार के बवाल से मुक्ति मिले। लेकिन सरकार का रूख इस मामले पर अभी भी साफ नही है और वह बात चीत से हल निकालना चाहती है । इस पूरे मामले पर अब उसे विचार करना चाहिये कि उसे क्या समझ में आता है । इस बात पर विचार करना चाहिये कि क्या कश्मीरी मुसलमान भारत में रहना चाहते है या फिर हमने उनपर अपना निर्णय 1947 की तरह थोप दिया है जो रहना चाहे उन्हें रखना चाहिये और जो नही रहना चाहते उन्हें पाकिस्तान का रास्ता दिखाये जाने की जरूरत है। क्योंकि देश अब आगे और गलत निर्णयों को झेलने के मूड में नही है।
अब भारत की गलतियों की बात करते है तो अब तक जो सरकार रही वह मुस्लिम का तुष्टिकरण करने में लगी रही, और हर कोशिश उन्हे लाभ पहुंचाने की रही ताकि वोट उन्हें मिलता रहे । दूसरी गलती यह कि भारत में पाक से आने वाले या जाने वाले सभी रास्ते ऐसी जगहों से हैं जहां दोनों तरफ सुन्नी मुसलमानों का कब्जा है जिसका खामियाजा हर बार हम भोगते हैं।तीसरा यह कि लेह के जो ग्यारह गांव पीओके में गये वहां से कोई रास्ता नही है जिसका सबसे ज्यादा लाभ भारत के उन 22 हजार परिवारो को मिलता जो कि पाक में रहते हैं। यहां न कोई बस की व्यवस्था है और नही कोई ट्रेन । यहां भारत को जोर देना चाहिये था जो नही दिया गया। हो सकता है कि पाक ने इस रास्ते को इसलिये नही खोला कि यह भारत से मिल जायेगें और वहां की संस्कृति यहां निर्वाध रूप से चलती रहेगी।भारत को अब सारे रास्ते बंद कर देना चाहिये क्योंकि सभी को खोलकर देख लिया अब इस रास्ते पर विचार करना चाहिये। जो उसने नही किया , हो सकता है कुछ नेता इस बात का विरोध करें लेकिन उनके लिये लोगों के हितों को तो नही रोका जा सकता।
भारत को सबसे ज्यादा विचार उसे पहले अपने अंदर के हालात पर करने की जरूरत है। आज कश्मीर में पथराव थम गया है क्यों थमा है इस पर विचार की जरूरत है, क्या मदरसों में मौलाना नही है या उलेमाओं से शून्य हो गया है कश्मीर , सभी है लेकिन सेना ने जुबान पर ताला लगा दिया है और बता दिया है कि यह इसी तरह से ठीक होगें इसके अलावा इसका कोई इलाज नही है। पैलेट गन का विरोध क्यों हुआ,क्या स्वार्थ है क्या लाभ मिल रहा है। इस पर विचार करने व लोगों को चिन्हित करने की जरूरत है । क्या पत्थर चलाने वाले व पैलेटगन का विरोध करने वाले पाकिस्तानी है इस पर विचार करने की जरूरत है। ऐसा नही है सरकार यह नही जानती लेकिन इन पर सख्ती क्यों नही करती, इसपर लोगों को एतराज है । वास्तव में देखा जाय तो पाकिस्तान वह नल है जो पूरे विश्व में आतंकवाद फैला रहा है और इस नल को बंद करने का एक ही इलाज है या तो सेना उस जगह जाकर बद करके आये या तो इसी तरह दो चार आदमी दोनों पक्षों के मरते रहें और आतंक पनपता रहे।हल तो करना होगा। इसका एक मात्र अंतिम उपाय यही है कि मिलिटी ही है क्योंकि वह न तो आदमी देखती है और न ही सरकार , उसे बस देश दिखता है और उससे विश्वासघात करने वाले देशद्रोही ।
इसके अलावा भारत को बार बार कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताने से परहेज करना चाहिये,पीओके कहने के बजाय उसे अपना अंग बताना चाहिये ।दोनों में गहन अंतर है जिसे समझने की जरूरत है। इसके साथ-साथ गिलगित , बाल्टिस्तान को भी जोड़ना चाहिये। यह उसे उसके अन्दरूनी हालात को समझने में मदद करेगा।दूसरी सबसे बडी बात यह कि भारत आज तक कश्मीर को बजट क्यों दे रहा है इस पर विचार की जरूरत है क्योंकि यही बजट कश्मीर समस्या की जननी है जिसे वहां की अब तक की सरकारें लूटती आयी है।वहां के संवैधानिक हालात पर विचार की जरूरत है क्यों कश्मीर वैली के कम वोटों पर विधायक चुने जाते है और बाकी पूरे प्रदेश में दूने वोटों से , कश्मीर वैली जो कि पूरे प्रदेश का सात प्रतिशत है वहां 47 सीटें और पीओके में 24 सीटें और बाकी जगहों की सीटें कम रखी गयी इस पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि यह भारत के अंदरूनी हालात पर प्रभाव डालती है।
भारत को पाकिस्तान से पूछना चाहिये कि उसे कश्मीर क्यों चाहिये , वहां की संस्कृति अच्छी लगती है , सभ्यता अच्छी लगती है , पहनावा अच्छा लगता है , लोगों के बोलचाल का तरीका अच्छा लगता है। क्या अच्छा लगता है जिसे वह आजादी देना चाहते हैं जो भारत नही दे रहा है या वहां के मुसलमान अच्छे लगते है जो उनकी जुबान में बोलते हैं । उनके दोगलेपन से जिनकी विचार धारा मिलती है वह अच्छे लगते हैं ।इसका जबाब वहां की सरकार के पास भले न हो लेकिन यहां के उन नेताओं के पास है जो पाक से पोषित हैं।