पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने जो कुछ कहा वह अक्षरश: सही है पाकिस्तान छद्म युद्ध तो कर सकता है लेकिन सामने से वह भारत से कभी नही लड सकता क्योंकि उसमें इतना साहस नही है। इसका मूल कारण उसकी आर्थिक स्थित व कर्ज से डूबे होने की स्थित और जनता का आक्रोश है। पाकिस्तानी विचारकों की माने तो इस समय जो पाकिस्तान की हालत है उसमें 73 अरब डालर का कर्ज उसके उपर है और आंकडों पर गौर किया जाय तो अकेले अंबानी ग्रुप ही पाकिस्तान को खरीदने की स्थित में है। हिना रब्बानी के अनुसार युद्ध न करने का दूसरा सबसे बडा कारण विश्व के देशों से अलग थलग पडना है। आतंकी पनाह क्षेत्र होने के कारण पहले अफगानिस्तान और बाद में ईरान उसका साथ छोडकर उसके दुश्मन देश भारत के साथ मिल गया। इसके अलावा सार्क देश भी उसके साथ नही है और चीन ने भी अपनी स्थित स्पष्ट नही की। यह सारी बातें देश की जनता समझ रही है और जान रही है कि भारत से यदि युद्ध हुआ तो क्या परिणाम होगें इसलिये पाक पीछे हट रहा है।
पाकिस्तान के रणनीतिकारों की माने तो पाकिस्तान ने एक गैस की पाइप लाइन बिछाने की बात ईरान से की थी और इस काम को लगभग दो दशक बीत गये किन्तु उस पर अमल नही कर सका।इस काम के बदले में पाकिस्तान के अंदर गैस के नाम पर पांच प्रतिशत कर अतिरिक्त वसूला जा रहा है। जिसे लेकर लोगों में रोष है। यह भी एक कारण है जो भारत के पक्ष में जाता है। इसी तरह भारत पाक जल समझौता को तोडने की बात हुई तो जनता चिंतित हो गयी । पाकिस्तान ने अब तक भारत से आने वाले पानी के लिये न तो कोई बांध कश्मीर वैली में बनाया और न ही कोई योजना अब तक बनायी है। रणनीतिकारों का मानना है कि भारत के पास इस पानी को रोकने के लिये कोई व्यवस्था नही है और वह मजबूरन पाक को दे रहा है लेकिन हर बार बाढ आने के बाद अब तक पाकिस्तान ने इस पर कोई काम नही किया है। इसका सद्पयोग नही किया है। हर बार जनता नाराज होती है लेकिन सरकार के कान पर जूं नही रेगती।यह भी भारत के पक्ष में जाता है। तीसरी सबसे बडी बात कि पाक रेडियो पाकिस्तान के साथ नही है । सरकार ने इसे गिरवी रखकर पैसे तो ले लिये किन्तु कर्मचारियों को वेतन नही मिल रहा है जिससे नाराजगी है । यह भी युद्ध होने की स्थित में भारत के साथ होगें।
आतंकी संरक्षण व अन्दरूनी हालात की बात करे तो रणनीति कार कहते है कि भारत को कई बात आंतकी गतिविधियो की सूचना पाक की तरफ से मुहैया करायी गयी ।लेकिन उसका जिक्र अन्र्तराष्टीय मंच पर उसके द्वारा नही किया गया । आतंकी के खिलाफ सरकार कारवाई कर रही है और पिछले कुछ अर्से से कुछ लोगों को निशाना बनाकर वैचारिक हमले किये जा रहे है यह गलत है ।उन लोगों का नाम लिया जा रहा है जिन्होने पिछले कई सालों से अपनी गतिविधियों को सीमित कर रखा है। कुछ एक मामले है जिसपर पाक ने कारवाई नही की लेकिन आज उसका खामियाजा वह खुद भुगत रहा है हाल की आतंकी घटनायें इस बात का प्रमाण है।उन्होने कहा कि पाक को विदेश नीति में बदलाव करना चाहिये और जिस तरह से भारत के प्रधानमंत्री व डोभाल को पाकिस्तान में बिना बीजा व अनुमति के आने पर जाने दिया गया उससे बचना चाहिये।पाकिस्तान के लिये सबसे खराब बात यह है कि अफगानिस्तान की सीमा सील नही है जिसके कारण हजारों लोग पाक आते है और जाते है । इन्ही में आतंकी भी है और अब जब की अफगान पूरी तरह से भारत के साथ है तो उसे कडा होना चाहिये। नही ऐसी चोटें तो मिलती रहेगी।
हिना रब्बानी की माने तो सबसे बडी बात यह कि इस्लाम के खिलाफ पूरी दुनिया एक हो रही है और जिस तरह का माहौल है उससे किसी इस्लामिक देश को समर्थन मिले यह कहना मुश्किल सा है इसलिये पाकिस्तान को अपनी नीति में बदलाव करते हुए लोकतंत्र की स्थापना पर बल देना चाहिये । यदि ऐसा नही हुआ तो आने वाली आंधी में पाक का आस्तिव खत्म होना तय है। उसके आस्तिव को मिटाने के लिये भारत की जरूरत नही है उसका इस्लामिक करण ही काफी है।
Good one sir… Very much in agreement with your views…
Thanks..