भाजपा शासन के लगभग ढाई वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस कालखण्ड में देश की जनता ने सरकार की प्रतिबद्धता और विपक्ष की उद्दण्डता दोनों को ही चरम पर देखा। सत्तासीन होते ही सरकार ने भ्रष्टाचार समाप्त करने के प्रति जो गम्भीरता दिखाई उसकी परिणति वर्ष 2016 के अन्तिम महीनों से प्रारम्भ हुई और 2017 के आगमन पर समाप्त हुई। नोटबन्दी जैसा कठोर निर्णय लेने से पूर्व इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया और उस चिन्तन के अनुरूप ही परिणाम दिखाई देते गये। सबसे उत्तम कार्य तो यह था कि प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वयं इन सबके पृष्ठ भाग में उपस्थित रहे और प्रत्येक क्रियाकलापों की उसी प्रकार निगरानी करते रहे जिस प्रकार युद्धकाल में देश के उत्तरदायी प्रमुख करते हैं। सरकार को आभास था कि विपक्ष निरन्तर इस सत्कार्य में किसी न किसी रूप में व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास करेगा, जनता को भ्रमित करने का प्रयास करेगा और नियमों तथा विनियमों में छिद्रान्वेषण करके उसका कुत्सित लाभ उठाने में लिप्त रहेगा। अनेक क्षुद्र मानसिकता के लोग तथा भ्रष्टाचार को जीवन का आदर्श मानने वाले बड़े-बड़े श्वेतवसनधारियों ने किस प्रकार भ्रष्टाचार के मूल अर्थात कालेधन को सुरक्षित करने के अनेकानेक प्रयास किये वे सब एक-एक करके प्रकाश में आते जा रहे हैं। और यही कारण है कि नोटबन्दी की 50 दिनों की निर्धारित अवधि में भ्रष्टाचारियों ने जिन-जिन नये मार्गों का अनुसन्धान किया, सरकार ने उन मार्गों को अवरुद्ध करने के लिए 126 बार नियमों में बदलाव किये। यह सरकार की निर्णय लेने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न नहीं है बल्कि सरकार की निरन्तर जागरूकता और सक्रियता का प्रतिफल है। अपराधियों ने अपने बचने के जिन मार्गों का आविष्कार किया, सरकार ने अति सक्रियता दिखाते हुए उन्हें बाधित किया और ईमानदार जनता को बचाने का सतत प्रयत्न किया। नोटबन्दी की समापन अवधि के पश्चात धीरे-धीरे सम्पूर्ण प्रक्रिया की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा और जिन लोगों ने अपने प्रभाव के बल से भ्रष्टाचार के इस अभियान को दुर्बल करने का प्रयत्न किया उनकी भी पहचान करने का अवसर प्राप्त होगा। अभी तक केवल भारी-भरकम राशियों की हेराफेरी करने वालों को शिकंजे में लिया गया है, अब उन लोगों पर भी दृष्टि डालने का उपक्रम किया जायेगा जिन्होंने अवैध ढंग से लघु राशियों को नियोजित करने के लिए वृहत्तर प्रयास किये। जिस प्रकार विपक्ष ने पूरा सत्र जीएसटी लागू करने में समाप्त कर दिया था, उसी प्रकार विपक्ष ने एक पूरा सत्र मात्र भ्रष्टाचार को समर्थन देने में नष्ट कर दिया। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में मानसिक रूप से परेशान और उद्वेलित केवल विपक्ष रहा जबकि जिस जनता की आड़ में वे अपनी व्यक्तिगत व्यथा और पीड़ा से मुक्ति का मार्ग का ढूंढ रहे थे, वही जनता उत्साह से परिपूर्ण एक नये और सुखद भविष्य के लिए पंक्तियों में जूझती रही। 31 दिसम्बर, 2016 का दिन भ्रष्टाचार के इस वृहत अभियान का अन्तिम दिन है। 1 जनवरी, 2017 का सूर्य एक नये युग का सूत्रपात करने के लिए अपने समस्त तेज और शौर्य के साथ उद्यत है। इसके प्रभाव और परिणाम का समय हमारे सामने आने वाला है। और मुझे पुनः विश्वास है कि विपक्ष इसकी सफलता के सत्य को स्वीकार नहीं कर पायेगा किन्तु देश के निवासी निश्चित रूप से एक नये युग में प्रवेश करने जा रहे हैं। हमारे देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है इसकी पुष्टि होने वाली है जिसे केवल कागज के पन्नों पर ही नहीं बल्कि देश की जनता के प्रसन्नचित्त मुखमण्डल पर स्पष्टतः प्रतिबिम्बित होगा। देश में धन के केन्द्रीकरण के पश्चात उसके सुविचारित वितरण पर विचार-विमर्श किया जायेगा। निश्चय ही इस वितरण में देश के निर्बल वर्गों, कृषकों, पिछड़ों तथा अन्य ऐसे समस्त वर्गों के हितों को ध्यान में रखा जायेगा जो गत 70 वर्षों में समाज की प्रमुख धारा में जुड़ने से वंचित रह गये थे। जिन देशवासियों ने प्रधानमन्त्री के इस अभूतपूर्व निर्णय के पक्ष में कष्ट सहे हैं उन्हें कदापि निराश नहीं होना पड़ेगा। 1 दिसम्बर, 2017 का प्रातः विगत की गहनतम कालिमा को तिरोहित करके अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ देश को समृद्धि पथ पर आगे ले जाने के लिए अपना प्रथम चरण बाहर की ओर निकाल चुकेगा।
अपने समस्त देशवासियों की धैर्यक्षमता तथा भ्रष्टाचारमुक्त समाज के निर्माण में सरकार का साथ देने के लिए उनका अभिनन्दन करता हूँ और आशा करता हूं कि अब वे क्रमशः शोषण और भ्रष्टाचार की छाया से दूर होते जायेंगे और आने वाले दिन अच्छे ही बनते जायेंगे।