शहीद को लेकर के एक कमेटी गठित

सरकार ने कहा कि वह इस बात पर विचार कर रही है कि शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच पेंशन को बांट दिया जाए।रक्षा राज्यमंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि माता-पिता और पत्नी के बीच फैमिली पेंशन बांटने का प्रस्ताव मिला है, जिस पर विचार किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पता चला है कि सेना ने भी इस विषय पर रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है. उन्होंने बताया कि शहीद सैनिकों के माता-पिता ने आर्थिक मदद के लिए कानून में संशोधन की मांग की है।बता दें नियमों के मुताबिक, ग्रेच्युटी, प्रॉविडेंट

फंड, बीमा और एक्स ग्रेशिया की रकम शहीद जवान के नॉमिनेशन या वसीयत के हिसाब से दी जाती है. लेकिन विवाहित होने की स्थिति में शहीद की पत्नी को पेंशन की रकम दी जाती है और अविवाहित शहीद के माता-पिता को पेंशन की रकम दी जाती है।

शहीद जवानों की पत्नी या माता-पिता में पेंशन का अधिकार किसे मिले यह मुद्दा अभी चर्चा में बना हुआ है। पिछले कुछ वक्त में कई शहीद जवानों के परिवारों से ये शिकायतें आईं कि शहीद के पेंशन सहित कई सुविधाएं पत्नी को मिल जाने के बाद माता-पिता बगैर किसी सहारे के हो जाते हैं। इसके अलावा कई मामलों में पत्नियों के साथ भी अभद्रता, घर से निकाले जाने की शिकायत या जबरन घर में ही दूसरी शादी के दबाव जैसी बातें सामने आई हैं।

इन मामलों में पहले से अंतहीन दर्द झेल रहे माता-पिता या फिर पत्नी के लिए भावनामक सहारे के अलावा आर्थिक सहारे की जरूरत भी होती है, इस वजह से ही हालिया वक्त ने इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान खींचा लेकिन यह जरूरी मामले थे कि पर अभी तक कुछ चर्चा नहीं हुई थी। समय निकलता गया और नियमों के तहत जिन माता-पिता को लाभ नहीं मिला था उन पर अब चर्चा हो सकती है। एक मूल्यांकन हो सकता है जो कि यह तय करेगा कि किसको क्या मिलना चाहिए और किसको नहीं।

फिलहाल मामला गंभीर है इसलिए सरकार इस पर कोई जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहती। इतना जरूर चाहती है कि पत्नी और माता-पिता का विवाद आसानी से सुलझ जाए। जल्द ही एक समिति बनाई जाएगी जो इन दोनों मामलों पर निर्णय लेगी।

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