संजय जोशी
रिलायंस जीओ के संचालन को लेकर अमेरिका दहशतजदा है और उसे अपने वर्चस्व को लेकर खतरा मडराने लगा है। पहले फ्री कनेक्शन , इंटरनेट व काल की शुरूआत कर जीओ ने जहां कई लाख करोड़ का खेल खेला और वह भी बिना किसी आमद के उससे उसके होश पुख्ता हो गये। इस काम से एक ओर जहां विदेशी कम्पनियों की भारत में हालत खराब हो गयी । वहीं अब उसे यह डर सताने लगा है कि अगर गूगल की ही तर्ज पर जीओ खड़ा हो गया तो विश्व से उसके आधिपत्य का खेल वापसी की ओर चला जायेगा। जो बहुत मुमकिन है।इससे बड़ी बात यह है कि जो कागजात गूगल के मार्फत अमेरिका जाता था, वह खत्म हो जायेगा।
जीओ की बात करें तो भारत में यह एक ऐसा खेल है जिसे बड़ी ही चतुराई के साथ शुरू किया गया हैं। फ्री चीजें देकर पहले तो विदेशी कम्पनियों के बाजार को खत्म किया जा रहा है जिसमें साठ प्रतिशत सफलता मिल गयी है और चालीस प्रतिशत के लिये उसने टूजी, र्थीजी फोनों के लिये नये सिम को लांच किया गया है जिससे उनके महीने का बजट मात्र डेढ सौ रुपये आ गया हैं । पोर्ट की स्थित यह है कि आये दिन लाखों की संख्या में जियो में पोर्ट हो रहें है जिससे इस व्यवसाय से जुडी कम्पनियों के लिये दिक्कत खडी हो गयी है। उन्हें अब नोटबंदी के बाद यह डर सताने लगा है कि मनमाने ढंग से की जा रही वसूली अब खत्म करनी पडेगी या तो जियो से बेहतर रेट पर चलना होगा या बोरिया बिस्तर बंद कर भागना होगा।दूसरी बड़ी बात यह है कि कर्मचारियों का उत्पीडन रोकना होगा नही तो वह काम छोड़कर चले गये तो मुसीबत हो जायेगी। अपने देश से वर्कर लाना उनके लिये संभव नही है।
दूसरी बात यह है कि JIO Money ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है और वह एक ऐसा आधार बनने जा रहा है जिससे मनुष्य को उसके जरूरत की हर चीज मिल सकती है जो अन्य टेलीकाम कंपनियों के लिये संभव नही है । एअरटेल ने कुछ हद तक सफलता पायी है लेकिन अब वह भी अपने पैर पीछे इसलिये खींचने लगी है कि बीएसएनएल व जिओ के रेट पर उसे स्थापित प्राप्त करना असंभव सा है। इसका एक कारण यह भी है कि एक ओर जहां पैसे का अकूत भंडार है वहीं दूसरी तरफ सरकार साथ खडी है । वैसे भी रोमिंग फ्री की दुकानदारी ने सभी टेलीकाम कंपनियो की कमर तोड रखी है। TRAI के नियम भी सख्त हो चले है।इसके अलावा मोदी जैसा ही आदमी अगर बीएसएनएल में आ गया तो कमाई अरबों में जा सकती है।
अभी हाल में ही JIO ने समाचार लांच किया है जिसमें वह अपने कर्मचारी को 25000 रुपये तक देने की बात कही हैं इससे गूगल समाचार के वर्चस्व को नुकसान होगा । देश में इसकी पकड़ होगी । इसके अलावा देश के भीतर ही फोटो ,फीचर व लेखों को लेकर नयी साइटें लांच हो रही है जो कि बिल्कुल फ्री है। एंटीवाइरस व अन्य मोबाइल साफटवेयर जो कि भारत के अपने है वह फ्री है जिसका लोग उपयोग कर रहें है।और बडे पैमाने पर हो रहा हैं।यदि कैशलेस व्यवस्था लागू हुई तो आने वाले समय में यही भारतीय कंपनियों का वर्चस्व होगा । यही के ऐप चलेगें। मुख्य बात यह है कि इस व्यवस्था में हमारा अपना दखल होगा दूसरों का दखल खत्म होगा।अभी इस मामले पर विदेशी कंपनियों का राज है।
अब सवाल यह है कि इतना सबकुछ करने के लिये पैसा कहां से आयेगा। तो यहां बता देना उचित होगा कि इन कंपनियों को काफी लाभ होगा।भारत एक बडा इंटरनेट बाजार है और गूगल की 40 फीसदी आय यही से होती है। अगर भारत की ये कंपनिया उसके बाजार को कम कर लेती है तो आने वाले विज्ञापन से ही इतनी आय होगी कि फ्री में चलने के बाद करोडो बचेगें।देश सुरक्षित व मालामाल होगा।प्रधानमंत्री की यह सोच अभी लोगों के जेहन तक नही पहुँच पायी है लेकिन जो नेता आज रिलांयस जीओ के विरोध में बोल रहे है वह देखेगें कि अपना इंटरनेट , अपनी खबर , अपनी फोटो , अपने ब्लाग व अपने दोस्तों से शेयर करने के लिये भारत का अपना पेज होगा। जिस पर वह अपने आप को सुरक्षित कर रख सकेगें।देश सुरक्षित होगा और यह सरकार के दूसरे कार्यकाल में नही बल्कि इसी कार्यकाल में होगा। लोग महसूस करने लगे हैं कि वक्त तेजी से बदल रहा है। अब उन्हें भी बदलने की जरूरत है।
Jay hind shaheb