अजान से गैर मुस्लिम धर्मियों के धार्मिक भावना को ठेस

अजान में ‘ अल्लाह हो अकबर ’ कहने से गैर मुस्लिम धर्मियों के धार्मिक भावना को ठेस पहुचती है और आइपीसी की धारा १५३, १५३ अ, २९५ अ के तहत मुक़दमा हो सकता है, जो की भारत के सहिष्णु गैर मुस्लिम नागरिकों ने अब तक तो नहीं किया है, लेकिन मुस्लिम धार्मिक उन्माद चलता रहा तो पीड़ितों द्वारा ऐसे मुक़दमे हो सकते है’। अजान मुस्लिमों के लिए होती है और हर मुस्लिम ‘अल्लाह हू अकबर यानि अल्लाह ही सबसे बड़ा/महान है’ यह बात (उनका धार्मिक विश्वास/सच) पहले से ही जानता है तो क्या ऐसा -’रोज पांच बार मुस्लिमों साथ अन्य धर्मियों को भी ऊँची आवाज में सुनाने की यह कृति (हरकत)’- जानबुझकर गैर मुस्लिमों को उकसाने जैसा  नहीं है? कोर्ट को इसका संज्ञान सुओ मोटो लेना ही होगा और हर दिन पाच बार गैरमुस्लिमों की भावनाओं को आहत करना रोकना होगा। ऊँची आवाज में दी जानेवाली अजान में ‘अल्लाह हू अकबर’ इन शब्दों का होना संविधान के विरुद्ध तो है ही, साथ में वह आईपीसी धारा १५३, १५३ अ और २९५ अ का खुलेआम उल्लंघन है इसपर अब तक किसीने आपत्ति नहीं की इसका मतलब यह बिलकुल नहीं की अजान क़ानूनी तौर पर जायज हो गयी है इसपर कोर्ट में याचिका बन सकती है और अजान से यह शब्द हटाने की मांग की जा सकती है या फिर अजान लाउडस्पीकर पर ना देनेका आदेश हो सकता है भारत में आंबेडकर द्वारा दिया हुआ संविधान ही सर्वाेच्च किताब है मुस्लिम समाज संविधान और कानून की अनदेखी करता है यह गलत है।  
जब लाऊडस्पीकर नहीं थे तब भी अजान कम आवाज में होती थी यह बात समझकर और अन्य धर्मियों की भावनाओं का आदर करते हुए मुस्लिम समुदाय को स्वयम ही लाऊडस्पीकर हटाने चाहिए या फिर अजान से ‘अल्लाह हू अकबर’ शब्द हटाने चाहिए हर गैर मुस्लिम अब अच्छे और सच्चे और देशप्रेमी मुस्लिम से यह उम्मीद रखता है और इसपर मुस्लिम स्वयं ही पहल करे तो देश के हित में बड़ी बात होगी। आप अपने प्रार्थनास्थल में अपने खुदा की इबादत/पूजा जरूर करे, उसके गुण गाए इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं है संविधान यह अधिकार हर नागरिक को देता है, पर भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में क्या इस तरह से लाउडस्पीकर पर ऊँची आवाज में ‘अल्लाह ही सबसे बड़ा/महान है’ ऐसा खुले आम कहकर दूसरे धर्मों के मानने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचायी जा सकती है?

 एक सेकुलर देश में क्या कोई यह कैसे कह सकता है कि अल्लाह ही सबसे बड़ा/महान है? देश जिनके संविधान से चलता है वह आंबेडकर जी महान नहीं है? अहिंसा का मार्ग दिखानेवाले बुद्ध और महावीर महान नहीं है? क्या श्रीकृष्ण और नानक देव जी महान नहीं है?मुस्लिम यह नहीं समझते है की वे अपनी इबादत अपने प्रार्थनास्थल तक ही सिमित रखे तो सही होगा, खुले आम चिल्लाकर अन्य धर्मियों की भावना को ठेस पहचाना गलत है।बौद्ध बुद्ध ही सबसे महान है ऐसे कभी चिल्लाते नहीं इसाई जीजस या येहोवा ही सबसे महान ऐसे खुले आम चिल्लाते नहीं है सारे गैर मुस्लिम समाज अपने घर या प्रार्थना स्थल के दायरे में और दूसरों को परेशान किये बिना अपने इश्वर की महानता कहते है, गुणगान करते है साथ में गई मुस्लिम अन्य धर्मियों के इश्वर को भी महान मानते है हर धर्म के लोग अपने इश्वर को सबसे महान मानते है इसमें गलत कुछ नहीं वह श्रद्धा की बात है पर केवल मुस्लिम ही अपने इश्वर की महानता चिल्लाकर देश के धार्मिक सौहार्द को हर दिन ठेस पहुचाते है वे लाऊडस्पीकर लगाकर यह बात करते है और वह गलत है। 
देखा जाये तो बौद्धों के लिए बुद्ध और आंबेडकर जी महान है, ईसाईयों के लिए जीजस और येवोहा महान है, सिखों के लिए सारे गुरु और गुरु ग्रंथसाहिब महान है, हिन्दुओं के लिए भगवान् के अलग अलग रूप महान है, जैनों के लिए उनके २४ तीर्थंकर महान है। मतलब यह की हर धर्म में कोई न कोई महान है हर भारतीय के लिए संविधान निर्माता आंबेडकर जी महान है उनसे ही तो हमारा देश चलता है तो केवल अल्लाह ही महान है यह लाऊडस्पीकर पर खुलेआम चिल्लाकर कहना सभी गैर मुस्लिमों की भावनाए आहत करता है ।अगर मुस्लिम बिना लाऊडस्पीकर के ऐसे कहे तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि आवाज ज्यादा दूर नहीं जाएगी। लाऊडस्पीकर से पहले से ही इस्लाम और उसकी अजान थे इसलिए अजान बिना लाऊडस्पीकर से भी हो सकती है ।लाऊडस्पीकर पर ही केवल अल्लाह ही महान है ऐसे चिल्लाना हर गैर मुस्लिम की भावनाए आहत करता है और इसलिए ऐसे मस्जिदों के ट्रस्टी पर मुकादमा बनता भी है और सजा भी हो सकती है।  
संविधान यह कहता है की आप अपने धर्म का पालन जरुर करे पर अन्य धर्मियों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाये बिना यह काम करो, धर्म तो निजी श्रद्धा की बात है और उसका निर्वाह संयमित तरीके से अपने घर या प्रार्थनास्थल तक सिमित होना चाहिए, लेकिन ’हर एक दिन पांच बार होनेवाली नमाज से पहले खुलेआम जोर से आवाज देकर ‘अल्लाह सबसे बड़ा/महान है’ यह कहकर अन्य सारे धर्मियों की भावना को ठेस लगायी जाती है’ ऐसा खुलेआम कहने से गैरमुस्लिम धर्मों के लोगों के देवता और महापुरुषों का अपमान भी होता है।अगर मुस्लिम ‘अल्लाह सबसे बड़ा/महान है’ यह बात अपने घर में या प्रार्थनास्थल में या इनके धार्मिक सत्संग में कहेंगे तो ठीक है; पर उनके द्वारा खुलेआम चिल्लाकर ऐसी बात कहना संविधान के विरुद्ध तो है ही, साथ में वह आईपीसी धारा १५३, १५३ अ और २९५ अ का खुलेआम उल्लंघन है इस बात पर अब तक किसीने आपत्ति नहीं की इसका मतलब यह बिलकुल नहीं की अजान क़ानूनी तौर पर जायज है इसपर कोर्ट में याचिका बन सकती है और अजान से यह शब्द हटाने की मांग की जा सकती है या फिर अजान लाउडस्पीकर पर ना देनेका आदेश हो सकता है जब लाऊडस्पीकर नहीं थे तब भी अजान कम आवाज में होती थी यह बात समझकर और अन्य धर्मियों की भावनाओं का आदर करते हुए मुस्लिम समुदाय को स्वयम ही लाऊडस्पीकर हटाने चाहिए या फिर अजान से ‘अल्लाह हू अकबर’ शब्द हटाने चाहिए हर गैर मुस्लिम अब अच्छे और सच्चे मुस्लिम से यह उम्मीद रखता है और इसपर मुस्लिम स्वयं ही पहल करे तो देश के हित में बड़ी बात होगी।

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