भारत में कई नये स्वर्ग का आगाज आने वाले दिनों में होने वाला है और वह कश्मीर की तुलना में काफी सस्ता व प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ वास्तु से भी पूर्ण होगा।पूरातत्व विभाग की माने तो यहां जो चीजे उपलब्ध है वह शास्वत व निगाहों को शीतलता प्रदान करने वाली होगी। कुछ ऐसे क्षेत्र जिसको अब आतंक का पर्याय कहा जाता था वहां शांति बहाली हो चुकी है जैसे असम ,पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग और जिन क्षेत्रों में रहने की बात रोहिग्या मुसलमानों की जा रही है उसे वहां से मुक्त किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को और आने जाने वाले लोगो केा कोई कष्ट न हो ,वहां के लोगांे को सकूं की जिन्द्रगी मिले ।आने वाले दिनों में यह सभी जगह कश्मीर की तरह ही होगा।
सरकार की बात करे तो अबतक की सरकारों ने इस क्षेत्र को आम नागरिको से दूर रखा था और अब जब एनडीए की मोदी सरकार है तो इसे प्रथम सूची में वरीयता के आधार पर विकास का जामा पहनाया जा रहा है। पूरे पूर्वोत्तर राज्यों मे सडको का जाल बिछाया जा रहा है जिससे पर्यटक सडक मार्ग से भी यात्रा करते हुए प्रकृति का आनंद ले सके। खाई व गुफाओं के साथ साथ कलकल करती नदियों के किनारे अपने वाहन से आंनद ले सके। इस कडी में अब तक एक हजार किलोमीटर तक सडको का निर्माण हो चुका है और आठ हजार किलोमीटर तक बनाने का और लक्ष्य है। भारतमाला के नाम से शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट आने वाले दिनों में पूर्वाेत्तर राज्यों केा नयी उंचाई पर ले जायेगा और इस क्षेत्र में पर्यटन केा बढावा देगा।
इसके अलावा अंडमान निकोबार ,जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश केा भी विकसित किया जा रहा है पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पर विशेष नजर रखी गयी है।यहां हलाकि कुछ विकास हुआ है निचले पायदान से नही शुरू करना पडा है लेकिन जिस तरह से विकास को गति दी गयी है उससे लगता है कि देश प्रगति कर रहा है और आगे चलकर यह एक अच्छी आमदनी का स्रोत बनेगा। क्षेत्र के लोग भी आम चलन में आयेगें और देश की रफतार से जुडेगें। इसके अलावा जिस तरह से पूरे पहाडी क्षेत्र को भारतमाला से जोडा जा रहा है उसी तरह से धार्मिक स्थल ,पर्यटन स्थल व प्राकृतिक सौन्दर्य वाले क्षेत्रों को जोडा जा रहा है वहीं कोशिश हो रही है कि पुरानी परम्परा को बढावा दिया जा जाय और नये संसाघनों से बचा जाय।
सरकार की कोशिश है कि जो लोग बिमारी की वजह से ग्लेशियर नही देख पाते है वह अपने वाहन से जाकर देख सके और अपने जीवन का आनंद ले सके। बद्रीनाथ में यह सुविधा है इसी तर्ज पर देश के सभी ग्लेशियर तक मार्ग बनाने का लक्ष्य रखा जा रहा है। अब तक देश में 96 हजार किलोमीटर सडक थी । एनडीए सरकार ने बहुत कम समय में डेढलाख किलोमीटर तक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और आने वाले समय में 2019 तक दो लाख किलोमीटर तक बनाने का लक्ष्य है।जिस रफतारसे काम चल रहा है उसे देखकर यह लगता है कि सरकार यह लक्ष्य जरूर प्राप्त कर लेगी।
लोगों केा लगता है कि देश में श्री मोदीजी के नेतृत्ववाली सरकार कुछ नही कर रही है लेकिन जब आप पूर्वोत्तर को देखते है तो काफी देखने को नजर आता है। पूरे क्षेत्रों में सडकों का ऐसा जाल बिछा है जिसे अबतक यूपीए सरकार ने विकास से दूर कर रखा था। सिक्किम में पूरी सडकों को बना दिया गया हैं अरूणाचल प्रदेश में 70फीसदी काम हो चुका है और अन्य राज्य असम ,मेधालय व पश्चिम बंगाल के क्षेत्र को भी मुख्य मार्ग से जोडा जा रहा है। जिसमें 60 फीसदी काम लगभग पूरा हो गया है । 2019 तक यह काम लगभग पूरा हो जायेगा।