केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की वापसी 2019 में तय है


आज की ताज़ा हालत देखें तो २०१९ में पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन करने जा रहे हैं , क्योंकि पूरे कार्यकाल में काम तो बहुत ज़्यादा हुआ है। सिर्फ़ एक काम बाक़ी है जो गेम चेंजर की तरह काम करेगा।अकेले पूरे देश में ५० सीट तो उसी से बढ़ने वाली है।बस वह अगले महीनों में मुक़ाम तक पहुँच जाए, तो नामदार बनाम कामदार की लड़ाई निर्णायक मुक़ाम तक पहुँच जाएगी।

अब काम के अतिरिक्त जो चुनावी राजनीति के प्रमुख तत्व व कारक हैं उनको साधकर अपना लक्ष्य पाने के काम में तो अपने अध्यक्ष जी बेजोड़ अद्भुत और नीतिज्ञ हैं ही-तो यह हमारी अलग ताक़त है।

इसलिए मेरा यह साफ़ तौर पर मानना है जोकि ज़मीन पर दिख भी रहा है वह यह कि इस बार हमारी असल लड़ाई मुख्य शहरों  इलाक़ों में ही नही ग्रामीण दूर दराज़ के इलाक़ों पूर्वोत्तर पश्चिमोत्तर और दक्षिण में होने जा रही है।

जहां तक बात है तो  विरोधियों का फ़ोकस उत्तर भारत पर है ज़हाँ हम हमेशा मज़बूत रहे हैं आज भी हैं ।हमारा फ़ोकस पुरे देश पर है और पुरे समाज व नागरिकों पर है।

पहली बार हमारे साथ देश के हर कोने का वोटर खड़ा है।पहली बार हमारे साथ हर समुदाय का वोटर खड़ा है।पहली बार हमारे साथ हर जाति सम्प्रदाय और वर्ग का वोटर जुड़ चुका है और इसलिए पहली बार हम अपने दम पर देश के हर इलाक़े में जीत दर्ज करते हए ३०० सीटों के साथ वापसी करने जा रहे हैं।                                            इसमें भर  भी संदेह नहीं है।जिन्हें अभी भी संशय हो वह -जनधन योजना,उज्ज्वला ,प्रधानमंत्री आवास-सस्ते घर एवं इज़्ज़तघर अभियान,सड़क एवं राजमार्ग निर्माण, आयुषमान भारत.. इन पाँच योजनाओं का फ़ीडबैक लेकर आए और फिर बहस करे।अब रह गयी बात वही दो…बल्कि एक ही !

कोर इशूज की तो कश्मीर और पाकिस्तान पर हम भारी हैं।छद्म धर्मनिरपेक्षता पूरी तरह से ख़ारिज व सेकूलर वे हाशिए पर हैं।

शाहबानो से ही ठप पड़ चुके सामाजिक सुधारों का बेहतरीन दौर इस सरकार के कार्यकाल में बहुत आगे बढ़ा है।रक्षा,बैंकिंग,कृषि,क्षेत्र में तो ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न हुए हैं।

भारतीय सभ्यता व संस्कृति को मज़बूत करने में सरकार ने हर अवसर का उपयोग किया है।

आंतरिक अशांति और उग्रवादियों की तो कमर ही टूट गयी है।

युपीए दौर में तेज़ी से बढ़ रहे आतंकी जिहादवाद पर तथा सीमा पार से संचालित आतंकी घटनाओं पर पूरी रोक लगाने में हम सफल हुए हैं।इसलिए सरकार व शासन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें यह सरकार जंग हटाने व  सुधारने का प्रयत्न की हो। इसके बावजूद इस सरकार की कई बड़ी व देश बदलने वाली परियोजनाएँ २०२२   तक चलने व पूर्ण होने वाली हैं।देश के अधिकांश शहरों में आधारभूत मूल आवश्यकताओं का ढाँचा भविष्य को देखते हुए निर्मित हो रहा है।सड़क से हवाई परिवहन तक में बड़े कार्य हुए।स्वर्णिमचतुर्भुज की तरह इन्द्रधनुशी हवायी यात्रा का परिवहन मार्ग तैयार किया जा रहा है।

सही मायने में यदि देखा जाए तो चुनाव से हटकर भी कोई भी तटस्थ समीक्षक यह निश्चित कहेगा कि यह सरकार अपने नारे के मूल मोटो- सबका साथ सबका विकास को चरितार्थ करने में पुरी शिद्दत से लगी रही है।इसलिए सब तरफ़ से सबकी आशा व सबकी आकांक्षा के केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व की यह सरकार ही है,जिस पर नए भारत के निर्माण और दुनिया में परचम फैलाने का भरोसा दिखाने को देश तैयार खड़ा है।बाक़ी पूरा विपक्ष अपनी क्रेडिट और मेरिट खो चुका है। सिर्फ़ अंधविरोध और अराजकता को आगे बढ़ाने में लगा है। इसीलिए उसका ख़ारिजा तय है।

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