देश के विभिन्न हिस्सों में नए ‘हिट एंड रन’ कानून के विरोध में बस, ट्रक व कैब ड्राइवर हड़ताल कर रहे हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा व पंजाब सहित कई राज्यों में हो रही हड़ताल का असर अब सामान्य जनजीवन पर पड़ने लगा है। पंपों पर वाहनों की भारी भीड़ लगी है। अगर ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल खत्म नहीं हुई, तो बाजार में रोजमर्रा की वस्तुओं की कमी हो जाएगी। केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस मामले में बड़ा अपडेट दिया है,उसने कहा है कि फिलहाल यह कानून अभी प्रभाव में नहीं आएगा।
गौरतलब हो कि नए कानून के तहत हिट एंड रन के आरोपी को दस साल की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।इसके विरोध में ट्रक व बस ड्राइवर हड़ताल पर हैं। केंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया, हिट एंड रन के मामले में ट्रक, बस या किसी अन्य वाहन का चालक अगर घटनास्थल से कुछ दूर जाकर पुलिस को सूचित करता है, घायल व्यक्ति की जानकारी देता है और खुद की पहचान के बारे में पुलिस को स्पष्ट तौर पर बता देता है, तो उसके खिलाफ उक्त सख्त कानून लागू नहीं होगा। उसे पुलिस को यह आश्वासन देना होगा कि उसे जहां भी, जब भी इस मामले में बुलाया जाएगा, वह आएगा। विचारको का कहना है कि कोई भी आदमी जानबूझकर के एक्सीडेंट नहीं करता इसलिए यह सजा उसके लिए बहुत ही कड़ी है।
पिछले दिनों संसद में केंद्रीय गृह मंत्री ने इस कानून के बारे में बताया था कि सरकार ने उन लोगों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है, जो सड़क दुर्घटना करने के बाद मौके से भाग जाते हैं। उस स्थिति में पीड़ित को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। ऐसे आरोपियों के खिलाफ नए हिट एंड रन कानून के प्रावधान लागू होंगे। मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हिट एंड रन केस में अगर ड्राइवर, बिना सूचना दिए भाग जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा मिलेगी। इसके अलावा सात लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा। इस मामले में ड्राइवरों का मत है कि वे घटनास्थल पर ठहरेंगे तो लोगों की भीड़ उन्हें मार डालेगी।
से पुलिस को घटना की सारी जानकारी देता है और पीड़ित को अस्पताल इस बात को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई चालक हिट एंड रन के बाद कुछ किलोमीटर दूर जाकर गाड़ी रोक लेता है। हेल्पलाइन नंबर 108 के माध्यम पहुंचाने का आग्रह करता है तो उसके साथ सख्ती नहीं होगी। उस चालक को अपनी सारी जानकारी पुलिस को बतानी होगी। इसके बाद उस चालक के खिलाफ सामान्य धारा के तहत केस दर्ज होगा। इस तरह के केस में उन लोगों के लिए कुछ उदारता दिखाई जाएगी, जो खुद से पुलिस को सूचित करेंगे और घायलों को अस्पताल ले जाएंगे।
भारतीय न्याय संहिता खंड 106(1) में सजा 2 साल से बढाकर 5 साल की गई है। खंड 106(2) में ‘हिट एंड रन’ मामलों में 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। हिट एंड रन मामले में जो प्रावधान बढ़ाया गया है 10 साल तक, ये सुप्रीम कोर्ट के ‘ऑब्जरवेशन’ के तहत लिखा गया है।सुप्रीम कोर्ट ने एक से ज्यादा मामले में कहा है कि वाहन चालक जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और सड़क पर दुर्घटना करके जिसमें किसी की मौत हो जाती है, वहां से भाग जाते हैं तो ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही सख़्त होनी चाहिएl BNS के सब-सेक्शन 106 (1) और सब-सेक्शन 106 (2) से यह स्पष्ट होता है कि यदि व्यक्ति घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत की घटना की रिपोर्ट करता है, तो उस पर सब-सेक्शन 106 (2) की जगह सब-सेक्शन 106 (1) के तहत आरोप लगाया जाएगा, जिसमें 5 साल तक की सजा है, जबकि सब-सेक्शन 106(2) के तहत 10 साल के सजा का प्रावधान है। धारा 106 (1) अभी भी एक जमानती अपराध है, और धारा 106 (2) को गैर-जमानती बनाया गया है।
फिलहाल मामला ठंडे बस्ते में है सरकार भी इस पर कुछ नहीं बोलना चाहती । पब्लिक इस बात पर संतोष कर रही है कि हड़ताल खत्म होने से महंगाई जो बढ़ाने वाली थी उसे पर रोक लग गई है, आने वाला समय कैसा होगा सरकार इस पर क्या निर्णय लेगी और जनता उसे मानेगी या नहीं ,यह समय पर निर्भर करेगा।