आज कल मोदी विरोधी डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरती कीमत पर एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे है, क्युकी पहली बार रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 70 पार चला गया है, और यह चमत्कार मोदी सरकार में हुआ है, लेकिन इनके साथ साथ कुछ समर्थक भी इनके सुर में ताल मिला रहे है और 2013 में मोदी जी के भाषण याद दिला रहे है…रुपए में हो रहे उतर चढ़ाव के पीछे क्या कारण है और यह रघुराम राजन से व कांग्रेस सरकार से किस प्रकार संबंधित है आइए जानते है…
मुद्रा की कीमतों में उतर चढ़ाव के कई कारण होते है उनमें से एक है विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स) आसान शब्दों में, किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार जो कि डॉलर में होता है, यदि कम होगा तो उस देश की मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर होगी, और वही दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा भंडार यदि मजबूत होगा तो देश की मुद्रा भी मजबूत होगी…. विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के कई रास्ते है, जिनमें से एक रास्ता है कि आप अधिक से अधिक विदेशी निवेश लाईए देश में, आयात कम कीजिए और निर्यात अधिक या फिर आप विदेशी ऋण ले लीजिए, तो आपके देश की मुद्रा डॉलर के मुकाबले कुछ समय के लिए संतुलित हो जाएगी या मजबूत होने लगेगी, लेकिन यह अस्थाई है, समस्या का समाधान नहीं… 28 अगस्त 2013 को 1 डॉलर के मुकाबले 68.80₹ तक पहुंच चुका था, कुछ की महीनों में लोकसभा चुनाव होने थे और कांग्रेस सरकार की खराब नीतियों के कारण भारतीय अर्थवयवस्था पहले से ही 5% राजकोषीय घाटे पर चल रही थी और 2014 चुनाव आने तक रुपए के 80 से 90₹ के पार पहुंचने की पूरी संभावनाएं थी…
अब अचानक एक चमत्कार हुआ 2014 चुनाव तक रुपए की कीमत में मजबूती आने लगी और 8-9 महीनों में रुपया मजबूत होकर 60 से 65 के बीच में आ गया, और जब 26 मई 2014 को मोदी सरकार को कांग्रेस सरकार ने सत्ता सौंपी तब रुपया 59₹ प्रति डॉलर मजबूत होकर पहुंच गया, मतलब 8-9 महीने में रुपया 10₹ तक मजबूत हुआ जबकि राजकोषीय घाटा 5% ही था तो यह चमत्कार कैसे हुआ? यहां से शुरू होती है पी चिदंबरम और रघुराम राजन की कहानी, तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम और तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने सितम्बर 2013 से दिसम्बर के बीच बैंको के माध्यम से तीन वर्ष की अवधि वाला 2500 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया था, जिसकी ब्याज दरें बहुत ऊंची 3.5% थी, मई 2014 आते आते के माध्यम से ही लगभग 900 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज लिया गया।यह कुल कर्ज लगभग 2 लाख 20 हजार करोड़ रुपए था, इसके अलावा ऑयल बॉन्ड के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपए का ऋण देश पर लाद दिया, इस तरह यूपीए सरकार ने रुपए की कीमत को डॉलर के मुकाबले मजबूत करने के लिए कुल 3 लाख 64 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले डाला, जिसके कारण 26 मई 2014 को 5% राजकोषीय घाटे के बावजूद रुपए की कीमत मजबूत हो कर लगभग 59₹ प्रति डॉलर हो गई।
2014 में मोदी जी सत्ता में आए, उसके बाद मोदी जी को यह सब पता चला, आप समझ सकते है कि किस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को कांग्रेस सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन द्वारा लैंडमाइन पर रखा गया था, खैर… हमे इससे क्या?? हमे तो सस्ता पेट्रोल पीना है और डॉलर खाना है। लेकिन आज 4 साल बाद मोदी सरकार ने 34 अरब डॉलर का कर्ज ब्याज समेत चुका दिया है, और 1.44 लाख करोड़ रुपए का ऑयल बॉन्ड ऋण 70 हजार ब्याज की रकम के साथ 2 लाख करोड़ से अधिक रुपए में चुका दिया है। मतलब मोदी सरकार ने कांग्रेस के कुकृत्यों का भुगतान लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि को विदेशी मुद्रा में चुकाया है, फिर भी राहुल गांधी और सारे कांग्रेसी बेशर्मी से पूछते है कि मोदी जी, तेल के दाम कम क्यों नहीं हो रहे, रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर क्यों हो रहा है।
अब लोगों को यह समझना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने पर भी भारत में तेल की कीमत में कमी क्यों नहीं हो पा रही है, और जो लाभ पिछले 4 वर्षों में सरकार ने तेल से कमाया है वो 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक विदेशी कर्ज के रूप में चुकाया है। मोदी सरकार ऐसा करने में इसलिए सफल हुई क्योंकि उसने राजकोषीय घाटा 3% से अधिक नहीं होने दिया है, और रुपए की कीमत में पिछले 4 वर्षों में नाम मात्र का उतार चढ़ाव देखने को मिला है जो कि यूपीए सरकार से तुलना करने पर आपको समझ में आएगा, क्युकी 26 मई 2009 में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 47.72₹ थी, वहीं 28 अगस्त 2013 विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व रुपए की कीमत 68.80₹ प्रति डॉलर थी, मात्र 4 वर्षों में डॉलर 21 रुपए मजबूत और रुपए में 21₹ की गिरावट दर्ज की गई थी।
यही बात जनता तक पहुचाना है, ताकि खान्ग्रेसी गुमराह ना कर सके