उत्तर प्रदेश अब पूरी तरह चुनावी रंग में रंगीन हो चुका है। वर्ष 2017 के इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का प्रथम बार गठबन्धन हुआ जो कल्पनातीत था। भाजपा का ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ का नारा इस गठबन्धन की रूपरेखा को स्पष्टतः प्रतिबिम्बित करता है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जड़ें उखाड़ने का प्रथम प्रयास समाजवादी पार्टी द्वारा ही किया गया था। जो कांग्रेस किसी समय देश की सबसे बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी थी वह आज एक सीमित और छोटे क्षेत्रीय दल से अपने अस्तित्व की भीख माँग रही है इसी से स्पष्ट हो जाता है कि आज कांग्रेस पतन की किस गहराई की ओर उन्मुख है। कांग्रेस के नेताओं के चेहरे का ओज क्षीण दिखाई दे रहा है। केवल कांग्रेस की ही बात नहीं, आज भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए छोटे-बड़े लगभग सभी दल इस प्रकार एकजुट दिखाई देने का प्रयास कर रहे हैं जैसे कमल को खिलने से रोकने के लिए सूर्य को ढकने का प्रयास किया जा रहा हो। अपने समस्त सिद्धान्तों की बलि चढ़ाकर ये दल यह भूल गये कि उन्होंने अपने दल का गठन किस उद्देश्य से किया था। और तो और ‘अपने लड़के बनाम बाहरी मोदी’ जैसा अत्यन्त हास्यास्पद नारा प्रचारित किया जा रहा है। यह ऐसा ही लगता है जैसे नरेन्द्र मोदी का जन्म इटली में हुआ हो और सोनिया गांधी का जन्म भारत की धरा हो। हाँ उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमन्त्री को ‘अपने लड़के’ कहा जाये तो समझ बात आती है क्योंकि वे मुलायम सिंह जी के पुत्र हैं और उनका पूरा परिवार ही एकछत्र उत्तर प्रदेश सरकार का स्वामी है। वहाँ लोकतन्त्र का अनुकरण नहीं बल्कि राजतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था चलाई जाती है जिसमें राजा का लड़का ही राजा होता है। तो अखिलेश यादव मुलायम सिंह के अपने ही लड़के हैं लेकिन राहुल गांधी को किसका लड़का कहकर सम्बोधित किया गया यह विचारणीय प्रश्न है।
देश के सामने इस समय विकल्प ढूंढने की आवश्यकता ही नहीं है। भाजपा का शील और चरित्र दोनों की तुलना करने वाला कोई भी दल नहीं है। आज दूसरे दलों को बड़े-बड़े नेता यदि भाजपा की शरण ले रहे हैं तो इसमें सन्देह की कोई गुंजाइश नहीं कि उन्हें इस दल में स्थायित्व और राजनीतिक शुचिता की झलक साफ दिखाई दे रही है। यह दल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा, सनातन धर्म के मार्गदर्शन और समभाव की भावना से पोषित है। आज विश्व की महाशक्तियों में यदि देश को सम्मिलित किया गया है तो यह भाजपा की सरकार की ही देन है। इस दल का उद्देश्य केवल कुछ वर्गों के हितों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका लक्ष्य समग्र देश का समग्र विकास है। आज भी यदि विपक्षी दलों को देश का यह वर्तमान गौरव दिखाई नहीं देता है तो इसका कारण उनकी चिर-संचित कुटिलता ही है जो प्रारम्भ से ही इसे समाप्त करने का हरसम्भव प्रयत्न करती रही है। किन्तु ‘दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की’, जितना ही इसे तिरोहित करने का प्रयास किया गया, अपनी संकल्प शक्ति से यह दल उतना ही ऊपर उठता गया। इस दल के उत्कर्ष तथा कांग्रेस के अपकर्ष के मध्य समानुपाती सम्बन्ध स्थापित हो गया। ईर्ष्या की भावना से ग्रस्त होकर वे विक्षिप्त हो चुके हैं और बिना किसी बाह्य आघात के स्वयं आत्मघाती कदम उठाने लगे हैं। ये लोग स्वयं ही ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ का स्वप्न साकार करेंगे।
पिछले पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश में लूटपाट, हिंसा, राजनयिक भ्रष्टाचार, बलात्कार जैसे अपराधों की शृंखला जितनी तीव्रता से बढ़ी है वह नैतिक रूप से किसी भी प्रकार जनता को स्वीकार्य नहीं है। दूसरी ओर बसपा भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे नेताओं के माध्यम से अपने चरित्र को उजागर कर चुकी है कि वह भी ये अपराध करने के लिए तत्पर बैठे हैं। यदि अवसर मिला तो इनके बाहुबली नेता राज्य की शान्ति और कानून-व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाने में पीछे नहीं रहेंगे। स्वयं को दलित की बेटी बताने वाली मायावती के चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री रहने के बाद भी राज्य के दलितों की अवस्था में अब तक कोई परिवर्तन नहीं हो पाया। सच तो यह है कि जिस प्रकार समाजवादी पार्टी ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए वोटबैंक के रूप में मुसलमानों का उपयोग किया उसी प्रकार बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती जी ने भी दलितों का उपयोग केवल वोट बैंक के लिए ही किया।
आज भाजपा विकास पथ पर तेजी से अग्रसर है। देश में हजारों नयी परियोजनाओं को प्रारम्भ करने का उपक्रम किया जा चुका है। अनेक जीर्ण-शीर्ण बाधा पहुँचाने वाली व्यवस्थाओं में आमूल-चूल परिवर्तन करके एक मजबूत आधार तैयार किया जा रहा है ताकि भारत के प्रत्येक देशवासी को सब्सिडी लेने वाला नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनाया जा सके और वे अपने गौरवपूर्ण जीवनयापन के मौलिक अधिकार का उपभोग कर सकें। उन्हें याचक नहीं दाता बनाने का उपक्रम किया जा रहा है। आज देश की सीमा पर तैनात जवान भी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के समर्थन से गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। देश के युवाओं में राष्ट्र के प्रति जागरूकता फैल रही है। यही कारण है कि प्रधानमन्त्री के मन की बात को प्रत्येक देशवासी न केवल सुन रहा है बल्कि उस दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। यही विरोधी दलों की चिन्ता का विषय है जो उन्हें छोटे-छोटे दलों के आगे नतमस्तक होने पर विवश कर रहा है।