पिछले दिनों एक कार्यक्रम का आयोजन बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया , भारतीय बौद्ध महासभा और मिशन जय भीम ने संयुक्त रूप से किया जिसमें बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म की दीक्षा लिए। इस कार्यक्रम में भी हजारों लोग मौजूद थे। सभी का पंजीकरण किया गया था ।अब इनको बौद्ध धर्म में प्रवेश का प्रमाणपत्र बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया जारी करेगा। बुद्धि सिटी ऑफ इंडिया के सदस्य ने कहा कि कार्यक्रम में जितने लोग आए उनका आंकड़ा जुटाया जा रहा है क्योंकि अलग-अलग लोगों ने पंजीकरण किया है उन्हें दोहराया कि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया हर वर्ष कार्यक्रम करती है इस बार मिशन जय भीम के साथ मिलकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसे लेकर विवाद है। कार्यक्रम में कहा जाता है कि हिंदू के देवी देवताओं को खुलकर के गाली दी गई और उनकी पूजा न करने की शपथ दिलाई गई ।अब समझ में नहीं आ रहा है कि बौद्ध धर्म ,हिंदू धर्म की उपशाखा है जो लोग अपने ही देवी-देवताओं का अपमान कर ,दूसरे घर में जा रहे हैं वह वहां जाकर के कौन सा गुल खिलाएंगे।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि देवी-देवताओं के अपमान के पीछे अरविंद केजरीवाल का हाथ है और उन्होंने हिंदुओं भाइयों की भावनाओं को आहत करने का काम किया है हिंदुओं के रोम रोम में ब्रह्मा ,विष्णु, महेश ,राम व कृष्ण का अंश है ।दिल्ली सरकार के मंत्री इस कार्यक्रम में मौजूद थे और वहीं देवताओं के अपमान को देखते रहे, हिंदू सहिष्णु है लेकिन वह अपने इष्ट देव का अपमान सहन नहीं करेगा इसलिए अब यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए अग्नि परीक्षा का समय है आप नेताओं को हिंदू धर्म और हिंदू धर्म के अनुयायियों से नफरत है यह सही है लेकिन वोट बैंक साधने के लिए आप नेताओं द्वारा हिंदू भावनाओं को आहत की जाती है यह गलत है। पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का विरोध करते थे अब मंदिर बनना शुरू हुआ तो आप को राम भक्त बताने लगे हिंदू कश्मीरियों पर हुए अत्याचार पर बनी फिल्म और हिंदुओं को प्रताड़ना की बात को गलत बताते थे और संविधान को तार-तार करते थे। इस तरह की चीजें लोकतंत्र में ठीक नहीं है।
जो हुआ वह गलत हुआ किसी भी धर्म को गाली नहीं देनी चाहिए। बुद्ध ने किसी धर्म को गाली नहीं थी और बाबा साहब अंबेडकर ने भी किसी धर्म को गाली नहीं दी ।कार्यक्रम में एक धर्म को गाली दी गई ।देश के लिए ठीक नहीं है मत अंतरण कि मैं घोर निंदा करता हूं ,इस देश में अगर हिंदू ना हो तो बहुत भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मुस्लिम देशों में हमेशा बौद्ध पर अत्याचार किया है पाकिस्तान से लेकर तालिबान में बुद्ध की मूर्तियां तोड़ी गई ।देश भर में सामाजिक समरसता पर जोर दिया जा रहा है और बौद्ध अनुसूचित जाति के लोगों को सम्मान मिल रहा है फिर भी इस तरह की घटना होना अपने आप में बहुत ही शर्मिंदा करने वाली है ।जो लोग हिंदू से दूसरे धर्म में जा रहे हैं वह भी अच्छा नहीं कर रहे हैं जिस धर्म में जन्म लिया उसे छोड़कर स्वार्थ के लिए दूसरे धर्म में जाना गलत है।
फिलहाल सरकार मत को लेकर के गंभीर हो गई है और वह इस नतीजे पर पहुंची है कि ईसके संवैधानिक व कानूनी परिणाम क्या होंगे ।सारी लड़ाई एससी वर्ग को मिलने वाले 15% आरक्षण के हिस्सेदारी को लेकर हैं ।ऐसे में यह समझना होगा कि एससी को आरक्षण के आधार और मानक क्या है क्या मत अंतरण कर आई व मुसलमान बन गए दलितों के साथ वैसे ही परिस्थितियां हैं जो मतानतरणसे पहले उसके साथ थी। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह अब मुद्दा ना होकर सामाजिक बल्कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील होता जा रहा है और इसके संवैधानिक व कानूनी परिणाम होंगे।
इस आरक्षण का सीधा संबंध सामाजिक पिछड़ेपन भेदभाव से है।मतअंतरण कर ईसाई व मुसलमान बने दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की यह मांग पुरानी है। राष्ट्रीय धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यक आयोग ने 2004 में पूर्व न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया था जिसमें धार्मिक और भाषाई रूप से अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने पर विचार किया गया था। आयोग ने दलितों को आरक्षण देने पर भी विचार किया था और 10 मई 2007 में दी रिपोर्ट में धर्म के बजाय सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देने की बात कही गई थी ।इस आयोग की सदस्य सचिव आश दास ने दलित ईसाइयों को ,दलित मुसलमानों को ऐसी दर्जा देने पर सहमति जताई थी। रिपोर्ट में दलितों को दलित मुसलमानों को ऐसी दर्जा नहीं दिए जाने के कारण गिनाए थे ।आशा की असहमति नोट पर आयोग के अन्य सदस्य ने एक और नोटिस में दिए गए आधारों को खारिज किया गया है।
अब देखना यह है कि राजनीतिक दल हिंदुओं को तोड़ने का जो काम कर रहे थे और एससी व मुस्लिमों की संख्या बढ़ा रहे थे। उस पर क्या फर्क इस चीज का पड़ता है । मतान्तरण एक गंभीर अपराध है जिस पर सरकार आगे कानून लाने वाली है क्योंकि इससे सरकार का भी नुकसान होता है सरकार को अपने रिकॉर्ड पर बदलने पड़ते हैं जिससे यह कठिन हो जाता है कि जिन्हें लाभ मिल रहा था, वह अब हिंदू है मुसलमान है या इसाई है या तीन लोग हैं क्योंकि घर के कुछ लोग हिंदू रह जाते हैं ।कुछ लोग बुद्ध बन जाते हैं और कुछ लोग मुसलमान और ईसाई में परिवर्तित हो जाते हैं ।इस तरह का परिवार हमेशा दलितों में होता है जो देश की भौगोलिक स्थिति को प्रभावित करता है अगर आरक्षण की व्यवस्था हिंदुओं में ही है तो फिर उसे हिंदू होने पर ही मिलना चाहिए अगर वह मुसलमान बन जाता है या ईसाई बन जाता है तो वह लाभ उसको नहीं मिलना चाहिए क्योंकि यह संपन्न बिरादरी है जिसका फंड बाहर से आता है और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए आता है। सरकार से भी फायदा लेना और अंतरण कर दूसरे धर्म के लोगों से फायदा लेना, एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आना चाहिए नहीं तो यह लोग देश को खोखला कर देंगे।