अमरीका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ताबड़तोड़ फाइलों पर साइन कर रहे हैं।वे अमेरिका की तमाम पुरानी नीतियों को बदल रहे हैं। राष्ट्रपति बनने के 48 घंटे के भीतर ही उन्होंने 100 से अधिक फाइलों पर साइन कर दिया।इससे अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। उनके इन फैसलों में से कुछ ने सीधे तौर अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को प्रभावित किया है। वे परेशान हैं ,ऐसे में उन्होंने राष्ट्रपति के तुगलकी फरमानों की काट देसी जुगाड़ से निकाल ली है।
डोनाल्ड ट्रंप ने एक सबसे बड़ा फैसला जन्म के आधार पर नागरिकता को लेकर की है। अब तक अमेरिका में जन्म लेने वाले लोगों को स्वतः नागरिकता मिल जाती थी लेकिन, ट्रंप ने कुर्सी पर बैठने के साथ जिन अहम फाइलों पर साइन किया उसमें यह मसला भी था। उन्होंने जन्म से साथ नागरिकता के नियम को बदल दिया है। इस अमेरिकी कानून का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय अमेरिकी उठाते थे।अमेरिका में पैदा होने वाले उनके बच्चे स्वतः अमेरिका के नागरिक बन जाते थे। इससे भारतीय अमेरिकी समुदाय काफी परेशान है।तात्कालिक तौर पर इस समुदाय ने इसका समाधान निकाल लिया है।वहां बीते कुछ घंटों के भीतर सिजेरियन डिलीवरी की बाढ़ आ गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोग ऐसे नए नियम से बचने के लिए कर रहे हैं।नया नियम 20 फरवरी से प्रभावी होने वाला है।
यह स्थिति यह बताती है कि नागरिकता की समय सीमा से पहले बच्चों को जन्म देने की इच्छा बढ़ गई है।20 फरवरी के बाद उन बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी जिनके माता-पिता अस्थायी वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा दंपत्तियों से कहती हैं कि प्रीटर्म डिलीवरी मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। इसमें अविकसित फेफड़े, खाना न खा पाने, कम वजन, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
अमेरिका में भारतीयों के लिए अब परेशानी बढ़ गई है। उन्हें ग्रीन कार्ड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। अब नागरिकता का खौफ उनके सिर पर मंडराने लगा है। अमेरिका में रह रहे बहुत से भारतीय परिवारों के लिए यह समय कठिन है। इस बारे में एक भारतीय कहते हैं कि हमारे लिए नागरिकता पाने का यही एक तरीका था।वह आठ साल पहले H-1B वीजा पर अमेरिका आए थे। उन्होंने कहा वह छह साल से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे। यह हमारे परिवार के लिए स्थिरता का एकमात्र तरीका था। अब हम अनिश्चितता से डर रहे हैं।