एक समय था जब बिहार प्रवेश करते ही लोगों के मन में भय का माहौल होता था, हाल की परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि फिर से वही वक्त आ चुका है। जिस राज्य में एक पत्रकार भी असुरक्षित हो, उस राज्य की लोकतांत्रिक स्थिति और गुंडाराज का अंदाजा लगाया जा सकता है। बिहार के सीवान में नगर थाने के स्टेशन रोड स्थित फल मंडी के पास बाइक सवार अपराधियों ने एक दैनिक अखबार के ब्यूरो प्रभारी राजदेव रंजन की गोली मार कर हत्या कर दी़। राजदेव रंजन महादेवा ओपी थाने के हताम गांव के राधाकृष्ण चौधरी के पुत्र थे। जयदेव रंजन शहर के महादेवा नयी बस्ती मुहल्ले में परिवार के साथ रहते थे।
बता दें कि रंजन इस इलाके के अपराधियों और दबंगों के खिलाफ काफी लंबे समय से लिख रहे थे। हालांकि इस हत्याकांड ने बिहार के पत्रकारों को आक्रोशित कर दिया है और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरु हो गया है। लेकिन यहां सवाल कार्रवाई की मांग और इस पर सरकार के आश्वासनों भर का नहीं है, सवाल है कि बिहार में लगातार बढ़ती इन हृदय विदारक घटनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा- बिहार के मुखिया नीतीश कुमार खुद लेंगे, या इसकी जिम्मेदारी वो अपने गठबंधन की पार्टी को लेने के लिए कहेंगे। दुखद इसलिए है क्योंकि बिहार की जनता ने इस बार नीतीश कुमार पर इतना भरोसा जताया कि उनके कहने पर जनता ने फिर से जंगलराज को भूलते हुए राजद तक पर निशान लगा दिया था। इसलिए अब गुपचुप तरीके से ही सही, लेकिन जनता इसका सीधे सवाल नीतीश कुमार से तो कर ही रही है कि इसकी जिम्मेदारी तय कीजिए।