अखंड भारत का सपना

हमारे एजेंडे में हमेशा अखंड भारत का सपना रहा है. इस एजेंडे को पूरा करने के लिए संघ प्रमुख ने 15 साल की समयसीमा रखी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा दावा किया जाता है कि अगर अखंड भारत वापस आता है तो उसमें कम से कम 9 राष्ट्र यानी भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और मालदीव शामिल हो सकते हैं।

सभी देशों को मिलाने के बाद जब अखंड भारत बनेगा तो उसका क्षेत्रफल लगभग दूना हो जाएगा। अखंड भारत 7.13 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा और जनसंख्या 1.89 बिलियन होगी।जीडीपी भी बढ़कर 4.166 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी , प्रति व्यक्ति आय 2204 अमेरिकी डॉलर होगी। क्षेत्रफल वर्तमान 3.29 मिलियन वर्ग किलोमीटर से दोगुना से अधिक होकर 7.13 मिलियन वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। जनसंख्या घनत्व 415 से घटकर 265 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। अखंड भारत की जनसंख्या वर्तमान में 1.35 बिलियन की तुलना में 1.89 बिलियन होगी।

अखंड भारत की जीडीपी भारत वर्तमान यूएस $3.250 ट्रिलियन की तुलना में औसतन 4.138 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगी। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय 2313 अमेरिकी डॉलर से घटकर 2204 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी।सभी देश एक साथ मिलने से डिफेंस खर्च में कमी होगी, क्योंकि उन देशों से खतरा नहीं होगा।इसमें काफी समय लगेगा, क्योंकि विश्वास बनाने में लंबा समय लग सकता है, सीमाएं खुली होने से व्यापार में भी लाभ होगा।

भौगोलिक रूप से अखंड भारत तीसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा। रूसी संघ (17.098 मिलियन वर्ग किमी) और चीन (9.60 मिलियन वर्ग किमी) के बाद अखंड भारत तीसरे नंबर पर होगा। वहीं, जनसंख्या के हिसाब से चीन को पीछे छोड़ते हुए अखंड भारत सबसे बड़ी इकाई बनेगा।आर्थिक रूप से 4.138 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी के साथ अखंड भारत अमेरिका (24.8 ट्रिलियन) और चीन (18.46 ट्रिलियन) के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाएगा।प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह यूएसए ($ 74,725), ईयू ( $ 40,995), चीन ( $ 12,990) और रूसी संघ ($ 11,654) की तुलना में 2,204 यूएस डॉलर के साथ बहुत पीछे रहेगा।

अभी भारत में हिंदुओं की संख्या 107.94 करोड़ है। अखंड भारत में इनकी संख्या बढ़कर 112.38 करोड़ हो जाएगी। वर्तमान भारत में मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी केवल 19.2 और 3.1 करोड़ है, जो बढ़कर 60.34 और 4.17 करोड़ हो जाएगी। अखंड भारत में हिंदू वर्तमान में 79.8 प्रतिशत की तुलना में 59.45 प्रतिशत होंगे। वहीं, मुसलमानों की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत की तुलना में दोगुनी से भी अधिक होकर 31.93 प्रतिशत हो जाएगी। ईसाइयों की हिस्सेदारी वर्तमान 2.3 प्रतिशत से मामूली गिरावट के साथ 2.2 प्रतिशत हो जाएगी। बौद्ध वर्तमान 0.95 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 4.22 प्रतिशत हो जाएगा।

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