दुर्गा पूजा : शक्ति आराधना का प्रतीक

ramरामनवमी का पर्व भारतीय संस्कृति का ऐसा अनूठा त्यौहार है जिसमें नारी शक्ति की महत्ता का प्रतिपादन किया गया। यद्यपि यह तिथि भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनायी जाती है परन्तु नौ दिन के इस त्यौहार में शक्तिरूपा दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। आज हम जब नारी सशक्तीकरण की बात करते हैं तो रामनवमी का त्यौहार उसका एक उत्कृष्ट उदाहरण बन जाता है। भारतीय संस्कृति में अनादि काल से नारी को सर्वोच्च स्थान दिया गया। भारतीय इतिहास के मध्यकाल में विदेशी आक्रान्ताओं के निरन्तर आघात के कारण भारत की सामाजिक व्यवस्थाओं में कुछ परिवर्तन किया गया परन्तु उसका मौलिक स्वरूप यथावत बना रहा। पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था के कारण निश्चित रूप से भारत में नारियों की दशा में कुछ काल के लिए विद्रूपताएँ परिलक्षित हुईं परन्तु सनातनधर्मी विचारधारा के अन्तस्तल में नारी की भूमिका सर्वमान्य बनी रही। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात जब देश अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ तो विदेशी संस्कृति को मान्यता देने वाले अनेक तथाकथित प्रगतिशील विचारक जो दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था के अंग बन गये, उन्होंने नारी को भोग्या से अधिक महत्त्व नहीं दिया और उसका परिणाम आज देश के सम्मुख है।
वर्तमान सरकार भारत की प्राचीन संस्कृति को महत्त्व देती है इसमें कोई सन्देह नहीं। हमारी संस्कृति ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ की अनुपालक है। यह सनातन सूक्ति है जिसे आधुनिक सामाजिक व्यवस्था में अपनाना ही पड़ा। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अब एक आन्दोलन का रूप ले रहा है। व्यापक दृष्टिकोण अपनाने पर ज्ञात होगा कि यह भगवा विचारधारा नहीं बल्कि वैश्विक आवश्यकता है। हमारा देश अपाला, घोषा, लोपामुद्रा, मैत्रेयी, गार्गी जैसी विदुषी नारियों की ज्ञान-सम्पदा पर गर्व कर सकता है। हमारा धर्म और संस्कृति सदैव से ही नारी शक्ति का आराधक रहा है। दुर्गावती, जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, पद्मिनी, अब्बक्का रानी (कर्नाटक की महारानी), बेगम हजरत महल जैसी मध्य और ब्रिटिशकालीन भारतीय नारियों ने रणक्षेत्र सम्बन्धी अपने जिस कौशल का प्रदर्शन किया, आज देश उनके सम्मुख श्रद्धा से नत हो जाता है।
धर्म की स्थापना के लिए (जिसकी परिभाषा आधुनिक बुद्धिजीवियों ने परिवर्तित कर डाली है) शक्ति का उपार्जन आवश्यक है। यह शक्ति हमें तभी प्राप्त होगी जब हम नारियों को उचित सम्मान और स्थान दे पायेंगे। दूसरे शब्दों में नारी उपासना ही शक्ति की उपासना है, और इस उपासना से हममें चारित्रिक दृढ़ता और विश्व बन्धुत्व की भावना का उद्बोध होगा। रामनवमी का यह पर्व निश्चय ही भारतीयों में शक्ति का संचार करेगा और हम पुनः उस भारतीय संस्कृति को स्थापित कर सकने में समर्थ होंगे जिसमें भारतीय संविधान की आत्मा रची और बसी है।

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