उत्तर प्रदेश के मथुरा में जो कुछ भी हुआ वह किसी भी लिहाज से नही था और उस पर सरकार द्वारा यह कहा जाना कि पुलिस से चूक हुई , यह बहुत ही निदंनीय हैं। एक एसपी व एक एसएचओ की हत्या हो गयी ,27 लोग मौत के घाट उतार दिये गये और इतना ही 124 दंगाइयों की गिरफ्तारी होना भी सरकार के लिये मामूली बात है। आखिर क्यों इस पर गंभीर व सशक्त निर्णय लिये जाने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश की राजनैतिक विरासत जो समाजवादी पार्टी की सरकार की है, वह काफी डरा देने वाली है। इससे पहले भी सरकार रही है तो अपराधियों का बोलबाला रहा है और सबसे बडी बात यह है कि अपराध भी ऐसा जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया । सबसे पहले बात करते है फुलन देवी की , जब उन पर से सभी आरोप सरकार ने वापस ले लिये और उन्हें भदोही ंससदीय सीट से प्रत्याशी बनाया , वह जीतकर संसद पहुंची। इसके बाद एक यादव बहुल्य अपराधियों ने गेस्ट हाउस कांड को जन्म दिया । उस समय प्रदेश के सभी जिलों में यादव बाहुबलियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था। इसके बाद समय बदला और सरकारों के बदलने के साथ यादव बाहुबलियों ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया । इसके बाद नयी सरकार में कुछ नये जाति के बाहुबलियों ने समाजवादी पार्टी का साथ पकडा और यादव बाहुबलियों की कमी पूरी कर दी।लेकिन कुछ मिलाकर यह बाहुबलियों की सरकार रही जिसमें जवाहरबाग के रामबृक्ष यादव जो कि इस धटनाक्रम के मुख्य कर्ताधर्ता थे, वह भी इसी व्यवस्था के अंग थे। उनके पास से सैकडों की संख्या में असलहों का मिलना इस बात का प्रमाण है कि उन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था।
अब बारी केन्द्र सरकार की , ऐसी घटनाओं पर उसे संज्ञान लेते हुए कारवाई करनी चाहिये। क्योंकि घटना राजनैतिक संरक्षण में हुई है और हाईकोर्ट के आदेश के पालन के दौरान हुई थी । जिसके साथ दंगाई रामबृक्ष यादव के तार जुड़े बताये जाते है वह सपा की इसी सरकार में मंत्री है और मुख्यमंत्री का करीबी है। दूसरा कारण यह भी है कि बीस लाख रूपये दोनों पुलिस अधिकारियों को देने की बात कही जा रही है। जबकि दिल्ली मे एक सिपाही के मरने पर एक करोड रूपये उसे दिये गये थे। तो यह कैसा पैमाना है? इतने आला अधिकारियों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुआवजा दे रहे है या भीख ? यह भी स्पष्ट होना चाहिए। यदि यादव होना ही इस प्रदेश में सबकुछ है तो आला अधिकारियों को इस तरह प्रदेश में नही भेजना चाहिये।
कुल मिलाकर यह कहा जाय कि यह एक षडयंत्र है जिसके तहत सरकार की मिलीभगत थी तो गलत न होगा। केन्द्र सरकार को चाहिये इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से ले और जो कुछ हो रहा है उस पर सख्ती से अंकुश लगाये। क्योंकि दंगो की पृष्ठ भूमि तैयार करना इस सपा सरकार की नीति का एक हिस्सा रही हैं। अपराधियों से सजी सरकार में पूरे प्रदेश की जनता तबाह हो रही है। और प्रदेश जल रहा है।