सारा देश लॉक डाउन- 4.0 से गुजर रहा है| वैसे लाक डाउन को देश में लागु हुए 60 दिन से अधिक हो गए हैं और वर्तमान में साधारणतया 40% कार्यव्यवहार ही शुरू हुआ है| बंदिशों में काफी पैमाने पर ढील दी गयी हैं|
अभी कुछ दिन पहले ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने आशंका व्यक्त की थी कि मई अंत तक देश में पॉजिटिव कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ जाएगी| 19 मार्च को डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित किया था| विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आने वाले दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने की संभावना जताई है|
वैसे देश में 30 जनवरी को केरल में चीन से आया हुआ प्रथम कोरोना संदिग्ध मरीज पाया गया था | 24 मार्च देश में लाक डाउन की घोषणा हुई है|
कोरोना एक वायरस (विषाणु) है| वायरस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता इसलिए चिकित्सकों को नहीं पता कि इस स्थिति में इससे कैसे निपटा जाए | यह वायरस बेहद घातक है| वास्तव में कोरोना वाइरसों का समूह है जो रोग उत्पन्न करता है|
आज दुनिया के विभिन्न देशों में वैज्ञानिक और 100 से अधिक प्रयोगशालायें इसकी वैक्सीन (टीका) खोजने में लगी हैं | भारत की वैज्ञानिक संस्थाएं भी प्रामाणिकता से इसका समाधान खोजने में लगी हैं|
पर आज और अभी तक इसकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणु विरोधी (एंटीवायरल) उपलब्ध नहीं हो पाया है| इसी कारण उपचार के लिए व्यक्ति को अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर रहना पड़ता है |
हमें सर्दी खांसी होती है यह भी एक प्रकार के विषाणु के कारण होती है| सर्दी , जुकाम- खांसी मिटाने के लिए कोई कारगर दवा नहीं है इसमें हम जो दवा लेते हैं वह हमारी उसके खिलाफ प्रतिकारक क्षमता बढ़ाने के लिए होती है|
गत दो शतकों में देश में फैली महामारियों का अध्ययन करें तो ध्यान में आता है प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात सन 1920 के आसपास स्पेनिश फ्लू देश में विदेशों से आए अंग्रेजों के साथ आया और इसने मुंबई इलाके में कहर मचा दिया था|
18 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हैजा (कॉलरा) बंगाल से प्रारंभ होकर सारे देश में फैल गया जिससे करीब 1.5 लाख लोग मारे गए थे | बाद में प्लेग ने भी कहा मचाया था |
स्वतंत्रता के बाद देश में चेचक (स्माल पॉक्स) तपेदिक ( ट्यूबरक्लोसिस) या टीवी रोग, कुष्ठ रोग (लेप्रोसी), पोलियो (बच्चों की विकलांगता) , मलेरिया आदि विभिन्न प्रकार के रोगों ने काफी उत्पात मचाया है| लेकिन आज कमोबेश भारत ने उपरोक्त बीमारियों पर काफी हद तक काबू पा लिया है |
गत दो दशकों में हमें नए-नए प्रकार के रोग सुनाई देते हैं जैसे चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू , जापानी बुखार यह सब अलग-अलग प्रकार के वायरस जनित रोग हैं|
कोरोना आसानी से जाएगा नहीं
हमारी आदत है बीमार हुए, दवा खाई; तबीयत ठीक हुई तो बीमारी के बारे में भूल जाते हैं | अपने शरीर के बारे में सोचने के बजाय हम अपनी नौकरी ,व्यवसाय, ऑफिस, उद्योग की फिक्र और इनके प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता रहती है | अपने शरीर, अपने आसपास के लोग इनके बारे में सोचने विचारने का समय नहीं है | हम शानदार मकान, सुख्सुविधापूर्ण जीवन, तगड़ा बैंक बैलेंस, आलीशान गाड़ियां इनको तो प्राथमिकता देते हैं, इनके बारे में सोचते हैं और उसके लिए यथासंभव प्रयास भी करते हैं किंतु हम अपने शानदार आरोग्य पूर्ण शरीर के बारे में बहुत कम या शायद नहीं सोचते हैं|
अब अपने स्वास्थ्य में स्वदेशीपन लाना होगा | इसका तात्पर्य दवाइयों, अस्पतालों की मशीनों , चिकित्सकों पर निर्भरता छोड़ना है| हम ऐसे बने कि कोई वायरस आए तो हमारी प्रतिरोधक क्षमता ऐसी हो कि हम उस से लड़ सकें| दूसरा हमें सोचना पड़ेगा कि हमारी कृत्रिमता पूर्ण जीवन जीने की लालसा नए-नए रोग को बुलावा देती है| हमारा आहार-विहार, दिनचर्या, सोच-विचार इसके बारे में हमें विचार बदलने होंगे| हम सादगी , सात्विकता , सहजता , सरलता से जीवन जियें |
कोरोना के लिए लौटना होगा देसी उपायों की ओर
आज हमको विलासितापूर्ण जीवन पद्धति के स्थान पर आत्म संयम वाली जीवन पद्धति की ओर लौटना होगा | इस समय हम अपना कामकाज पूर्ववत प्रारंभ करने जा रहे हैं | कोरोना का खौफ और संकट बढ़ने वाला है सो हमारा जोर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने पर ही होनी चाहिए |
स्वस्थ आहार और जीवनशैली जिसमें योग-प्राणायाम का अंतर्भाव निहित है को अपनाना होगा, इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी | आयुर्वेद में बताए गए जूस ,घरेलू नुस्खे आदि जो विशेषज्ञों ने बताए हैं वह अपनाने होंगे जिससे रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और कोरोना को अपने पर हावी होने से रोकना होगा |
मन के हारे हार है मन के जीते जीत |
मन चंगा तो कठौती में गंगा |
बीमारी तब तक हावी रहती है जब तक उसका खौफ रहता है|