यमुना के रौद्र रूप में दिल्ली की रफ्तार रोक दी, सैकड़ों लोगों को घर छोड़कर सड़कों पर आना पड़ा, रोते बिलखते ,पानी में गले तक डूबे हुए लोग अपना जरूरी सामान बचाते दिखे ।कुछ मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए ।दूसरे राज्यों की बसों व अन्य भारी वाहनों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए, ऐसा भयावह नजारा दिल्ली वालों को बरसों बाद दिखा था कि जब जमुना का जल किनारे बसे इलाकों को पार करते हुए मुख्य मार्गो तक आ गया था ।बाढ़ के कारण तीन जल संयंत्र बंद होने से दिल्ली के बड़े हिस्से में पीने के पानी का संकट गहरा गया था।
देखा जाए तो जिन इलाकों में पानी भरा उनमें बुराड़ी, करनाल बायपास रोड ,जहांगीरपुरी, ज़ी टीवी नगर, हकीकत नगर ,सिविल लाइंस ,वोट क्लब, कुदेशिया घाट ,कश्मीरी गेट, टो लूंगा स्टैंड ,यमुना बाजार, नीली छतरी मंदिर, विजय घाट, रिंग रोड खिजराबाद आदि इसके अलावा जो दूर की जगहों पर पानी भरा उनमें पल्ला वजीराबाद गांव, जगतपुर गांव, majnu-ka-tilla ,सोनिया विहार, खजूरी श्री राम कॉलोनी, खजूरी चौक, गढ़ी मांडू गांव ,उस्मानपुर ,मॉनेस्ट्री मार्केट, शास्त्री पार्क ,गांधीनगर कॉलोनी, आरटीओ, मयूर विहार व चिल्ला गांव के अलावा विश्वकर्मा कॉलोनी व खड्डा कॉलोनी बदरपुर मुख्य थी। जहां वर्षा का पानी भरा हुआ था और यमुना का पानी भी आ गया।
कई इलाकों में 3 दिन से बिजली नहीं थी, बढ से लाखों का सामान बर्बाद हो चुका था ।अभी तक कोई राहत कार्य नहीं पहुंची थी। यमुना बाजार की पुरानी कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बयां किया कि यमुना का जलस्तर बढ़ने के कारण लोग घरों में ही कैद हो गए हैं ।कुछ परिवारों के पास चंद दिनों का राशन बचा है कॉलोनी के लोग आपस में खाना बांट रहे हैं। यहां 200 से ज्यादा मकान है और लगभग 800 परिवार रहते हैं। सैकड़ों लोगों को यहां से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। निगमबोध घाट बाढ़ के पानी से पूरी तरह डूब गया था इसे अगले आदेश तक बंद कर दिया गया। लोगों से शव लेकर यहां ना आने की अपील की गई इसी तरह ओल्ड इस माह उस्मानपुर गांव में जाकर छत पर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
इस बार से सबसे ज्यादा नुकसान कारोबारियों को हो रहा है क्योंकि कुछ जगहों पर गोदामों में पानी भरने से सामान खराब हो गया है यमुना से सटे गांधीनगर और शास्त्री पार्क में पहले बारिश के चलते भारी जलभराव रहा। अब यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद कुछ स्थानों पर सीवर लाइन में वापस पानी आ रहा है। जिससे लोग परेशान हैं अभी तक व्यापारियों के सामान के तौर पर करीब ₹200 करोड़ से ऊपर का नुकसान हो चुका है जो कि एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है।लोग अब इस गफलत में है कि अगर इसी तरह यमुना का रौद्र रूप रहा तो आगे आने वाले समय में काफी दिक्कतें हो जाएंगे।
यमुना के किनारे से लाल किला को बनाया गया था ऐसा लोग कहते हैं यदि यह मान लिया जाए तो यमुना किनारे लालकिला था तो फिर यमुना अपने जगह पर वापस आ गई हैं और यह बाढ़ में होगा इसलिए अब इसका विकल्प तलाशने की जरूरत है क्योंकि जिस तरह से मयूर विहार तक पानी फैला था। उसे देखकर यही लगता है की आने वाले समय में और भी दिक्कतें होंगी ।सरकार को इस पर विचार करना चाहिए सिर्फ दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा ,खुद भी कुछ करके दिखाना होगा ,यह बात अब केजरीवाल को समझ लेनी चाहिए नहीं तो दिल्ली डूबती ही रहेगी।
इस बार के बाद जो आपदा दिल्ली पुरानी है वह बीमारियों की है क्योंकि बाढ़ का पानी जब निकल जाता है तो उसके बाद बीमारियां फैलने लगती है।दिल्ली सरकार को चाहिए कि सफाई पर ज्यादा ध्यान दें और राहत शिविरों को जल्द से जल्द चालू कराएं।