गणेश चतुर्थी

यद्यपि ईश्वर एक है परन्तु भारत बहुदेवताओं का देश है। हिन्दुत्व का आधार ही यह है कि हमारे देश में सभी देवी-देवताओं को समान रूप से श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।

भारत में गणेश भगवान का विशेष महत्व है। भगवान गणेश के 108 प्रचलित नाम है। जिनमें से सिद्धिविनायक नाम सबसे लोकप्रीय है। भगवान गणेश को सिद्धि देने वाले तथा विघ्नों को हरने वाले देव के रूप में जाना जाता है। भारत में हिन्दुओं द्वारा अपने देवी-देवताओं के पूजन से पूर्व गणेश भगवान का पूजन कर, उनसे इच्छित कार्य के सफल होने की आराधना की जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी कार्य के प्रारम्भ करने को श्रीगणेश करना भी कहा जाता है। यह प्रथा भारत सहित पूरे विश्व में हिन्दू धर्म को मानने वालो में आदिकाल से ही प्रचलित है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भद्रपाद मास की शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। गणेश पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव एंव पार्वती के पुत्र गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन हिन्दुओं द्वारा अपने सार्मथ्य के अनुसार सोने, चाँदी, ताम्बे अथवा मिट्टी से बने गणेश जी की प्रतिमा बनाकर प्रातः उनका पूजन किया जाता है । तत्पश्चात नीची नजर से चन्द्रमा को अध्र्य देकर भगवान का पूजन कर 21 मोदकों का भोग लगाया जाता है।

इतिहासकारों के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व मनाने का प्रारम्भ सतवाहन, राष्ट्रकुता तथा चाल्युक्य के शासनकाल में हुआ था। माना जाता है कि मराठा शासन के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में 1630 ई0 से 1680 ई0 तक गणेश चतुर्थी का पर्व पूणे में आम जनता द्वारा मनाया जाना प्रारम्भ किया गया। शिवाजी के शासनकाल में गणेश चतुर्थी का पर्व प्रतिवर्ष नियमित रूप से मनाया जाता था क्योकि भगवान गणेश मराठा साम्राज्य के कुल देवता भी थे। पेशवा शासनकाल की सामाप्ति के बाद पर्व का आयोजन एक पारिवारिक समारोह तक ही सीमित रह गया था।

वर्ष 1893 ई0 में अंग्रेजों के खिलाफ जन असंतोष को व्यक्त करने तथा समाज में एकता स्थापित करने के उदेश्य से लोकमान्य तिलक द्वारा गणेश चतुर्थी के पर्व को एक पारिवारिक सामारोह से बदलकर सार्वजानिक गणेशोत्सव के रूप में मनाने की शुरूवात की गयी। उन्होंने भारत में व्याप्त सामाजिक बुराईयो को दूर करने के लिये गणेश चतुर्थी के पर्व को आम जन द्वारा मनाने के लिये प्रेरित किया।

आज गणेश चेतुर्थी का पर्व पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है और सामाज में व्याप्त कुरीतियों व असमानताओं को दूर कर सभी भारतीयों का गौरव बढ़ाता है।

भारत विविधताओं का देश है। भिन्न-भिन्न संस्कृति और रिवाज ही भारतीयों को एकता के सूत्र में बांधते है। महारष्ट्र में इस पर्व को बड़ी श्रद्धा, त्याग व समर्पण के भाव से 10 दिन तक मनाया जाता है। कर्नाटक में इस पर्व को विनायक चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित औरतें गणेश के साथ-साथ माता गौरी का भी पूजन करती है। गुजरात में भी गणेश चतुर्थी का पर्व बडे़ धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। राजस्थान में भगवान गणेश की मूर्ति को कुम-कुम से स्नान कराकर लाल फूलों की माला पहनाकर मूर्ति को घर के प्रवेश द्वार पर रखा जाता है। महाराष्ट्र से प्रारम्भ होकर गणेश चतुर्थी आज पूरे भारत में धूम-धाम से मनायी जाने लगी है। आज भारत के प्रायः सभी महानगरों, उपनगरों व ग्रामीण क्षेत्रों में गणेश चतुर्थी के दिन सार्वजनिक अथवा निजी रूप में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर 10 दिन तक उनका पूजन किया जाता है। तत्पश्चात श्रद्धापूर्वक मूर्तियो का विसर्जन किया जाता है।

मुझे यह देख कर अत्यंत ख़ुशी होती है की भारत जैसे विविधता वाले देश में हमारे पर्व और त्यौहार पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य करते है। हमारे देश की यही महानता है कि पूरा राष्ट्र ऐसे अवसरों पर एक हो जाता है। इस पावन अवसर पर मैं सभी देशवासियों को आगामी गणेश चतुर्थी के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें देता हुँ और पर्व को हर्ष व उल्लास के साथ मनाने तथा पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने का आहवान करता हूँ।

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