गोमूत्र – 2

गोमूत्र2

(रोगों की चिकित्सा में)

  • एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच गोमूत्र एक चम्मच नींबू रस एक चम्मच शहद डालकर पीने से चर्बी घटती है| 
  • गले में कफ और खराश रहती हो तो पानी में एक चम्मच शहद , एक चम्मच हल्दी , ३ चम्मच गोमूत्र मिलाकर गरारे करने से बहुत राहत मिलती है| 
  • 77 प्रकार की दवाएं गोमूत्र से तैयार होती हैं | एक जैविक टॉनिक है| यह शरीर प्रणाली में औषधि के समान काम करता है और अन्य औषधि की क्षमताओं को भी बढ़ाता है |
  • गोमूत्र कैंसर के उपचार के लिए बहुत अच्छी औषधि है | यह  शरीर में सेल डिविजन इनबिटेरी एक्टिविटी को बढ़ाता है और कैंसर मरीजों के लिए बहुत लाभदायक होता है| 
  • सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करने से लाभ होता है |
  • पीलिया , हृदय रोग,  कब्ज में भी लाभकारी है| 
  • चर्मरोग , पेट में कृमि के रोग में लाभदाई | 
  • गोमूत्र रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला कफ-वात-पित्त संबंधी तीनों दोषों का नाशक है | 
  • पेट की बीमारियों के लिए गोमूत्र रामबाण की तरह काम करता है| यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है|
  • गोमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है | इस तरह से यह दिमाग और हृदय दोनों को शक्ति प्रदान करता है| 
  • 20 मिलीलीटर गोमूत्र प्रातः सायं  पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है :- 

१. भूख की कमी २.  अजीर्ण  ३. हर्निया ४. मिर्गी ५. चक्कर आना ६. बवासीर ७.

प्रमेह ८. मधुमेह   ९. कब्ज १०. उदर रोग ११. गैस  १२. लू लगना १३.पीलिया १४.

खुजली १५. मुखरोग १६. रक्तचाप १७. कुष्ठ रोग १८. भगंदर १९. दंत रोग २०. नेत्र

रोग २१. धातु क्षीणता २२. जुकाम २३. बुखार २४. त्वचारोग २५. घाव २६. सिर दर्द

२७. स्त्री रोग २८. दमा २९. अनिद्रा ३०. स्तनरोग ३१. हिस्टीरिया

  • कैंसर रोकने वाली – ‘करक्यूमिन’ इसमें पाई जाती है| कैंसर चिकित्सा में रेडियोएक्टिव एलिमेंट प्रयोग में लाए जाते हैं | गोमूत्र में विद्यमान सोडियम, पोटेशियम , मैग्नीशियम, फास्फोरस, सल्फर आदि  में कुछ लवण विघटित  हो कर रेडियोएक्टिव एलिमेंट का  काम करते हैं और कैंसर की अनियंत्रित वृद्धि पर नियंत्रण करते हैं | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं |  अर्क ऑपरेशन के बाद  बच्ची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है |  गोमूत्र में कीमों प्रीवेंटिव गुण होता है |  गोमूत्र में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं| साथ ही यह शरीर में फ्री रेडिकल्स व  ऑक्सीडेंटिव  स्ट्रेस  को खत्म करने में काम करता है|
  • मधुमेह में फायदेमंद – गोमूत्र में एंटी डायबिटीज व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाने के कारण यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है |
  • लिवर का कार्य सुचारू रूप से करता है| गोमूत्र में हाइपोलिपिडेमिक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता  है एवं  यह हेपेटोपोट्रेक्टिव (लिवर को ठीक करने का गुण) होता है|
  • विषैले पदार्थों को बाहर करने में सहायक – गाय का मूत्र अच्छा डिटॉक्स पर है जो आपके रक्त और अंगों में मौजूद सभी प्रकार के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है साथ ही इसमें एंटी यूरोलिथियेटिक (पथरी की सम्भावना  को कम करने वाला) वह डाइयूरेटिक्स, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण के कारण ही यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन से बचा जा सकता है |
  • थायराइड आयोडीन की कमी में सुधार – शरीर में थायराइड का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए ट्राई आयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T 4 ) हारमोंस का उत्पादन जरूरी है | इन हार्मोन का उत्पादन संतुलित मात्रा में हो इसके लिए अच्छा और पर्याप्त आयोडीन का सेवन करना जरूरी है अन्यथा थायराइड का खतरा बढ़ सकता है| गोमूत्र में आयोडीन पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है जो थायराइड की समस्या को रोकने में मदद करता है |
  • जख्म भरने के लिएगाय का मूत्र आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन के उत्पादन को रोकता है | यह कोलेजन  (एक तरह के प्रोटीन का समूह)  टिशू के निर्माण में मदद करता है जिससे जख्मों को भरने में मदद मिलती है | 
  • त्वचा के लिएएंटी माइक्रोनियर, एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से युक्त गोमूत्र का प्रयोग चेहरे और त्वचा के लिए बनाए जाने वाली क्रीम में भी किया जाता है| गोमूत्र का उपयोग एग्जिमा, मुहासे, फुंसियों के लक्षणों  को ठीक करने में भी किया जाता है| 
  • गोमूत्र से लगभग 108 प्रकार के रोग ठीक होते हैं|
  • गोमूत्र चिकित्सा की पुरातनता – अथर्ववेद, चरक संहिता, राज निघंटु , भावप्रकाश निघंटू, अमृत सागर इत्यादि में गोमूत्र से उपचार विधियों का उल्लेख है| 
  • एनीमिया में गौ दूध व गोमूत्र को मिलाकर सेवन करने से खून की कमी में राहत होती है |
  • गोमूत्र पेप्टिक अल्सर और अस्थमा जैसी बीमारियों के उपचार में भी सहायक है |
  • गोमूत्र में एंटीमाइक्रोबल धर्म होने के कारण उसमें विद्यमान यूरिया, क्रियटाइन , ओरम हैड्रॉक्साइड,  कार्बोलिक एसिड ,  फिनाल, कैल्शियम, मैंगनीज इन तत्वों के कारण रोगप्रतिकारक गुणधर्म रहता है|  इससे ई कोली ,सालमोनेला टायफी, प्रोटोज़  वलग्रीज़ , एस अवरएस,  बेसिलस सिरस,  स्टेफिलोकोक्कस एपिडर्मिस, ऐसे रोग पैदा करने वाले विषाणुओं /जीवाणुओं  के खिलाफ यह कारगर है।
  • त्रिदोष संतुलित करने में गोमूत्र से लाभ होता है | वात पित्त कफ के कुल 148 रोग हैं |  इन सभी रोगों को खत्म करने के लिए गोमूत्र का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है| यह वात पित्त और कफ तीनों को सम अवस्था में लाने के लिए सबसे ज्यादा मदद करता है | 
  • टीबी रोग में डॉट्स की दवाओं के साथ गोमूत्र का सेवन करने से दो-तीन महीने में अच्छे परिणाम सामने आने लगते हैं जबकि केवल डॉट्स की गोलियों के साथ टीवी ठीक होने में 9 महीने का समय लगता है |
  • गोमूत्र के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं| साफ-सुथरे वातावरण में रहने वाली, अच्छा हरा चारा खाने, वाली नियमित रूप से घूमने वाली गाय का मूत्र पीना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है शर्त है की गाय देसी हो | अधिक गोमूत्र का सेवन करने पर यह पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है तो इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है |
  • गौमूत्र कांच या स्टील के बर्तन में रखें |
  • गोमूत्र गैस की शिकायत में प्रातः काल आधा कप पानी में गोमूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है| 
  • गोमूत्र के साथ एरंड तेल के प्राशन से संधिवात, वातव्याधि नष्ट होते हैं | 
  • पुरानी खांसी, दमा में दो-चार बूंद नाक में डालने से और प्रतिदिन दो बार पीने से पुराना जुकाम ठीक हो जाता है| 

……क्रमशः

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