जीएसटी से आम जनता को जबरदस्त फायदा, इसलिए कांग्रेस ये बिल नहीं चाहती

केंद्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस की छटपटाहट का ही परिणाम है विपक्षी दल द्वारा संसद में विधेयक पर बहस न कर, अपनी बात न रख पूरा संसद सत्र हंगामे में गुजार दिया जाता है। संसद के कार्य को लगातार बाधित किया जाता है और उनके पार्टी नेता मीडिया के बीच यह अफवाह फैलाते नज़र आते हैं कि नई सरकार में काम ही नहीं हो रहा। वस्‍तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर भी यही हो रहा, चूंकि यह जनहित के लिए काफी राहत भरा विधेयक होगा, इसलिए कांग्रेस इस पर राज्य सभा में समर्थन देने को तैयार नहीं है, क्योंकि कांग्रेस ये नहीं चाहती कि इस देश की जनता का विकास हो।

जीएसटी को अप्रैल से लागू किया जाना है, इसके लिए जरूरी है कि अप्रैल से पहले पारित कराया जाए। लोकसभा में तो पास करा लिया है लेकिन राज्यसभा में हम विपक्षी दलों से सहयोग चाहते हैं, जिस पर खासकर कांग्रेस तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस को यह तो सोचना ही चाहिए कि जीएसटी बिल अगर लागू होगा तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा। यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। जीएसटी के लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो जाएंगे। राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी समाप्त हो जाएगी। दिल्ली से सटे नोएडा, गुड़गांव वाले…  जो कभी गाड़ी यूपी से लेते हैं, कभी हरियाणा या कभी दिल्ली से, जहां भी सस्ती मिल जाए, वो सब चक्कर ही खत्म हो जाएगा। जीएसटी लागू होने पर कंपनियों का झंझट और खर्च भी कम होगा। व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा तो सामान बनाने की लागत घटेगी, इससे सामान सस्ता होने की उम्मीद भी है। इसके अलावा जीएसटी से जो टैक्स मिलेगा, वो केंद्र और राज्य में एक तय हिसाब से बंटेगा। जीएसटी के लागू होने के बाद टैक्स चोरी रुक जायेगी। इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ेगा।

सच है कि भाई नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा प्रस्तावित गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स को 1947 के बाद का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है। कई अर्थशास्त्रियों ने इसके लागू होने के बाद GDP ग्रोथ एक साल में 2-3% बढ़ने की पूरी पूरी आशा व्यक्त की है। चूंकि इससे सीधा आमजन को फायदा पहुंचना  है, इसका संबंध सीधा अर्थव्यवस्था में सुधार से है, इसलिए कांग्रेस इससे बचना चाह रही है। ये दुखद इसलिए है क्योंकि राजनीति का मतलब जनहित होना चाहिए। विपक्षी दल का अर्थ ये कदापि नहीं होना चाहिए कि सरकार और जनहित से जुड़े अच्छे कामों पर भी आप अड़ंगा लगाते रहें। जहां अधिकतर राज्य जीएसटी के लिए तैयार हैं और इसे साल के मध्य में लागू कर जनता को सीधे फायदा देने की पहल हो रही है, ऐसे में कांग्रेस को भी मिलकर कदम उठाना चाहिए।

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