जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आतंकी हमले के बाद यह सोचने पर विवश हैं कि आखिर एक तरफ पाकिस्तान शांति की बातें करता है, तो वहीं ऐसी घटनाओं को अंजाम दिलवाता है, आखिर बार-बार पाकिस्तान हमें क्यों उकसा रहा है ? हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने यह स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम युद्ध की ओर इस मामले को नहीं जाने देना चाहते, लेकिन यह पाकिस्तान को समझ में क्यों नहीं आ रहा ? सूत्रों के मुताबिक, दो घंटे तक भारी फायरिंग के बाद आतंकी (जिनकी संख्या तीन से चार हो सकती है) भाग गए। तलाशी अभियान के दौरान इस पूरे इलाके को घेर कर सर्च ऑपरेशन चलाया गया और बारामूला हाइवे को भी सील किया गया। आतंकवादियों ने बारामूला में सेना के 46 राष्ट्रीय राइफल्स कैंप और इसी से सटे बीएसएफ कैंप पर दो गुटों में लगभग 10.30pm बजे हमला किया। इसके बाद भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें सुनी गईं। यह जगह श्रीनगर से 60 किलोमीटर दूर है। राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को बारामूला की सुरक्षा स्थिति के बारे में सूचित कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है आतंकवादी बीएसएफ शिविर के किनारे तक प्रवेश करने में कामयाब रहे, लेकिन उन लोगों को उरी हमले के यह स्पष्ट बाद हाईअलर्ट पर चल रही सेना और बीएसएफ की भारी फायरिंग का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने झेलम नदी की ओर से घुसपैठ की। पाकिस्तान को हमारी ताकत का अंदाजा बीते 29 सितंबर को सेना के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद ही समझ में आ जाना चाहिए था कि हम अगर चाहें तो पड़ोसी मुल्क को उनके घर में घुसकर खदेड़ सकते हैं। भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर आतंकी लॉन्च पैड्स की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स में लगभग 38 आतंकवादी मारे गए थे। हालांकि हमने ऐसा तब किया जब पाकिस्तान के हथियारबंद आतंकियों ने 18 सितंबर को सेना के उरी शिविर में हमला किया था, जिसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। लेकिन हम किसी बदले की भावना से हमेशा नहीं चल सकते। लेकिन अगर पाकिस्तान हमें यूं ही उकसाता रहा तो पड़ोसी मुल्क को इसका अंजाम भारी पड़ सकता है।