स्वास्थ्य नीति- नीयत – रणनीति, पुनर्विचार की जरूरत (2)

भारत में स्वास्थ्य स्थिति –

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा अनुशंसित 1000 लोगों के लिए एक डॉक्टर होना चाहिए भारत में 11500 लोगों के लिए एक डॉक्टर है|
  • प्रति व्यक्ति के हिसाब से स्वास्थ्य सेवाओं पर मात्र 1657 रुपए खर्च होते हैं जबकि मलेशिया में 29260, चीन में ₹22540, इंडोनेशिया में ₹7560,  श्रीलंका में ₹6140 खर्च होता है।
  • नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल 2018  के आंकड़ों के मुताबिक देश में केवल 23582 सरकारी अस्पताल हैं जिनमें लगभग 710716 बेड हैं| इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के 279588 बेड वाले 19810 अस्पताल शामिल हैं| वहीं शहरी क्षेत्रों में 431175 बेड वाले 3772 अस्पताल हैं| इसके अलावा 2900 रक्त बैंक हैं| देश में 10 लाख की आबादी पर मुश्किल से तीन ब्लड बैंक हैं|
  • पब्लिक हॉस्पिटल बेड 73% शहरी क्षेत्रों में विद्यमान हैं जबकि भारत की 69% जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में निवास करती है|
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में 14 लाख डॉक्टरों की कमी है इसके बावजूद हर साल केवल 5500 डॉक्टर भर्ती हो पाते हैं| देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 50 फ़ीसदी से ज्यादा कमी है|
  • 483 लोगों पर एक नर्स होनी चाहिए पर अभी भारत में 1000 लोगों पर एक नर्स है| देश में प्रति 1000 लोगों के लिए 0.7 बेड ही उपलब्ध हैं|
  • देश में प्रति एक लाख लोगों पर आईसीयू बेड 2.3 हैं| चीन में 3.6 है, अमेरिका में 34.7 है, जर्मनी में 29.6 है|
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में 156231 स्वास्थ्य उप केंद्र, 25650 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5624 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 779 जिला अस्पताल, 11008 डिविजनल अस्पताल हैं|
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 20 से 30 हजार आबादी के लिए बनाया जाता है| उप स्वास्थ्य केंद्र यह गांव के स्तर पर स्वास्थ्य चौकियां हैं| एक उपकेंद्र 5000 लोगों को सेवा देता है| पहाड़ी, आदिवासी, रेगिस्तानी इलाकों में या आबादी 3000 की होती है| आमतौर पर पांच या छह उप केंद्र एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़े होते हैं|
  • सामुदायिक स्वास्थ्य उप केंद्रों में 70% तक पद रिक्त हैं|
  • भारत के स्वास्थ्य सेवाओं में निजी क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है| एमर्गो एक बहुराष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण कंपनी के अनुसार सार्वजनिक और निजी हेल्थ केयर की भागीदारी का अनुमान निम्न प्रकार से है-

सार्वजनिक क्षेत्र            निजी क्षेत्र

भारत            30                   70  

चीन             56                  44  

ब्राजील           46                  54

            यूरोप            78                  22

  • रिसर्च एजेंसी ‘अन्सर्ट एंड यंग’  के द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में 80 फ़ीसदी शहरी और करीब 90 फ़ीसदी ग्रामीण नागरिक अपने सालाना घरेलू खर्च का आधे से अधिक हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च कर देते हैं|
  • पूरे देश में सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल 60000 अस्पताल हैं| भारत सरकार की अस्पताल प्रमाणित करने वाली एजेंसी NABH, MQASसे मात्र 1308 अस्पताल ही प्रमाणित हैं|
  • 2017 के मुताबिक देश में कुल 1041395 रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर हैं| देश में कुल 9 एम्स, 476 मेडिकल कॉलेज हैं| यह बात सही है कि गत 4 साल में 13000 सीटें बढ़ी हैं पर इसके  बावजूद डॉक्टरों की आवश्यकता अधिक है|
  • भारत में आरोग्य क्षेत्र के लिए सरकार केवल चार से 5% खर्च करती है इसकी तुलना में जापान 11%, नेपाल 6% खर्च करता है| इसमें रुग्ण सेवा, आरोग्य बीमा, आरोग्य क्षेत्र की मूलभूत सुविधा, कर्मचारी वेतन यानी सरासरी प्रति व्यक्ति खर्च माना जाता है|
  • जीडीपी के हिसाब से देखें तो अपनी जीडीपी का भारत स्वास्थ्य सेवा पर 1.3%, ब्राजील 8.3%, रूस 7.1%, नेपाल 5.8% खर्च करता है| जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से स्वास्थ्य पर खर्च किए जाने का मानक जीडीपी का 5% है|

भाजपा सरकार द्वारा घोषित स्वास्थ्य नीति 2017

भाजपा सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को घोषित किया| यह स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि है| विदित हो की पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 में बनाई गई थी| इस प्रकार यह स्वास्थ्य नीति बदलते सामाजिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान के परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद बनाई गई| नई स्वास्थ्य नीति के व्यापक सिद्धांत, व्यवसायिकता, सत्यनिष्ठा और नैतिकता, निष्पक्षता, सामर्थ्य, सार्वभौमिकता, रोगी केंद्रित तथा परिचर्या गुणवत्ता, जवाबदेही और बहुलवाद पर आधारित है| इसकी विशेषताएं प्रकार से देखी जा सकती हैं 

  • स्वास्थ्य नीति के तहत अगले 5 वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% जन स्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा जो मौजूदा 1.3% है|
  • नई स्वास्थ्य नीति के तहत जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 साल से बढ़ाकर 2025 तक 70 साल करने का लक्ष्य, अकाल मृत्यु दर को 25% कम करने, साल 2025 तक 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर कम करके 23 का लक्ष्य रखा गया है| नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म वाली शिशु दर को वर्ष 2025 तक घटाकर एक अंक में लाना है|
  • नई स्वास्थ्य नीति में 2025 तक दृष्टिहीनता व्याप्तता घटाने और इसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई करने का प्रस्ताव है| इसका उद्देश्य प्रति 1000 आबादी के लिए 2 बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है|
  • इस नीति में स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने और औषधियों एवं उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई क्योंकि इसमें लगने वाले अधिकतर सामग्री मशीनरी विदेशों से आयात होती है|
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल मानक संगठन का सृजन किया जाएगा जो स्वास्थ्य देखभाल के लिए दिशानिर्देश और प्रोटोकाल तैयार करेगा|
  • विवादों और शिकायतों के समाधान के लिए अलग सशक्त न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान है|
  • आयुष प्रणाली के त्रिआयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है|
  • योग को अच्छे स्वास्थ्य के संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों और कार्य स्थलों में अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जाएगा|


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