नरसंहार.. जबरन खतना.. सामूहिक धर्मपरिवर्तन और सामूहिक बलात्कार का मजहबी सिलसिला जारी है मानवाधिकार मौन है विश्व की सभी न्याय वादी सरकारें मौन है और भारत तो मौन है ही, यह बडी समस्या है हिन्दू को एक दायरे में कैद कर उसके आस्तिव को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। क्या हिन्दूओं को जीने का अधिकार नही है।
सच ही है।
“जब किसी देश में इस्लामिक फोर्सेज का कब्जा हो जाता है और उस देश में रहने वाले गैर मुसलमान जजिया देने को तैयार हो जाते हैं तो उन गैर मुसलमानों के खून पर भी मुसलमानों का पूर्ण अधिकार हो जाता है” (ये ऐतिहासिक कथन इस्लामिक विद्वान फखरे मुदब्बिर का है जो उसने अपनी किताब आदाबुल हर्व वश्शुजाअत में लिखा है… फखरे मुदब्बिर अफगानिस्तान के गजनी का निवासी था और लाहौर में कुतबुद्दीन ऐबक की ताजपोशी के वक्त ऐबक के दरबार में मौजूद था। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के द्वारा प्रकाशित करवाई गई किताब आदि तुर्क कालीन भारत में इस किताब का अनुवाद मौजूद है)फखरे मुदब्बिर का ऐतिहासिक कथन बताने का मकसद ये है कि आप सभी लोगों को ये पता चले कि इस्लाम अपने कब्जे वाले इलाके में रहने वाले गैर मुसलमानों के बारे में क्या सोच रखता है ?
बांग्लादेश में आज वही हो रहा है जो फखरे मुदब्बिर और उसके जैसे सैकड़ों इस्लामिक विद्वानों… उलेमाओं और मौलानाओं ने बार बार कहा है… कि काफिरों के खून पर भी मुसलमानों का हक होता है… इसीलिए अपने कब्जे वाले इलाके में मुसलमान काफिर औरतों का अपरहरण करके उनका जबरन सामूहिक बलात्कार करते हैं… उनके पतियों की हत्या कर देते हैं… बच्चों का खतना कर देते हैं… बांग्लादेश में इस वक्त फखरे मुदब्बिर की इसी इस्लामिक युद्धनीति को पूरे विधि विधान से फॉलो किया जा रहा है ! काफिरों का दमन वो मजहबी दायित्व और कर्तव्य है जिनको हर बांग्लादेशी मुसलमान इस वक्त फॉलो कर रहा है ।
बांग्लादेश में इस सबसे बड़े सामूहिक नरसंहार और बलात्कार को पूरे योजनाबद्ध तरीके से शुरू किया गया है । अफगानिस्तान में तालिबान राज के आने के बाद बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों के हौसले बुलंद हो चुके हैं… जमात ए इस्लामी…हिफाजत ए इस्लाम और..खालिदा जिया की बीएनपी के लोकल लेवल के मुजाहिदों और मोमिनों ने हिंदुओं का खून पानी की तरह बहा दिया है -इसकी शुरुआत की गई है नवरात्रि के पर्व पर… महाअष्टमी के दिन जब कुछ बचे कुछ अल्पसंख्यक हिंदुओं ने दुर्गा मां की मूर्तियों की स्थापना की और पूजा पाठ शुरू किया तो वहां मौजूद पाक और पांच वक्त के नमाजी पक्के मुसलमानों को बुरा लगा और उन्होंने दुर्गा पंडालों को तोड़ डाला… मूर्तियों को खंडित कर दिया… मंदिरों को आग के हवाले कर दिया… और हिंदू बहन बेटियों का वस्त्र हरण कर लिया ।
बांग्लादेश के चांदपुर जिले में ये हिंसा शुरू हुई… हर जगह एक ही पैटर्न देखा गया… पहले अचानक मोमिनों और पांच वक्त के नमाजियों की भीड़ इकट्ठा हुई और फिर इस्लाम के नारे बुलंद किए गए… हिंदू कम्युनिटी के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए गए… उनकी बहन बेटियों को भद्दी भद्दी गालियां दी गईं और फिर हिंसा और तोड़फोड़ की गई । जिस वक्त ये सबकुछ हुआ…वहां हिंदू कम्युनिटी के कुछ लोग ही थे…लेकिन भीड़ के सिर पर तो जैसे खून सवार था…।बांग्लादेश की पुलिस ने भी मोमिन दंगाइयों पर कोई एक्शन नहीं लिया… पुलिस हिंदुओं के खिलाफ दंगाइयों का सहयोग कर रही थी… बाद में पुलिस ने ही बताया कि चांदपुर के हाजीगंज में जो हिंसा हुई…पथराव के बाद जो भगदड़ मची…उसमें चार लोगों की मौत हो गई….इसके अलावा कई लोग जख्मी भी हो गए… चांदपुर के बाद कुरीग्राम में उलीपुर में भी कई मंदिरों में तोड़फोड़ की गई…देवी देवताओं की मूर्तियों को अपमानित किया..उन्हें क्षत विक्षत किया..और फिर एक मंदिर में आग लगा दी… और हिंसा का खुल्ला खेल हुआ ।
बांग्लादेश की पुलिस मरने वाले हिंदुओं की संख्या को कम करके बता रही है…