हजारों साल पुरानी एक समृद्ध सभ्यता है। आज भारत दुनिया का सबसे नौजवान देश है। भारत सबसे बड़ी पूंजी उसके नौजवान हैं। इस समय जब दुनिया के सारे देश बूढ़े हो रहे हैं और उसकी आबादी कम हो रही है भारत का नौजवान और कुशल कार्यबल कई दशकों तक दुनिया के लिए एक संपत्ति रहेगा।
आज भी भारतवंशी और प्रवासी जहां कहीं भी बसे हैं अपने अपनाए गए देश की समृद्धि में योगदान दे रहे हैं। हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही साथ ही हमारी सामाजिक व आर्थिक विकास भी अनूठी है। हमारी कामयाबी दुनिया को यह दिखाएगी कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है इसके साथ ही यह उम्मीद भी स्वाभाविक है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संस्थाओं में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को उसका उचित स्थान मिलेगा, यह बात भारत के प्रधानमंत्री ने कहीं।प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि भारत फिर से अपना उचित स्थान हासिल कर रहा है प्राचीन काल से दुनिया की आर्थिक प्रगति तकनीकी उन्नति और मानव विकास के मामले में भारत अग्रणी मोर्चे पर रहा है ।
दुनिया के सामने आर्थिक मंदी खाद्य सुरक्षा महंगाई सामाजिक तनाव जैसी बहुत सी चुनौतियां हैं। ऐसे में हमारे देश के लोगों का जो आप विश्वास बढ़ा है और दुनिया में उचित स्थान पाने के लिए जो बेचैनी है वह भविष्य को लेकर बड़ी उम्मीद बनाती है ।हमारी आबादी का स्वरूप लोकतंत्र में हमारी गहरी जड़ें और हमारी आस्था की चेतना यह सब हमें भविष्य की ओर ले जाने का रास्ता दिखाएगी, कमजोर लोगों की उम्मीदों को आवाज देकर वैश्विक शांति और समृद्धि कायम करने की चुनौतियों का मुकाबला करने और ज्यादा सामंजस वाले विश्व का निर्माण करने की जिम्मेदारी को हम समझते हैं।
विपक्षी सक्रियता मे भारत का गहरा विश्वास है, अंतरराष्ट्रीय सोलर एलाइंस, एक सूर्य, एक विश्व ,एक गरीब की पहल आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के गठजोड़ भारत की हिंद प्रशांत सागर पहल, वगैरह ऐसे कई उदाहरण हैं। यह इसी तरह सबसे ज्यादा देशों को भारत में अपने कॉमेंट वैक्सीन बेची और अपने ओपन सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म कोविद को दुनिया के साथ साझा किया। जैसे जैसे भारत और विकास करेगा, दुनिया की बेहतरीन में भारत का योगदान और बढ़ेगा। दूसरों के खिलाफ दावेदारी या विश्व व्यवस्था को चुनौती देने के बजाय, हमारी क्षमता और हमारे संसाधन मानवता को और अच्छा बनाने में लगेंगे।
जिसे एक अच्छी पहल कहा जा सकता है।
नौजवानों को भारत की सॉफ्ट पावर कहा जा सकता है, उसका आधार भारत की सभ्यता के संस्कार और हमारी विरासत है जो हमारे पास यह भरपूर है हमने कभी युद्ध और शोषण का निर्यात नहीं किया, बल्कि योग, आयुर्वेद, अध्यात्म ,विज्ञान, गणित और खगोल शास्त्र को पूरी दुनिया में भेजा। हम हमेशा विश्व शांति और प्रगति में योगदान देते हैं ।हम मानते हैं कि भले ही हम ने प्रगति की और आधुनिक राष्ट्र बन गए, पर हमें अपने अतीत से प्रेरणा लेनी चाहिए। भारत की सभ्यता और संस्कृति को लेकर आज पूरी दुनिया में दिलचस्पी फिर जग रही है ।लोग योग को घर-घर तक पहुंचा रहे हैं ।आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ी है। भारत के सिनेमा संगीत नृत्य और भोजन की पूछताछ पूरी दुनिया में होती है ।शांति खुलेपन सद्भाव और सजीवन हमारे मूल्य हमारी जीवंत लोकतंत्र हमारी संस्कृति और दर्शन की समृद्धि शांतिपूर्ण और निष्पक्ष विश्व के लिए हमारी लगातार कोशिशें, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और शांति के लिए हमारी प्रतिभा यह सब हमारे साथ पावर के स्तंभ है।
भारत को न तो कुछ और मानकर चलना चाहिए और ना ही किसी पद को हथियाना चाहिए। वास्तव में हमें एकजुट होकर सामूहिक ताकत से सामूहिक नेतृत्व की कोशिश करनी चाहिए ताकि इसकी आवाज ताकतवर हो और पूरा समुदाय अपना नेतृत्व कर सके सामूहिक नेतृत्व तैयार करने के लिए भारत को नेता का पद के लिए नहीं सोचना चाहिए और हम ऐसा सोचते भी नहीं है ।यह भी सच है कि दक्षिण को उसके अधिकार लंबे समय से नहीं मिले हैं जिसकी वजह से इसके सदस्यों में गुस्सा है और वह इसे लेकर कुछ करना चाहते हैं लेकिन जब फैसले का वक्त आता है तो उनका मौका नहीं मिलता और ना ही उनके लिए कोई आवाज मिलती है।
मैं मानता हूं कि अगर लोकतंत्र की सही भावना के अनुसार दक्षिण विश्व का सम्मान करें और उसे सम्मान दे तो पूरी दुनिया ज्यादा ताकतवर और मजबूत समुदाय में बदल जाएगी इससे विश्व व्यवस्था में एक नया भरोसा भी कायम होगा।दक्षिणी विश्व में भारत अपने आप को कैसे रखता है। इस बात पर निर्भर करता है भारत को उस मजबूत कंधे की तरह देखता हूं। जिसके सहारे दक्षिणी विश्व की छलांग लगा सकता है ।भारत दक्षिणी विश्व को उत्तरी विश्व से जोड़ सकता है ,अगर उत्तर और दक्षिण के बीच एक मजबूत पुल होगा तो दक्षिणी विश्व मजबूत होगा। इस बात का जिक्र प्रधानमंत्री ने भी किया।