लिथियम को लेकर पहल

लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि भारत अपने लिथियम जैसे अनमोल खजाने को तराशने के लिए दुनियाभर से मदद मांग रहा है और अब उसको सफलता मिलनी भी शुरू हो गई है । इस क्षेत्र में साझेदारी की तलाश में भारत कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है। दरअसल भारत अपने बिल्कुल नए ‘लिथियम खनन और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री’ को बढ़ावा देना चाहता है। इसके लिए वह चीन पर से निर्भरता कम करना चाहता है। यही वजह है कि भारत लिथियम खनन में दूसरे देशों से टेक्निकल मदद मांग रहा ताकि चीन पर भरोसा न करना पड़े।

रिपोर्ट में भारत सरकार और इंडस्ट्री से जुड़े चार सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत के खान मंत्रालय (Ministry of Mines) ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ चर्चा शुरू की थी। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार और कुछ निजी कंपनियों ने बोलीविया, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी मदद मांगी है। रूस के अधिकारियों ने भारत सरकार से संपर्क किया। उन्होंने इस साल भारतीय अधिकारियों के साथ कम से कम दो बैठकें की हैं। इन बैठकों में लिथियम प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी और भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग की संभावना की पेशकश की गई। बता दें कि TENEX रूसी सरकार के स्वामित्व वाली परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम का हिस्सा है।

भारत द्वारा इतने बड़े स्तर पर चर्चा दर्शाती है कि देश लिथियम खनन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बहुत तेजी से प्रयास कर रहा है। इन प्रयासों में सफलता मिलना तय है। अगर भारत लिथियम खनन में महारत हासिल कर लेता है तो इससे घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि ईवी में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों में लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है। ईवी इंडस्ट्री बढ़ेगी तो भारत को अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और तेल निर्भरता में कटौती करने में मदद मिलेगी। सरकार ने कहा, “भारत को लिथियम को प्रोसेस करने के लिए टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है और हम उन अन्य देशों के साथ सहयोग करना चाह रहे हैं जिनके पास कुछ अनुभव है। हम आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रख रहे हैं और इसका एक तरीका साझेदारी है।

पिछले साल राजस्थान में लिथियम के भंडार की एक बड़ी मात्रा की खोज की गई थी, जो अकेले देश की 80 प्रतिशत मांग को पूरा कर सकता है। वर्तमान में भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन पर निर्भर है, जो कंज्यूमर इलेक्ट्रिक सामानों के साथ-साथ ईवी बैटरी के निर्माण में एक प्रमुख घटक है। लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। पिछले साल, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने जम्मू-कश्मीर के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन लिथियम के अनुमानित संसाधन स्थापित किए थे।

सरकार ने महत्वपूर्ण खनिज को लेकर समिति गठित की है। समिति दुर्लभ खनिजों के व्यावहारिक तरीके से खनन को लेकर कानूनी उपायों के बारे में सिफारिश करेगी। इस बीच केंद्र सरकार लिथियम खनन को लेकर नीलामी की प्रक्रिया में है। ईलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता ओला इलेक्ट्रिक, श्री सीमेंट, सरकारी कंपनी कोल इंडिया, खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड और जिंदल पावर जैसी कंपनियां महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों के लिए बोली लगाने वालों में शामिल हैं। जिनकी शॉर्टलिस्ट जुलाई तक होने की उम्मीद है। लिथियम खनन अधिकारों के लिए बोली लगाने वाली कुछ कंपनियों ने रिफाइनिंग प्लांट स्थापित करने के लिए दूसरे देशों की कंपनियों से तकनीकी मदद मांगी है। श्री सीमेंट एक ऑस्ट्रेलियाई फर्म के साथ बातचीत कर रही है, जो लिथियम रिफाइनरी के लिए तकनीकी सहायता मांग रही है, जिसकी लागत 600 मिलियन डॉलर से 700 मिलियन डॉलर के बीच होगी।

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