कश्मीर से रूबरू होना भी जरूरी है।

जब से देश का विभाजन हुआ है तब से कश्मीर में बवाल मचा हुआ है और अब तक की सरकारें इसे हवा देकर इसके नाम पर कई सौ करोड रुपये पानी में बहा चुकी है या डकार चुकी है। सही मायने में देखा जाय तो वहां के इस सरहद पार पाकिस्तान मुस्लिम देश है जो कि उसे समर्थन कर रहा है और सारी चीजें भारत में अस्थिरता फैले इस लिये दे रहा है । आतंक फैल रहा है और उसे शांत करने के नाम पर करोडो रूप्ये बर्बाद हो रहें है।

वैसे देखा जाय तो भारत के अधिकार में कश्मीर का कुल क्षेत्रफल (पाक अधिकृत कश्मीर को छोड़कर)= 85000 वर्ग कि० मी0० है,जिसका 85ः हिस्सा मुस्लिम बहुल नहीं है।  १- कश्मीर  15,  2- जम्म   26,   3-लद्दाख  59, कुल आबादी 1.25 करोड़ कश्मीर  69 लाख( 55लाख कश्मीरी भाषी,13 लाख गैर कश्मीरी भाषी)  जम्मू-53 लाख,डोगरी, पंजाबी, हिंदी लद्दाख-0.3लाख, लद्दाखी भाषी इनमें 7.50 लाख लोग वे सम्मिलित नहीं है जो विस्थापित हो चुके हैं या नागरिक नहीं है। कुल जिलों की 0 संख्या 22 जिनमें से केवल 5 जिले अलगाववादियों से ग्रसित है ।1 -श्रीनगर  2- अनंतनाग   3-  बारामूला, 4- कुल ग्राम  5- पुलवामा बाकी 17 जिले भारत के समर्थक हैं। इस प्रकार केवल 15 प्रतिशत आबादी में अलगाववादी हैं, जो कि केवल सुन्नी मुसलमान ही हैं, और ये पांचों डिस्ट्रिक्ट पाकिस्तानी बॉर्डर या एल ओ सी से दूर है। यहां पर 14 प्रकार के अन्य धर्मों या प्रकार के लोग भी रहते हैं जो भारत के पूर्ण समर्थक हैं । शिया ,डोगरा ,राजपूत ,ब्राह्मण ,महाजन, कश्मीरी,पंडित,गुर्जर, बक्करवाल पहाड़ी,सिख, ब्लातिस्त, लद्दाखी ,क्रिश्चियन व अन्य भी बहुत सारे संप्रदाय के लोग रहते हैं। जिनकी मातृभाषा डोगरी गुजरी पंजाबी लद्दाखी और पहाड़ी आदि हैं ।

इसके अलावा सिर्फ 33प्रतिशत कश्मीरी भाषी लोग ही हुर्रियत मिलिटेंट्स ,पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस से संबंध रखते हैं ।उन्हीं 33प्रतिशत  लोगों के हाथों में ही कश्मीर का व्यापार, प्रशासन ,शासन और संपूर्ण कृषि का व्यवसाय है, और यही 33प्रतिशत मुस्लिम आबादी का सुन्नी ही उग्रवाद फैलाता है ।बाकी 69 प्रतिशत शिया मुसलमान,  वंचित है , भारत समर्थक है ।शिया 12प्रतिशत,   गुर्जर 14प्रतिशत , पहाड़ी मुस्लिम, बुद्धिस्ट, पंडित ,सूफी, क्रिश्चियन ,हिंदू ,जम्मू डोगरी 45प्रतिशत पाकिस्तान के विरुद्ध है। पत्थरबाजी ,पाकिस्तानी झंडा लहराना, भारत विरोधी प्रदर्शन केवल इन्हीं 5 डिस्टिक तक सीमित है । बाकी 17 डिस्ट्रिक्ट के लोग कभी भी इन देशद्रोही प्रदर्शनकारियों के साथ नहीं रहे ।यह केवल भारत विरोधी मीडिया व देशद्रोही राजनीतिक लोग ही हैं जो भारत विरोधी नफरत फैलाते हैं ।

सबसे खास बात यह है कि जितने अलगाव वादी कुल कश्मीर में नहीं है उससे ज्यादा तो दिल्ली में बैठकर शोर मचाते हैं, और इन को हवा देते हैं ।कश्मीरी सुन्नियों के भी केवल 15ः लोग ही भारत विरोधी हैं। इस पर अब भारत सरकार जो कि पहली राष्ट्रभक्त सरकार है उसे काम करने की जरूरत है ताकि देश के लोगों को यह पता चल सके कि अब तक वहां होता क्या है। प्रत्येक भारतवासी क पहुंचाएं जिससे कि सभी भारतीय एकजुट हो व भारत की एकता अखंडता व संप्रभुता बनाए रखने के लिये देशद्रोहियों व नफरत फैलाने वालों की मुंह पर तमाचा लगाया जा सके।

सिर्फ श्रीनगर, अनंतनाग , बारामूला,, कुल ग्राम, पुलवामा जिलों को समझ ले तो कश्मीर से आतंकवाद खत्म हो सकता है लेकिन इसे जिन्दा क्यों रखा गया है यह बात अभी भी समझ से परेय है। दूसरी बात कि कश्मीर का श्रीनगर राजघानी क्यों है जब लद्दाख की सीटें और क्षेत्रफल वहां का ज्यादा है तो वहां होनी चाहिये । वोट भी ज्यादा है उसे भी दरकिनार किया जा रहा है।हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है तो मुस्लिमों का तुष्टीकरण क्यों ? बाकी जनता को बदनाम कराना और आतंक वाद का ठिकरा फोडना कहां तक उचित है।

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