गृह मंत्री ने अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि देश में तीन नए कानून लागू होने के बाद से कई बदलाव हुए हैं।
इसमें एफआईआर दर्ज होने के बाद से तीन वर्ष के अंदर सुप्रीम कोर्ट से न्याय उपलब्ध होगा। आने वाला दशक भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे वैज्ञानिक तेज बनाने वाला है।यही नहीं, आगामी संविधान दिवस यानी 26 नवंबर तक देश की जेलों में ऐसा एक भी कैदी नहीं रहने वाला जो एक तिहाई सजा काट चुका होगा।
राष्ट्रीय रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय एवं पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की ओर से आयोजित इस समारोह में शाह ने कहा कि देश व दुनिया के समक्ष अगले दशक में पांच क्षेत्र- साइबर क्राइम, सीमाओं से होने वाली घुसपैठ, ड्रोन, नारकोटिक्स व डार्क नेट सबसे ज्यादा चुनौती होने वाला है।कानून के रखवालों को कानून से खिलवाड़ तोड़ने वालों से दो कदम आगे रहना होगा।
गृह मंत्री के अनुसार, अंग्रेजों ने 150 वर्ष पहले अपने हिसाब से कानून तैयार किए थे। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इन कानूनों में काफी परिवर्तन किया।देश के नागरिकों की सुरक्षा मुहैया करते हुए उनके संवैधानिक हकों को तय करने का काम किया है। पुलिस कार्रवाई से लेकर अदालत की प्रक्रिया को समय बद्ध कर दिया गया है।तीन नए कानून लागू होने के बाद अब देश के नागरिकों को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उच्चतम न्यायालय तक तीन वर्ष में उपलब्ध होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास रहेगा कि एक भी कैदी अपनी सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरे करेगा तो वह न्याय पाने से वंचित न रहेगा।आपको बता दें कि तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्यास संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) इस वर्ष एक जुलाई से लागू हुए हैं।
फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा हमारा बहुत बड़ा परिवार है। इस व्यवस्था को अपग्रेड करने को लेकर अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन में मौजूद 250 लोगों पर बड़ी जिम्मेदारी है। अगले एक दशक में भारत का आपराधिक न्यायिक सिस्टम दुनिया का काफी बेहतर होगा।