केजरीवाल के पास बेशक राजनीति में 10-12 सालों का ही अनुभव है लेकिन उनके हाल में लिए कई फैसले बड़े-बड़े दिग्गजों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि अब ये क्या कर दिया? केजरीवाल एक बार फिर से विपक्षी पार्टियों को दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में पानी पिलाने का प्लान तैयार कर रहे हैं लेकिन इस प्लान में उनके करीबी ही उनका खेल बिगाड़ते प्रतीत हो रहे हैं। एक के बाद एक करीबी केजरीवाल का साथ छोड़ रहे हैं।
केजरीवाल बेशक अपने फैसलों के जरिये राजनीति का चतुर-चालाक खिलाड़ी बनना चाह रहे हैं लेकिन, शायद वह भूल जाते हैं कि दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में उनके सामने बीजेपी के रूप में एक ऐसा खिलाड़ी और टीम है, जिसके पास हर परिस्थिति के लिए अलग योजना और रणनीति पहले से ही तैयार हो जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल अपने फैसले की वजह से चतुर और चालाक साबित होंगे या फिर बीजेपी के जाल में फंस जाएंगे?
हाल के दिनों में अरविंद केजरीवाल ने पांच ऐसे फैसले लिए हैं, जिसको बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकती है. पहला, दिल्ली सरकार पुराने शराब कानून की जगह नई शराब नीति क्यों लेकर आई? अगर लाई तो फिर वापस क्यों ले लिया? दूसरा, जब केजरीवाल सीएम रहते जेल में छह महीने रह सकते हैं तो जेल से बाहर आने के बाद सीएम पद से इस्तीफा क्यों दिया? तीसरा, जब मंत्रिमंडल में कैलाश गहलोत नंबर-2 थे, तो फिर आतिशी को दिल्ली का सीएम क्यों बनाया? चौथा, बीते लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस के साथ गठबंधन था तो विधानसभा में गठबंधन के साथ लड़ने से परहेज क्यों? और आखिर में पांचवां, राजकुमार आनंद और कैलाश गहलोत ने ‘शीशमहल’ और भ्रष्टाचार का मुद्दा क्यों बनाया।
आप से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन करने वाले कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने सीएम आवास से जुड़े विवाद से लेकर भ्रष्टाचार तक कई मामलों को जिक्र किया है। कैलाश गहलोत का दिल्ली देहात इलाके में अच्छी पकड़ है। शायद कैलाश गहलोत के जाने से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए ही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली देहात के एक और विधायक रघुविंदर शौकीन को मंत्री बनाया।
कुल मिलाकर, अरविंद केजरीवाल जाट की जगह जाट और दलित की जगह दलित की पॉलिटिक्स कर बीजेपी को करारा जवाब देना चाह रहे हैं लेकिन बीजेपी के पास भी आने वाले दिनों में अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए कई प्लान बनकर तैयार हैं।