मनरेगा योजना की गतिविधियों को कृषि कार्य से सीधा जोड़ने के संदर्भ में माननीय कृषि मंत्री जी को पत्र

श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी,

माननीय कृषि मंत्री

भारत सरकार

विषय : मनरेगा योजना की गतिविधियों को कृषि कार्य से सीधा जोड़ने के संदर्भ में|

महोदय,

सादर नमस्कार,

भाजपा की केंद्र सरकार बधाई के पात्र है | कुछ समय पहले वर्तमान कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने हेतु करीब 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया गया है| वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने पैकेज की दूसरी किस्त की घोषणा करते हुए 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन मनरेगा के लिए घोषित किया है | मनरेगा के तहत मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी में ₹20 की औसत वृद्धि की गई |

वैसे केंद्रीय बजट 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत ₹61000 देने का प्रावधान किया था| इसमें ₹40 हज़ार करोड़ की अतिरिक्त राशि देने की घोषणा के साथ इस साल के लिए योजना के तहत आवंटित राशि 1,01500 करोड़ रु. हो गई है जिसमें से ₹11500 करोड़ पिछले वर्ष के बकाए भुगतानों के लिए खर्च किया जाएगा| बकाया राशि को अलग निकाल दें तो भी मनरेगा योजना पर अनुमानित खर्च ₹90000 करोड़ होगा| मनरेगा में मजदूरों को पहले मजदूरी ₹182 मिलती थी जो अब बढ़कर ₹202 मिलेगी उपरोक्त दोनों निर्णय मजदूरों के लिए लाभदाई हैं|

मनरेगा के तहत होने वाले कार्य में चलने वाले भ्रष्टाचार के किस्से अनेक राज्यों में हैं | इस योजना में मशीनरी का प्रयोग वर्जित है और किसी भी कीमत पर ठेकेदारों अथवा श्रम विस्थापन मशीनरी का इस्तेमाल नहीं होने की स्पष्ट सूचना के बावजूद भी भ्रष्ट तंत्र में लिप्त अनेक लोगों की लिप्तता के कारण कागजी कार्यवाही होती रहती है |

इस मनरेगा के संबंध में समय-समय पर संसद में स्थाई समिति के समक्ष मनरेगा में चलने वाले भ्रष्टाचार की बातें उठती रही हैं|

भाजपा की केंद्र सरकार ने आधुनिक तकनीकी इस्तेमाल, सोशल ऑडिट, मनरेगा के अंतर्गत कामों के प्रकारों में बदलाव जैसे अनेक पहलुओं द्वारा काफी सुधार किया है |

साधारणतः खरीफ, रबी में कटाई, बुवाई के सीजन के समय गांव में खेती में मजदूरों की अनेक जगह पर कमी दिखाई देती है | इस समय कृषि कार्य के लिए किसानों को मजदूरों की जरूरत होती है और उसके लिए उन्हें बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है विशेष रूप से सीमांत और मझोले किसानों को |

कोरोना संकट से देश दुनिया में एक विचित्र स्थिति पैदा हुई है | बड़े पैमाने पर शहरों में कार्य करने वाला मजदूर अपने अपने गांव लौटा है | कुछ समय बाद बरसात शुरू होगी और खेती बाड़ी का कार्य गति पकड़ेगा | ऐसे समय में आप सोचकर पहल करें कि मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्य केवल खेतीबाड़ी से संबंधित होंगे | मनरेगा मजदूरों को किसान उनकी खेतीबाड़ी से जोड़कर काम करवाना सुनिश्चित करेंगे तो किसान आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी मदद मिलेगी | फसल के उत्पाद मूल्य में काफी कमी आएगी और खरपतवार नाशक दवा का इस्तेमाल कम होगा |

कृपया आप इस विषय पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें यह विनंती |

                                                                      भवदीय,

                                                                                संजय विनायक जोशी

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