माँ भारती का वक्षस्थल लगातार दूसरी बार लहूलुहान

uri_encounterअभी देश पठानकोट का घाव ठीक से भूल भी नहीं पाया कि पड़ोसी देश के प्रायोजित आतंकवाद का दूसरा दंश माँ भारती के सम्मान को आहत कर गया। हमारे लिए यह शौर्य का नहीं अपितु विषाद का विषय है। सहिष्णुता की एक सीमा होती है। हम अपनी श्रेष्ठता और उदारता का परिचय देने में व्यस्त रहें और शत्रु हमारी मान-मर्यादा को धूसरित करता रहे, यह उदारता नहीं अपितु हमारी कमजोरी प्रदर्शित करने वाला है। मैं नहीं कहता कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन का जिस प्रकार वध किया उसी प्रकार का कोई कठोर कदम हमारे द्वारा उठाया जाये किन्तु इतना तो अवश्य है कि यदि अब भी इसका समुचित प्रतिकार न किया गया तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के सम्मुख शर्मिन्दा होने से विमुख नहीं हो सकते। पठानकोट की घटना भारत के प्रधानमन्त्री की सौहार्द यात्रा के ठीक उपरान्त घटित हुई और हमारे 17 जवानों की नृशंसतापूर्वक हत्या हमारे प्रधानमन्त्री के जन्मदिन के ठीक उपरान्त घटित हुई। इसमें सन्देह नहीं कि हमारे प्रधानमन्त्री की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय छवि और प्रतिष्ठा के कारण देश इन दो वर्षों में जितना सशक्त होकर उभरा है उसके प्रति कुछ कुण्ठाएं भी उनका प्रतिकार करने में लिप्त हो गयी हैं। विश्व पटल पर भारत की छवि को आकाश की ऊँचाइयों तक पहुँचाने का जो श्रमसाध्य कार्य हमारे प्रधानमन्त्री ने किया है उससे पड़ोसी देशों की चिन्ता की लकीरें और गहरी होनी स्वाभाविक हैं किन्तु इस प्रकार के कायरतापूर्ण हमले करके हमारे देश की प्रतिष्ठा और प्रभुसत्ता को जिस प्रकार बार-बार चुनौती दी जा रही है वह भी असहनीय है। निश्चित रूप से अब समय आ गया है जब हमें इसका सटीक और व्यापक प्रत्युत्तर देना ही होगा। विधर्मियों के प्रति अब दयाभाव का पूर्णतः परित्याग करके अपनी अस्मिता के संरक्षण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की आवश्यकता है। देश में रोष का वातावरण व्याप्त है। राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएं चाहे जो भी हों किन्तु हम देशभक्त होने का दम्भ तभी भर सकते हैं जब हम अपने देश और समाज को आतंकित करने वाले शत्रुओं को उचित दण्ड नहीं प्रदान करते। पाकिस्तान की स्थिति के विषय में अब कोई पृष्ठ पलटने के लिए शेष नहीं है। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाला यह पड़ोसी अपनी आन्तरिक समस्याओं का समाधान इसी प्रकार ढूंढता रहेगा। जहाँ की शासन व्यवस्था आतंकवादी संगठनों और उसके समर्थक पाकिस्तानी सेनाध्यक्षों के हाथ में वहाँ हमें बातचीत करने का उपयुक्त सूत्र कभी नहीं मिल सकता। अब हमारा लक्ष्य स्वयं बातचीत करने का नहीं बल्कि अब पड़ोसियों को बातचीत के लिए बाध्य करने का होना चाहिए। सर्प को क्षीर सेवन कराना उसकी सौम्यता में नहीं अपितु उसके विष का वद्धर्न करता है। हमारी सहृदयता और उदारता उसके लिए कायरता का सूचक है। आखिर हम माँ भारती का वक्ष कब तक क्षत-विक्षत होता हुआ देखते रहेंगे। इस सरकार से समस्त देशवासियों की अपेक्षाएं अभूतपूर्व ढंग से जुड़ी हुई हैं और यह शायद उनकी अन्तिम आशा होगी। इसका कारण है कि गत 68 वर्षों में विभिन्न सरकारों ने शासन किया और देश पड़ोसी के ऐसे आघात निरन्तर सहता रहा है। प्रथम बार देशवासियों में इस आशा का संचार हुआ भाजपा जैसी राष्ट्रवादी पार्टी ही हमारे इन शत्रुओं का मान-मर्दन कर सकती है। ऐसी स्थिति में इस सरकार का यह नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि सर्प रूपी इन शत्रुओं को दन्तविहीन करके उन्हें उनके उचित स्थान पर आसीन कर दिया जाये। संयम मात्र एक साधन होता है। यदि साधन अर्थहीन होने लगे तो उसके विकल्पों की ओर ध्यान देना आवश्यक है। इसके साथ ही देश के अन्य राजनीतिक दलों से भी मेरा आग्रह है कि इन विषमकारी स्थितियों में आरोपों और प्रत्यारोपों की राजनीति का परित्याग कर देश की अखंडता और प्रभुसत्ता की रक्षा के लिए अपने स्वरों में एकरूपता लायें। इन स्थितियों में ऐसे कोई बयान न दें जिससे हमारे सैनिकों का मनोबल टूटे और सरकार के लिए असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो। देश रहेगा तभी हमारी उत्तरजीविता रहेगी। पारस्परिक मतभेदों को हम अपने घर बैठकर समायोजित कर सकते हैं किन्तु देश पर होने वाला आघात समान रूप से प्रत्येक देशवासी के ऊपर आघात है और इस आघात का मुकाबला करने के लिए मैं समस्त विपक्षी दलों समेत अपने देशवासियों को भी आहूत करता हूँ.

प्रधानमंत्री ने इस बर्बरतापूर्ण हमले साजिशकर्ताओं को सबक सिखाने का संकल्प लिए है ये अभिनंदनीय है। आज समय की मांग है कि पाकिस्ताान के साथ सभी प्रकार के राजनैतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक, खेल के संबध तोड़ दिये जायें। अपने पाकिस्तानी राजदूत को भारत वापस बुला लिया जाय। पाक के साथ किसी भी स्तर की बातचीत न हो। कश्मीर की बेकाबू हालात को देखते हुए कश्मीर सेना को सौंप दिया जाय।
इस समय देशभक्त जनता सेना और सरकार के साथ है। परिस्थिति पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री, सरकार, सेना-अर्धसेना के अधिकारी जो समुचित कदम उठायेंगे वह एक ही दिशा में होंगे।

 

 

Leave a Reply