डोमिनियम का मतलब

1947 से लेकर अब तक हर बार 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति कर्तव्य पथ पर झंडा फहराकर भारत देश को मिली आजादी संविधान के लागू होने की याद दिलाते आ रहे हैं लेकिन क्या 21 साल बाद भारत फिर ब्रिटेन का गुलाम हो जाएगा। कोई कहता है कि भारत को आजादी 15 अगस्त को नहीं मिली क्योंकि 1950 तक तो हम ब्रिटेन के डोमिनियन में थे, अगर सच में हमें आजादी मिली होती तो आजादी के बाद भी अंग्रेज अफसर लॉर्ड माउंटबेटन को गवर्नर जनरल क्यों बनाया गया।

ट्रांसफर ऑफ पावर का मतलब भारत में भारत का खुद का एक स्टेबल डेमोक्रेटिक सिस्टम तैयार करना था फिर एक लंबे डिस्कशन के बाद उस समय की पीएम ने घोषणा करवा दी कि ब्रिटेन गवर्नमेंट जून 1948 से पहले भारत को पूर्ण स्वराज्य का अधिकार दे देगी लेकिन, माउंटबेटन यह जानते थे कि ट्रांसफर ऑफ पावर का मामला बहुत पेचीदा है। इसको सुलझाना लोहे के चने चबाने जैसा होगा इसलिए वो इस मुसीबत में फंसना नहीं चाहते थे।

भारत पहुंचकर माउंटबेटन ने सबसे पहले नेहरू जी से मुलाकात की, नेहरू जी माउंटबेटन दोनों ही पॉलिटिक्स में एक्टिव रहने की वजह से एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते थे। नेहरू जी भी चाहते थे कि माउंटबेटन उनके साथ मिलकर काम करें क्योंकि भारत की सभी रियासतों के दावेदार ब्रिटिश शासन के करीब थे लेकिन जब माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे की बात की तो नेहरू जी ने इस संबंध में गांधी जी से बात करने की सलाह दी। नेहरू जी की सलाह पर माउंटबेटन ने गांधी जी से मुलाकात की।इस बीच माउंट बेटन को कांग्रेस के सबसे बड़े नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल का सख्त भाषा में लिखा हुआ एक खत मिला जिसमें उन्होंने किसी अपॉइंटमेंट के बारे में लिखा था।

जब यह तीनों बड़े नेता बटवारे को लेकर सहमत नहीं थे तो माउंटबेटन जिन्ना के पास गए उन्हें बताया कि कांग्रेस का कोई भी लीडर बंटवारे को लेकर सहमत नहीं है ।लगता है भारत में बंटवारा किए बिना ही इंडियन गवर्नमेंट की सत्ता को एस्टेब्लिश करना पड़ेगा।इस बात पर भड़क कर जिन्ना ने कहा कि मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा मुझे बस एक चीज चाहिए वह है पाकिस्तान, हिंदुस्तान का बंटवारा चाहता हूं मैं। जिन्ना के ऐसे लफ्ज सुनकर माउंटबेटन को समझ में आ गया था कि भारत में रहने वाले 30 करोड़ हिंदू 10 करोड़ मुसलमानों का साथ में रहना मुश्किल तो है। 

अब माउंटबेटन की 6 महीने की मेहनत पानी में चली गई थी अब उनके पास ट्रांसफर ऑफ पावर को लेकर ना तो कोई प्लान था ना ही ज्यादा समय क्योंकि गृह युद्ध की संभावना बनी हुई थी। इस समस्या से निपटने के लिए माउंटबेटन को अपने राजनीतिक गुरु वीपी मेनन की याद आयी।वह वीपी मेनन के पास गए कहा कि गुरुजी इस तरह की समस्या है बताओ क्या करें। तब वीपी मेनन इन्हें डोमिनियन स्टेटस की सलाह दी, डोमिनियन स्टेटस से मतलब भारत पाकिस्तान दो देश बना दिए जाएंगे सभी रियासतों को यह हक होगा कि जिस देश को चुनना चाहे अपने हिसाब से चुन सकती है।

यहां पर एक सवाल आता है कि जब कांग्रेस के सभी लीडर बंटवारे के विरोध में थे तो फिर ये इस प्लान को लेकर सहमत कैसे हो गए। इसकी वजह थी कि देश में लगातार गृह युद्ध के हालात बने हुए थे अगर गृह युद्ध छिड़ जाता तो किसको सत्ता मिलती कुछ कहा नहीं जा सकता था। गृह युद्ध को टालने के लिए कांग्रेस चाहती थी कि कैसे भी करके ट्रांसफर ऑफ पावर का मुद्दा जल्द से जल्द कंप्लीट हो जाए। उनके पास एक ही ऑप्शन था वह था डोमिनियन स्टट्स क्यों कि इसके लिए ब्रिटिश सांसद को केवल एक कानून पास करना था बस।

अब सवाल ये है कि जब 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हो गए तो लॉर्ड लुईस माउनबेटन को गवर्नर जनरल क्यों बनाया गया। इसकी वजह था डोमिनियन स्टेटस. इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट के तहत पावर का ट्रांसफर तो जल्द ही हो गया लेकिन डोमिनियन स्टेटस अभी भी कायम था। डोमिनियन स्टेटस के अकॉर्डिंग ब्रिटेन के राजा का एक प्रतिनिधि यानी कि गवर्नर जनरल वह सारी जिम्मेदारियां संभालने वाला था जो आज के समय में इंडिया के प्रेसिडेंट संभालते हैं।यह पद माउंटबेटन को इसलिए दिया गया क्योंकि नेहरू जी सरदार वल्लभ भाई पटेल चाहते थे कि रियासतों के विलय में माउंटबेटन उनकी मदद करें। 

माउंट बेटन 21 जून 1948 तक गवर्नर जनरल के पद पर रहे इनके इस्तीफा देने के बाद राजगोपालाचारी पहले भारतीय थे जो गवर्नर जनरल चुने गए। इस तरह जब तक भारत का अपना संविधान बनकर तैयार नहीं हुआ, भारत ब्रिटिश गवर्नमेंट का डोमिनियन बना रहा। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होते ही इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट को रद्द कर दिया गया जिसके साथ डोमिनियन स्टेटस का सिस्टम भी खत्म हो गया था। अब हमारा सवाल यह है कि जब इंडिया को आजादी इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के तहत मिली तो क्या कभी ब्रिटिश संसद इस एक्ट को रद्द करके भारत को मिली आजादी वापस ले सकती है।

दरअसल संविधान के आर्टिकल 395 के तहत भारत के संविधान को कॉन्स्टिट्यूशन ऑटोक्थोनी हासिल हुई इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट अमान्य हो गया। ऑटोक्थोनी का मतलब होता है मूल जमीन से उपजा संवैधानिक मूल्य एक देश का ऐसा संविधान जिसे उसी देश के लोगों द्वारा बनाया गया हो ।उस पर पूर्ण रूप से केवल उस देश के नागरिकों का अधिकार हो बाहर के किसी भी व्यक्ति किसी भी शक्ति का जिस पर कोई असर ना हो मतलब अब ब्रिटिश गवर्नमेंट इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट को रद्द करें, जला दे या कुछ भी करें ,अब भारत पर इसका कोई भी असर नहीं हो सकता है।

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