अंग्रेज़ों के आंकड़ों के अनुसार अकेले भारत और चीन का कुल उत्पादन, विश्व के कुल उत्पादन का 70% तक था! फिर ऐसा क्यों हुआ कि किसानों की स्थिति बदतर होती चली गई। 55 वर्षों से अधिक तक कांग्रेस को शासन चलाने का मौक़ा मिला। फिर ऐसा क्यों हुआ कि किसानों को नेतागण अपने भाषणों में अन्नदाता तो कहते थे, लेकिन उस अन्नदाता की आह पर मरहम लगाने की किसी ने नहीं सोची। यूपीए सरकार के दौरान किसान और कृषि की बहुत ही दयनीय स्थिति होती चली गई थी। एनसीआरबी के मुताबिक देशभर में 2010 में 15,933 किसानों ने आत्महत्या की। 2011 में 14,004 किसानों ने आत्महत्या की। हां, वर्ष 2011 में उन दिनों एक अच्छी ख़बर ज़रूर आई थी कि छत्तीसगढ़ में किसी भी किसान ने खुदकुशी नहीं की थी। हालात ये कि यूपीए सरकार के 2004 में देश की बागडोर संभालने के बाद से कुनीतियों के कारण कुल 1.18 लाख किसानों ने 2011 तक आत्महत्या कर ली। बुंदेलखंड और विदर्भ जैसे सूखा प्रभावित राज्यों को दिए जाने वाले विशेष पैकेज महज मात्र एक दिखावा साबित हुआ।
भारत सरकार, जिसमें से सबसे अधिक बार कांग्रेस सत्ता में रही है और हालात ये हैं कि 84 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहे, 20 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार रहे, लाखों किसान आत्महत्या किए, देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा, भारतीय मुद्रा अपनी हैसियत खोती गई तथा महंगाई आम जनता का गला दबाती रही। ये सारे चिन्ह हमारी व्यवस्था के चौपट होने के संकेत थे।
लेकिन एनडीए की सरकार आने के बाद से एनडीए सरकार ने इनोवेशन और कुछ ठोस उपायों के जरिए देश के इस आधार को मजबूत बनाने की कोशिश की। कृषि सिंचाई योजना सिंचाई की सुविधाएं सुनिश्चित कर उपज बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया। इस योजना का विजन यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक खेत को किसी ना किसी तरह के सुरक्षात्मक सिंचाई के साधन उपलब्ध हों। किसानों को सिंचाई के आधुनिक तरीकों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है ताकि पानी की ‘प्रत्येक बूंद के बदले अधिक पैदावार’ मिले।
घरेलू उत्पादन और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए नई यूरिया नीति की घोषणा की गई और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए गोरखपुर, बरौनी तथा तलचर में खाद फैक्टरी का पुनरोद्धार किया गया है। इससे पहले किसानों को मुआवजा तभी मिलता था जबकि 50% या इससे अधिक नुकसान हुआ हो, लेकिन अब तत्काल मुआवजा देने पर पहल की गई। एक 500 करोड़ रुपये के कॉर्पस वाले मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई। ये कोष जल्द खराब होने वाली कृषि और बागवानी फसलों की कीमतों को नियंत्रित करने में मददगार होगा। किसानों के लिए किसान टीवी चैनल की शुरुआत हुई। फसल बीमा योजना की शुरुआत हुई, जिसमें किसान अपने फसलों की बीमा करवाकर एक सुनिश्चित आय लेकर निश्चिंत हो सके।