मोदी जी के नेतृत्व में संगठनात्मक प्रबंधन की रणनीति ने रच दिया इतिहास


नरेंद्र मोदी की अगवाई में भाजपा ने पहली बार 300 सीटों का आंकड़ा पार किया है। 1984 के बाद यह पहला मौका है जब किसी पार्टी को लोकसभा में 300 से अधिक सीटें मिली हैं। जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे और पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लगातार चुनावों में अपनी सत्ता बचाये रखी है। यह नतीज़े तब हैं जब मुखर धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति की धार कुंद करने के लिए विपक्ष ने पर ज़ोर लगा दिया था। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर भारत में जीत का ऐसा शानदार रिकार्ड बनाया है कि भविष्य में उसे तोड़ पाना अभी तो असंभव सा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व ने कुछ ऐसा जादू चलाया कि देश की हिंदी भाषी राज्यों में अधिकतर लोकसभा सीटों पर भगवा पताका लहरा गई। मोदी के नेतृत्व और भाजपा के संगठनात्मक प्रबंधन की रणनीति ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मजबूत नजर आ रहे गठबंधन को तिनके की तरह हवा में उड़ा दिया। 

आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा जैसे कई राज्यों में अपने मत प्रतिशत में भी इजाफा किया है। इन राज्यों में उसकी वोट हिस्सेदारी 50 फीसदी से भी अधिक रही है जो कि भारतीय चुनावी इतिहास में किसी चमत्कार से कम नहीं है।

आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी ने 49 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए हैं। 

राजस्थान और गुजरात में भी भाजपा ने अपनी 2014 की जीत को दोहराया है। मध्य प्रदेश में भी पार्टी ने कमाल का प्रदर्शन किया है जिसके चलते भाजपा 29 में से 28 सीटें जीतने में सफल रही है। 

हरियाणा में भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इस बार दस में से दस सीटें अपने पाले में डाली हैं। पिछले आम चुनाव में यहां उसने सात सीटें जीती थीं। भाजपा शासित कुछ राज्यों में सत्ता विरोधी लहर या स्थानीय उम्मीदवारों का प्रभाव नहीं होने के बावजूद जनता ने मोदी के नेतृत्व में भरोसा जताया है। 

दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में, भाजपा ने 2014 की ही तरह सभी 16 सीटों पर फिर से कब्जा जमाया है। राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा की वोट हिस्सेदारी 56 फीसदी से अधिक और दो पहाड़ी राज्यों में 60 फीसदी से अधिक रही है।

पश्चिम बंगाल में 

बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के अभेद्य समझे जाने वाले किले पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की और 40.5 प्रतिशत मत हासिल किए। पार्टी के इस बेहतरीन प्रदर्शन में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, एनआरसी, तृणमूल के अंदर खींचतान और लेफ्ट वोटों का उससे खिसकना जैसे कारक अहम रहे।

बीजेपी को 2014 में दो सीटें मिली थीं और उसे कुल 17 प्रतिशत मत मिले थे। लेकिन इस बार बीजेपी ने न केवल राज्य में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की बल्कि लगभग 130 विधानसभा क्षेत्रों में मतों के लिहाज से बढ़त बनाई। राज्य में दो साल बाद 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की।

One thought on “मोदी जी के नेतृत्व में संगठनात्मक प्रबंधन की रणनीति ने रच दिया इतिहास

  1. Aap logo k sangarsh samarpan or tyaag ka he pratifal hai ki aaj hum aisa kuch desh me dekh pa rahe h
    Jay baba kedar
    Jay guru dev

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