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राजनीति के सब चलता है फिल्म छपास से नेता इतना डर गये कि उन्होने अपने पार्टी लाइन से हटकर काम किया। ममता बंगाल में जो सुर बोल रही थी , शिवसेना जिसे कि कांग्रेस के सुर में सुर मिलाना था, वह भी किनारे हो गयी। इसी तरह नितिश अभी जो बोल रहें है उस पर लगाम लगाना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी भी इस मुद्दे पर मौन रहना ही अब बेहतर समझ रहें है। जिस तरह से मीडिया व नेताओं के सुर बदले है ,यह मोदी है तो मुमकिन है वाले जुमले को सही बताता है।कुछ तो गलत है जो यह आने नही देना चाहते थे और अब एक्सपोज होने लगे हैं। यूटयूब पर जिस तरह से मुखर होकर पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने कमान संभाली है मीडिया की बोलती बंद हो गयी हैं । उन चीजों पर सवाल दागे जा रहें है जिसकी कल्पना भी पिछली सरकारों के कार्यकाल में किसी ने नहीं की थी।
आज के दौर में देखे जब से गोडसे को मैदान में लाया गया है तब से गांधी जी की प्राशंगिकता ही खत्म हो गयी। अब यह पूछा जाने लगा है जिसके इशारे पर लाखों हिन्दूओं का नरसंहार हुआ, इतने देश भक्तों ने आजादी के लिये प्राणों की आहूति दी , वह आजादी अहिंसात्मक राह वाली कैसे हो गयी।
पिछले दिनों 370 व 35ए कश्मीर से हटाया गया । सरकार ने माना यह उसकी गलती थी जिसे नही करना था। उस पर पहले भी दिल्ली के कानच्यूशनल क्लब में चर्चा हुई थी जिसमें देश से आये तमाम कष्मीरियों व बुद्धिजीवियों ने शिरकत की थी। उसके बाद अपनी रिपोर्ट सौपतें हुए सिफारिश की गयी कि उसे हटा देना चाहिये । जब केन्द्र सरकार दूसरी बार आयी तो पहला काम उसे हटाने का हुआ। यह सरकार की गलती है और उसने माना , इसी तरह कुछ और गलतियां है जो पूर्वर्ती सरकारों ने की है उसे मीडिया चाहे तो सामने ला सकती है लेकिन वह ऐसा इसलिये नही करती कि उसकी अपनी दुकानदारी जिन लोगों पर टिकी वह बंद हो जायेगी और टिआरपी भी गिर जायेगी , जो कि उसके लाभ का सोत्र है। इसमें भी दोराय नही है कि मीडिया जो कि नागरिकता कानून केा लेकर रोल प्ले कर रही है उसमें उसका अपना हित छिपा हो।छोटे चैनल भले ही यह न करते हों लेकिन बडे चैनल तो यह कर रहें है इस बात से इंकार नही किया जा सकता।
इस समय जो कुछ भी जेएनयू व जामिया में हो रहा है वह मीडिया की ही देन है। उसे हवा देने में , एैसा लगता है कि उनके पास खबरें नही है या फिर इसे खबर बनाये रखने के लिये सरकार पर दबाब बनाये रखने का प्रयास कर रही है। नेताओं के बयान पर खबर बनाना ,डिबेट चलाना अब इनका आधार बन गया है जो यह प्रदर्शित करता है मीडिया में भी गंैंगवार चल रहा है और अपने अपने हिसाब से लोग गुण्डों का समर्थन कर रहें हैं। साथ चल रहें है यह कहते हुए चलिये देखते है उसकी गुण्डागर्दी कैसे चलती है।सही मायने में देखा जाय तो यह अपने स्टूडियों से बाहर निकलना ही नही चाहते है ख्याली पुलाव पकाते है और देश को अपने हिसाब से चलाना चाहते है। क्या यही है चैथा स्तंभ , जिसे देश के बारे में कुछ नही सोचना अपने आकाओं के लिये गांधी जी का बंदर बन बैठ जाना है। इस बीच एक बहुत अच्छी खबर है कि देश अब जाग रहा है , घुसपैठियों के मामले पर एक हो रहा है। उसे नागरिकता कानून ने दिक्कत नही है क्योंकि वह उसका आधार है और वह जानता है अवैध रूप से रह रहें लोगों के लिये है।कि उन्हें अपने देश जाना है जो यहां कि रोटी खा रहें है , सांस ले रहें है और यही के लिये नासूर बने हुए है। इस्लाम के प्रतिनिधि जो इस समय सामने आ रहें है और नागरिकता कानून का विरोध कर रहें है बरगला रहें है उन्हें भी मुसलमानों ने मानना बंद कर दिया है। वह जानते है कि इन्हें यहां के मुसलमानों की जरूरत नही है बाहर से आने वाले मुस्लिमों की जरूरत है ताकि वह उनका अमन चैन छीन सके। जेहाद के नाम पर यहां के मुसलमानों में नफरत का बीज बोकर अपनी सियाशी दुकान चला सके।मीडिया पर एैसे मामलों की पार्टीगिरी का मामला आया हैं । आम मुसलमान अब इसपर डिबेट नही चाहता वह चाहता है कि जिनकी वजह से बदनामी झेल रहें है और जलील हो रहें है जेा अपने मुस्लिम बिरादरी के लोगों के नही हुए मुस्लिम देश छोडकर चले गये ,उनकी पलायन की संख्या क्या है।
बदल रही है और खुद नही बदले तो मिट जायेगें इस प्रक्रिया पर लौट आये है। उप्र के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी मुस्लिम को टिकट नही दिया। दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दो मुस्लिमों को टिकट दिया, वह भी उस जगह से जहां गैरमुल्क के मुस्लिम ज्यादा है। अन्य राज्यों में भी यही हाल है। कोई भी दल आज किसी मुस्लिम को अपने यहां टिकट नही देना चाहती , कारण क्या है इसे भारतीय मुसलमानों को समझना होगा। और यह भी समझना होगा कि बंटवारे के वक्त जब मुसलमान भारत से पाक या बाग्लादेश गये तो वहां के मुस्लिमों ने उन्हें मुहाजिर कहा , रहने तक नही दिया आज ये जो नेता उस पाकिस्तान की भाषा बोल रहें है। वह नही चाहते कि हिन्दुस्तान का मुसलमान चैन से रहें । इसलिये कवायद जारी है।बहिष्कार करें ऐसे नेता का जिन्होनें अपने ही देश में आपको अविश्वनीय बना दिया।