भारतीय प्रशासनिक सेवा को बांटने की जरूरत

हर आदमी की इच्छा होती है कि जब वह आईएएस की परीक्षा पास करे तो जिलाधिकारी बने , और होता भी ऐसा ही है किन्तु देश के लिये जिले के लिये व प्रदेश के लिये कितना कारगर होता है यह समय बताता है। यही कारण है कि भारत की तरक्की की राह में जो सबसे बडा रोडा है वह है भारतीय प्रशासनिक सेवा, इसका कारण साफ है कि सभी को परीक्षा पास करने के उपरांत प्रारंम्भिक स्तर पर एसडीएम बनाया जा रहा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा को देखा जाय तो उसमें सबसे पहले प्री परीक्षा होती है जिसे पास करना होता है जिसमें देश विदेश से जुडी जानकारी होती है और उसे पास करने के उपरांत मेन परीक्षा होती है जिसमें आपको अपने विषय से उसे पास करना होता है। इसमें शक नही कि प्रतिभावान लोग चुनकर आते है लेकिन चुने जाने के बाद उनकी नियुक्ति जहां होती है उसमें थोडा सुघार की जरूरत है। मान लिजिये टिप्रल आई टी से इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले को इन्कमटैक्स विभाग में लगाया गया । उनका उपयोग क्या हुआ? न तो वह घोडे रहे और न ही पूरी तरह से गधे बन पाया , पूरी सर्विस खच्चर की तरह निकल गयी हुआ कुछ नही । देश का नुकसान भी हुआ अगर वह उसे भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में लगाते तो कुछ बेहतर कर पाता लेकिन इन्कम टैक्स में उसकी क्या जरूरत वहां तो कामर्स का आदमी चाहिये था। इसी तरह सभी विभागों के वरिष्ठ पदों पर ऐसी अधिकारियों की भरमार है जिन्हें उस विभाग का कुछ नही आता लेकिन विभाग चला कर देश को लगातार पलीता लगा रहें है।

वास्तव में यह दोष देश के लिये अहितकारी है लेकिन इस देश में गधों को ताज पहनाने का दस्तूर सदैव से रहा है घोड़ा निकल आये तो उसे बताया जाता है कि तुम्हे गधा ही बनकर चलना है आगे नही बढना है। इसलिये सरकार इंजीनियर को अकांउट और अकाउंट वाले को विधि और विधि वाले को खेल और बाकी जहां बच रहा हो वहां इतिहास या भूगोल वाले को लगा देती है ताकि दूर दूर तक कोई योग्यता सरकार के आगे न दिखे।यही शायद संविधान भी दर्शाता है जहां इस तरह की कोई बंदिश नही है कि जिस विषय से मेन परीक्षा पास की है उसे उसी विषय से संबंधित विभाग में लगाया जाय। इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड रहा है। सारे संसाधन होने के बावजूद देश पिछड रहा है और हम अपनी तरक्की का डंका बजा रहे है।

सही मायने में देखा जाय तो सरकार को चाहिये कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की अलग अलग विंग की परीक्षा ले जैसे प्रशासनिक सेवा के लिये लेती है जिसमें एसडीएम से शुरूआत होती है तो बीबीए व एचआर का विधार्थी ले, इसी तरह भारतीय इंजीनियरिंग सेवा की परीक्षा हो जिसमें इंजीनियर की डिगी वाले भाग लें । इसी तरह आर्थिक व शिक्षक की परीक्षा हो और उससे संबंधित विषय वाले हिस्सा ले। इससे विभाग तेजी से बढेगा और देश भी । इतिहास पढने वाले को अगर एसडीएम बना दिया गया तो वह तहसील इतिहास बनकर रह जायेगी। उसके पास आंकडे नही होगें और होगें तो प्रयोग करने वाले नही होगे। यही बीबीए का चयन होगा तो हमारे तहसील में क्या क्या है यह बात आनलाइन होगी । इसी तरह विभाग आनलाइन होगें और लोगों को भ्रष्टाचार से छुटकारा मिलेगा ।

देश के प्रशासनिक तंत्र में सुधार की जरूरत है जिन लोगों का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हो रहा है सरकार को चाहिये जिस विषय में उनकी महारत है उसी दिशा में उसे लगाये । भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय शिक्षक सेवा परीक्षा , भारतीय इंजीनियरिंग सेवा , भारतीय आर्थिक सेवा , भारतीय भूतत्व सेवा , भारतीय संचार सेवा जैसे परीक्षा का आयोजन करे और उसे उसी विषय के छात्रों की परीक्षा लेकर उसके हवाले कर दे। जिससे देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाया जा सके।

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