भारतीय महिलाओं पर हर तरह से मार पड़ रही है ,देश में जहां वह असुरक्षा के माहौल में जी रही है वहीं देश के बाहर उनका देहव्यापार व दोहन हो रहा है। नौकरानियों से भी बदतर व्यवहार हो रहा है और यह इसलिये हो रहा है कि हमारी सरकार उनके प्रति सही रवैया अख्तियार नही कर रही है। शेख लोग यहाँ से निकाह कर ले जाते है और वहां वह उनके परिवार की मौज मस्ती का साधन बन जाती है। एनआरआई यहां से लडकी ले जाते है मारते पीटते हैं और घरसे बाहर निकालने की धमकी देकर नौकरों से भी बदतर काम कराते है कई जगह तो वेश्यावृत्ति तक कराते है और वह कुछ नही कर पाती क्योंकि उसके परिवार का वहां कोई नही होता जो उसकी मदद कर सके। इसलिये सरकार को चाहिये कि एक मैरिज एक्ट बनाये जिसमें भारतीय महिलाओं से शादी या निकाह करने वालों को जरूरी हो कि वह छह महीने में एक बार लडकी के परिवार वालो से उसे मिलायें ताकि उसकी स्थित का सही रूप् से अवलोकन हो सके कि वह खुश है भी या नही ।
यह इसलिये भी जरूरी है कि बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में लडकियों को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा देने का रिवाज नही है।वहां मान्यता है कि इन्हें दूसरे के घर जाना है इसलिये शिक्षा , पालन पोषण और अन्य मामलों में भी किसी तरह की सहूलियत प्रदेश में नही दी जाती है। लडकियां इसलिये कुछ नही बोलती क्योंकि उन्हें डर होता है कि मायका खत्म हो जायेगा लेकिन ऐसा करने के बाद भी मायका नाम भर का ही होता है और माता पिता के मरने के बाद वह भी खत्म हो जाता है । भाई किसी के दरवाजे नही आते इसलिये दहेज का चलन है कि बाद में कुछ लडकी को मिलेगा नही इसलिये जो मिले समेट लो।अन्य राज्यांे में जहां बराबरी का हिस्सा है वहां भाई बहन के बीच दरार है और पट्टीदारी चलती है। वहां दहेज नही है लेकिन मिलना का रिवाज दहेज से भी ज्यादा है। कुछ जगह ऐसी भी है जहां लडकियों को अपने से लडके को फंसाना पड़ता है और दहेज भी खुद इकठ्ठा करना पड़ता है । दिल्ली व आसपास के इलाके में इसका चलन ज्यादा है। वहा रीति रिवाज नही है. मुर्गा ,दारू चलती है और जयमाला डालकर शादी हो जाती है इसके बाद सभी पार्टी कर अपने घर चले जाते है।
दूसरी बात यह है कि हमारे देश में वैवाहिक आकडा नाम की चीज नही है। कितनी शादी इस साल हुई इसका रिकार्ड देश के पास नही है। विदेश में होने वाली शादी का रिकार्ड रखा जा सकता है लेकिन उसकी जरूरत नही समझी गयी । शादियों को लेकर कितने मामले हुए इसका रिकार्ड देश के पास नही है और तो और कितनी दहेज की घटना या अन्य घटना हुई यह भी हमारे पास नही है। यह इसलिये नही है क्यों कि शादी का केन्द्रीयकरण नही है और न ही ऐसा कोई एक्ट है जिसे आधार मानकर सारी शादियों को हम एक जगह रिकार्ड के रूप में रख सके।इसे लेकर पिछली सरकारों को ठोस पहल करना चाहिये था लेकिन जबवह खुद कई शादियों में लगे रहे और अपनी पत्नी को तहजीब नही दी तो यह काम कहां से करते । नयी सरकार को इस पर काम करना चाहिये और देश को महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने का काम करना चाहिये।
भारतीय मैरिज एक्ट में जो नियम बने उसके तहत ऐसा प्रावधान हो कि जो भी भारतीय लडकी को छोडे उसे उसकी जायदाद में आधा हिस्सा दिया जाय और उसे बच्चों के पालन पोषण का खर्चा भी दिया जाय नौकरी कर रहा हो तो आफिस से ही आधा पगार महिला को दी जाय । ऐसा ही बांड शेख व एनआरआई से लिया जाय कि लडकी को छोडने की स्थित में नियम उस पर लागू हो और इस काम में वहां की सरकार मदद करे इसके लिये प्रत्यर्पण संधि में एक काज जोडा जाय जहां हो वही की शादी की अनुमति दी जाय ताकि गडबडी करने वाला भारत की पकड़ से बाहर न हो। इसके अलावा जो भी शादी हो उसे कोर्ट के तहत रखा जाय और रजिस्टर कराया जाय, चाहे वह देश के भीतर की हो या देश के बाहर की , तभी मान्य हो और उस पर वाद दाखिल हो।
अगर सरकार भारतीय मैरिज एक्ट बनाये और सभी शादियों का रजिटेशन कराये तो देश में एक खुशनुमा माहौल बन सकता है। महिलाओं की सुरक्षा हो सकती है। कडे नियम हो जो पालन न करे उसे सजा का प्रावधान के तहत लाया जाय और जबरन मनवाया जाय। लेकिन यह काम धार्मिक बाध्यताओं से बाहर होना चाहिये और कोर्ट से प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शादी को मान्य मानकर वाद दाखिल किया जाय।
हमारा देश जैसा भी हो लेकिन सबसे अच्छा है इस बात को प्रसारित करने की जरूरत है और नियम ऐसे बनाने की जरूरत है जहां पुरूष व नारी समान रूप् से देश को आगे ले जाने का कार्य करें यह तभी संभव है जब भारतीय मैरिज एक्ट बने और भारतीय महिला के हक में एक कठोर कानून बने की किसी भी देश का नागरिक हो उसे अगर वह भारत की लडकी से शादी करता है तो यहां के एक्ट के तहत उसपर सारे नियम लागू होगें और इस बात का बांड भी लिया जाय कि जो भी सजा होगी उसे वह मानेगा।
आपकी सोच तो बढ़िया हैं पर ये सामाजिक बदलाव गले नहीं उतरेगा।वर्षो से चली आ रही ये पारिवारिक ताना बाना टूट के बाद क्या शक्ल अख्तियार करेगा पता नही पर एक रिश्ते बलि जरूर चढ़ जायेगी।