विजयादशमी का त्यौहार मुख्यतया मां दुर्गा द्वारा महिषासुर वध के लिए माना जाता है। यह भी कहा जाता है की बुराई पर अच्छाई की जीत है इसलिए इसे मनाया जाता है और रावण को जलाया जाता है जिनका वध भगवान राम ने किया था ।
संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संतोष यादव का आना सहज ही नहीं था बल्कि उन्हें इसलिए लाया गया था कि हिंदुओं में एक संदेश जा सके कि जिस तरह से उन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई दो बार फतेह की उसी तरह हिंदुओं को भी उसी एवरेस्ट की चोटी की तरह विश्व में विराजमान करें।
इस पूरे कार्यक्रम में जिस बात को लेकर के संतोष यादव ने कहा कि सनातन संस्कृति विनम्रता का भाव देती है ।सनातन संस्कृति को जीने वाला सृजन के भाव से जीता है नष्ट करने के भाव से नहीं ,उन्होंने कहा कि कई बार हम दूर से देख कर हम किसी चीज के प्रति गलत धारणा बना लेते हैं ऐसी ही गलत धारणा कुछ लोगों ने संघ के प्रति बना रखी है मैं मानव समाज से अनुरोध करना चाहूंगी कि वह आए और इनके कार्यकलापों को देखें ,तब इनके बारे में कोई धारणा बनाएं ।संघ के स्वयंसेवक सनातन संस्कृति के प्रचारक हैं इसलिए उन पर इस तरह का आक्षेप ठीक नहीं है वह जनसंख्या नियंत्रण को लेकर के काफी चिंतित दिखे और एक भय जताया कि यह देश विभाजक हो सकता है| अगर जनता जनसंख्या के संतुलन को नियमित नहीं किया गया।
वैसे देखा जाए तो जनसंख्या का असंतुलन हमारे साथ ही नहीं है| पूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवा जैसे देश इंडोनेशिया, सूडान और सरबिया जैसे देशों के भूभाग में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ने के कारण बन चुके हैं| इसलिए हमें समझना होगा कि जब जब जनसंख्या असंतुलन होता है तब तब उस देश की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है।
जहां तक जन्म दर की बात है तो असमानता के साथ-साथ लालच , जबरदस्ती से चलने वाला मतांतरण भी जनसंख्या असंतुलन का बड़ा कारण बनता है। हमें इसका भी ध्यान रखना होगा ।जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ आर्थिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
जनसंख्या पर एक सामग्र नीति बननी चाहिए जो संतुलन बनाने के लिए सभी समुदायों पर समान रूप से लागू भी होनी चाहिए ।एक बार नीति बनने के बाद किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए और समाज को इसे स्वीकार करना चाहिए ।किसी नीति का यदि लाभ होने वाला हो तो समाज भी उसे स्वीकार करता है जैसे चीन में हुआ एक बच्चा नीति वहां पर एक लंबे समय से चल रही है और अब वह बूढ़ी होने को है लेकिन पूरा देश उसका समर्थन कर रहा है क्योंकि वह वहां की आवश्यकता है उसी तरह भारत में भी आवश्यकता है कि इस तरह की नीति को बनाया जाए ताकि आने वाले समय में आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत ना हो।
फिलहाल फिलहाल जनसंख्या नीति को लेकर कई राज्यों ने अपनी चिंता जताई है क्योंकि उनको डर है कि जिस तरह से मत अंतरण हो रहे हैं उस तरह से उनके राज्य का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा हो सकता है। हो सकता है जम्मू कश्मीर और खालिस्तान की तरह अन्य राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं हो इसलिए पहले से सचेत हो जाना अच्छा है ।उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक जनसंख्या नीति आने वाली है |
देश के लिए यह इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि जिस तरह से योजनाओं का लाभ सिर्फ एक वर्ग विशेष को मिल रहा है। वह अन्य वर्गों को भी मिल सके अभी ज्यादा बच्चे होने से राशन कार्ड में उनके नाम हैं और सारा राशन एक ही जगह जा रहा है कॉलोनी अभी एक ही को मिल रही हैं अन्य वर्गों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए लाभ के प्रतिशत को समान करना होगा।