हाई इन्फ्लेशन और बैंको को हर महीने दिए जा रहे पॅकेज देश के तेजी से आर्थिक अराजकता की ओर बढ़ने की सूचना दे रहे थे। जिसमे बैंकों के खतरे में होने का अंदेशा सबसे ज्यादा था। आर्थिक सूचनाएं बोगस थीं, धोखे में डालने वाली थीं। जब मोदी जी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर इसका जिक्र किया तो पिछली सरकार का निकम्मापन और भयावह रूप से सामने आया।
सन्् 2014 मार्च तक अर्थशास्त्री पीएम ने बैंक के एनपीए 37प्रतिशत बताये थे जो वस्तुतः 82प्रतिशत थे।कितना बड़ा झूठ। बैंकें डूबने की कगार पर थीं। कुल एनपीए 56 लाख करोड़ रुपये। कल्पना कीजिये जब ये सच्चाई नव नियुक्त पीएम के सामने आयी होगी तो उन पर क्या बीती होगी?अगर बैंकें फेल हो जातीं तो देश किस हालत में होता ? आर्थिक अराजकता सामाजिक अराजकता में बदल चुकी होती। देश भयंकर संकटों में घिर चुका होता। नया पीएम उसकी भेंट चढ़ गया होता। आंकड़ों की भूलभुलैयाँ में यही विपक्ष अपने पाप को मोदी के सर मढ रहा होता। नोटबंदी ने इस दुष्चक्र से बाहर निकाल दिया।ये भी कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का बहुत खतरनाक उदाहरण है।
हम राष्ट्रवादी सोच रखने वाले सरकार से तमाम मुद्दों पर क्षुब्ध रहते हैं। हमें अंदाजा ही नहीं है कि देश कितना खोखला कर दिया गया है।डिफेंस, आतंरिक सुरक्षा, विदेशनीति, आर्थिक अव्यवस्था, सामाजिक विग्रह, आस्तीन के सांप इन सबसे एक साथ निपटना बहुत दुष्कर, विवेकपूर्ण, और राजनैतिक इच्छासक्ति का काम है। हम मोदी शासन के कारण देशद्रोहियों की गहरी जड़ों को कुछ कुछ देख पा रहे हैं। वर्ना आज तक हम सबों को क्या यह सब पता था ?मिडिया शिक्षा संस्थान, न्यायपालिका सब जगह विषधर बैठे हुए हैं। इन सबके बीच अपने को सुरक्षित रखते हुए देश को सुरक्षित करने का काम सरकार कर रही हैं।सरकार हमारी आशाओं, आकांक्षाओं को निश्चित ही पूरा करेंगे। ये दौर इन विषधरों के दांत तोड़ने का है।जिसे उसे करना चाहिये।
सरकार को हमारे सार्थक समर्थन की आवश्यकता है। धैर्य के साथ मोदी के साथ खड़े होने की आवश्यकता है। अधैर्य से हम सरकार को ही नहीं खोएंगे अपितु उन्ही दरिंदों के हाथों में देश और अपनी संतानों के भविष्य को सौंप देंगे। सत्ता की ताक में बैठे बहेलिये यही चाहते हैं और हमें गुमराह कर रहे हैं। दुश्मन जो चाहता है वैसा ही करेंगे तो पराजय और दुर्भाग्य निश्चित है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम एक आर्थिक और राजनीतिक शक्ति पुंज के रूप में उभर रहे हैं. हमारे संविधान ने हमें जो अधिकार और अवसर दिए हैं उन्हें भी प्रमुखता मिल रही है. आज महिलाएं भी मेहनत कर रही हैं और अपने करियर को लेकर गंभीर हैं. हांलाकि, मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न, स्त्री द्वेष और लिंग असमानता इनमें से ज्यादातर के लिए जीवन का हिस्सा बन गई हैं. ऐसे में महिलाओं को भी भारतीय कानून द्वारा दिए गए अधिकारों के प्रति जागरुकता होनी चाहिए.कई ऐसे काम हुए है जो देश में अपनी जगह बना रहें है। जैसे समान वेतन का अधिकार- समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता. काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार- काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है. नाम न छापने का अधिकार- यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है. अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है.
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है. आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है.. मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार- मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है. मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं.. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार- भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- जीने के अधिकारश् का अनुभव करने दें. गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है.. मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार- बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है. स्टेशन हाउस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।
महिलाओं के लिये एनडीए सरकार काफी अच्छी है।एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है. किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।मूुस्लिम महिलाओं को भी तीन तलाक से निजात दिलाने का काम हो रहा है जो इसी कार्यकाल में हो जायेगा।
नमस्कार मान्यवर आप ने बिल्कुल सही समय पर ये सच्चाई हम सब को बताई है धन्यवाद आपका पवन तुलस्यान नानपारा बहराइच उप्र से