राजनीति से परे जीएसटी बिल की महत्ता को समझें सारे दल

gstयह अच्छी बात है कि सरकार और कांग्रेस के बीच वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी बिल को लेकर पहले दौर की बातचीत कामयाब रही है। अगली बैठक मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद होगी। मैं बार-बार इस बात को कहता हूं कि हमें राजनीति से परे भी बहुत बातें सोचनी होगी। कुर्सी को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई अच्छी बात है, लेकिन उसका समझौता देश की जनता के हितकारी मुद्दों से नहीं होना चाहिए। हमें जनहित के मुद्दों पर एक होना होगा। अपनी बात रखनी होगी। संसद में बहस करना होगा और सरकार को सहयोग देना होगा। हम लड़ते जनता के लिए ही तो हैं ? तो आखिर जनता के हितकारी मुद्दों से कैसे भटक सकते हैं। जितनी भूमिका केंद्र सरकार की है, उतनी ही भूमिका विपक्ष की भी है। यही तो हमारे लोकतंत्र की ताकत है।
मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। सरकार की कोशिश जीएसटी पर आम राय बनाने की है। सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी इसी सत्र में पास हो जाएगा। केंद्र सरकार इस पर आम सहमति तैयार करने के लिए सबसे बात कर रही है।
विपक्ष को समझना होगा कि जीएसटी के लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो जाएंगे। राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो जाएगी। हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो अभी कुछ साल तक जारी रहेंगे। यही नहीं, जीएसटी लागू होने पर सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को है। क्योंकि तब चीजें पूरे देश में एक ही रेट पर मिलेंगी, चाहे किसी भी राज्य से खरीदें। मसलन दिल्ली से सटे नोएडा, गुड़गांव वाले…जो कभी गाड़ी यूपी से लेते हैं, कभी हरियाणा या कभी दिल्ली से, जहां भी सस्ती मिल जाए वो सब चक्कर ही खत्म हो जाएगा। वहीं, जीएसटी लागू होने पर कंपनियों का झंझट और खर्च भी कम होगा. व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा तो सामान बनाने की लागत घटेगी, इससे सामान सस्ता होने की उम्मीद भी है।

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