1947 में जब देश आजाद हुआ था, उस समय 1362 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन होता था। आजादी के साढ़े छह दशक बाद देश में बिजली उत्पादन में काफी वृद्धि हुई, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के अधिकतम शासन में जहां देश विकास के कई मायनों में पीछे चला गया, वहीं ऊर्जा क्षेत्र में भी घोर लापरवाही हुई। यूपीए के पहले कार्यकाल के बाद भी 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यही कहा था कि 2011 तक इस लक्ष्य की पूर्ति संभव है। 2011 में उन्होंने फिर यही कहा था कि साल 2012 तक देश के सभी गांव रोशन हो जाएंगे। फिर 2012 में उन्होंने कहा कि 2017 तक सभी गांवों में बिजली पहुंच जाएगी, लेकिन वो वक्त कभी नहीं आया, जब ऊर्जा को लेकर पूर्ववर्ती सरकार की ओर से ठोस निर्णय उठ सकें। पिछले 25 वर्षों पर निगाह डालें तो देश में 50 प्रतिशत विद्युतीकरण भी नहीं हुआ। इसी का नतीजा रहा कि सरकारी उदासीनता और विभागीय लापरवाही की वजह से न सिर्फ देश की बिजली बर्बाद हुई, बल्कि देश के लाखों गांवों में अंधेरा छाता रहा। नतीजा, भारत में जुलाई 2012 में 62 करोड़ लोगों को अंधेरे में डुबो दिया था। पूरे देश में 24,000 मेगावाट से अधिक की उत्पादन क्षमता बेकार पड़ी थी, क्योंकि कोयला और गैस जैसे ईंधनों की कमी रही, लेकिन इसकी वजह और अहमियतता हमारी मौजूदा सरकार में समझी गई।
मौजूदा सरकार की प्राथमिकता हुई कि बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में कठिन परिश्रम के अलावा क्लीन एनर्जी पर भी ध्यान दिया जाए। ऊर्जा के नवीकरण योग्य स्रोतों के द्वारा 175 GW एनर्जी का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया, जिसमें 100 GW की सौर ऊर्जा भी शामिल है। संपूर्ण और दीर्घकालिक ढांचागत सुधारों पर अमल करने के साथ चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी हुई। आज औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के अनुसार,विद्युत और कोल इंडिया लिमिटेड के उत्पादन में 9% की वृद्धि हुई। पिछले वर्ष की तुलना में नवंबर में आयात में 49% की गिरावट आई। 22,556मेगावाट की क्षमता वृद्धि की गई जो अब तक की सबसे अधिक है। वर्ष 2008-09 में कमी का स्तर 11.9 % था, उसे कम कर 3.2% कर दिया गया, जो अब तक का सबसे कम है। हाल में ऊर्जा कमी 2008-09 के मुकाबले 11.1% से घटकर 2.3% रही, जो ऐतिहासिक है। कोयला आधारित स्टेशनों के उत्पादन में 12.12% की बढ़ोतरी थी, जो अब तक की सबसे अधिक है।
इसे मानने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि वर्षों तक कांग्रेस शासन के दौरान इस देश में हुई दुर्गति को कुछ हफ्तों या महीनों में ही नहीं पाटा जा सकता है,लेकिन भारत ने 18,000 गांवों में बिजली पहुंचाने का जो महत्वाकांक्षी मिशन तय किया है, उस पर हम आज भी कायम हैं। 1000 दिनों के भीतर सभी शेष गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। गांवों का विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है।
Ofcourse and the work speed goes the same as now then surely india will emerge as a super nation within 4 years….and now the goverment should focus on non conventional energies or should out source it from india itself……