पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने की नीति का भारत विश्व व्यापार में भी विरोध करे यह वह पहल होगी जिससे उसके हौसले टूटेगें और व्यापार बंद होने की स्थित में वह अपने आप पीछे हटने लगेगा। इसके अलावा भारत को यूरोपीय संघ , नाटो एशियाई व्यापार संघ , आर्थिक सहयोग एवं विकास संघ,जी -8 , अरब लीग, पेटोलियम निर्यातक देशों का संगठन , रेडक्रॉस , राष्टमंडल , गुटनिरपेक्ष देशों व स्वतंत्र देशो के संगठन से भी कहना चाहिये कि वह उसे समर्थन न दे। जिससे उसपर अन्य देशों का दबाब बने और वह आतंक की राह छोड कर विकास की बात करे।
पिछले वर्षां से पाकिस्तान की नीति में काफी बदलाव आये है और इसका जीता जागता प्रमाण है भारत के प्रति वहां के मीडिया द्वारा दुष्प्रचार करना व घाटी में असुरक्षा का माहौल अपने आतंकी भेजकर करवाना। वह अपने देश के आतंकवाद का सर्मथन करता है, बच्चों की मौत पर पूरी दुनिया से सहानुभूति की उम्मीद रखता है लेकिन उसके द्वारा पल रहे आतंकी पूरी दुनिया में जो कर रहें है उसे अच्छा लगता है। ऐसे देश के साथ किसी भी देश को व्यापार नही करना चाहिये जो आतंक को पोषित करता हो। भारत ने पहल की है और उसके साथ साथ कई देशों ने इस कदम की सराहना करते हुए अपने यहां इस काम को अंजाम दिया है, आज एशिया के बहुत से देश उससे व्यापार करने से परहेज कर रहें है। विश्व व्यापार संगठन को चाहिये वह भी इस बारे में बेहतर कदम उठाये और व्यापारिक प्रतिबंध लगाये क्योंकि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है वह पूरी दुनिया के लिये घातक है और नुकसान करने वाला हैं।
भारत को प्रयास करना चाहिये कि यूरोपीय संध इस मामले में उसकी मद्द करे, पाकिस्तान के ढेर सारे नागरिक यूरोप के कई देशों में रह रहें है और वहां वह संदिग्धों की सूची में है, सबसे खास बात यह है कि इनके कारण पूरे इस्लाम को एक गलत नजरिये से देखा जा रहा है।शरणार्थियों के रूप में आये युवा मुसलमानों को कोई देश अब शरण नही देना चाहता । उनका मानना है कि अगर इन्हें शरण दी गयी तो यह यहां भी गंदगी फैलायेंगे वह देश की शांति भंग करेगें। इसका कारण विश्व में इस्लाम का बढता कू्रर व्यवहार है। भारत को चाहिये कि वहां के देशों से सीघी बात करे ,कि पाकिस्तानियों को वहां से निकाल करे उसे एक नसीहत दे ताकि वह आतंकवाद की राह छोडकर सही राह पर चल सके। रेडका्रस सोसायटी से कहे कि वहां की जमीन पर अपनी मद्द न भेजें। अरबलीग ,जी आठ, राष्टमंडल व गुटनिरपेक्ष देशों में पाकिस्तान को शामिल करने पर रोक लगाने की पहल करे। यही वक्त है जब उसे और प्रयास की जरूरत है और कश्मीर मामले पर पीओके को लेकर आगे बढाने की बात करनी चाहिये। इसमें शक नही पीओके भारत का अभिन्न है और पाकिस्तान को उसे छोडना ही पडेगा ।
भारत सरकार को एक और मसले को अपने साथ जोडना चाहिये वह है सिंध प्रात के लोगों की वापसी का मामला, सिंध प्रांत में हिन्दूओं की बहुत दुर्दशा है और भारत के राजनेता इस मामले पर आज तक नही बोले , विश्व मानवाधिकार संगठन में इस बात की पुरजोर कोशिश करनी चाहिये कि वहां के हिन्दूओं का दमन न हो। बेचारे हिन्दू किसी तरह पाक से बीजा लेते है और फिर अपने पाकिस्तान में वापस नही जाते। इतना ही नही वह इस बात की परवाह भी नही करते कि अगर बीजा के बिना हिन्दुस्तान में रहेगें तो जेल में रहना पडेगा । उनका जबाब यही है कि यहां की जेल पाकिस्तान में रहने से ठीक है । इस बात से पता चलता है कि किस हद तक हिन्दूओं का दमन वहां हो रहा है। ऐसे लोगों का एक बडा जमावडा गुडगांव के ब्रिजवासन में देखा जा सकता है जो स्थानीय लोगों की मद्द से परिवार समेत जीवन बिता रहे है या अपना सबकुछ छोडकर भारत में रेडी लगाकर अपना गुजारा कर रहें है।
सही मायने में देखा जाय भारत का बंटवारा ही हिन्दू मुसलमान के नाम किया गया था कि हिन्दू भारत में और मुसलमान पाकिस्तान में रहेगें लेकिन राजनेताओं ने परिभाषा बदल दी , भारत ने सर्व धर्म संभाव के रास्ते पर चलने का फैसला और अपना लिया लेकिन पाकिस्तान तो मुस्लिम राष्ट ही रहा । अब भी वहां किसी और धर्म के अनुयायी को सुरक्षित रहने का अंदेशा बरकरार है । मुसलमान ही क्यों वह तो मुसलमानों के दो फाड कर रहा है सुन्नी वर्ग का वर्चस्व है और शिया वर्ग मारे जा रहे है। अल्लाह के दरबार को भी नही मानते , मस्जिदों में विस्फोट कराते है। कुरान की आयते नही मानते और मुसलमान होने का दावा करते है जिससे पूरे विश्व का मुसलमान बदनाम हो रहा है। ऐसे लोगों से जो किसी के साथ रहने को तैयार न हो, उन्हें छोड देना ही बेहतर है उनके साथ संबंघ नही रखना चाहिये।
उपरोक्त लिखी सभी बातों पर गौर किया जाय तो विश्व में बढते आतंक वाद के लिये जिम्मेदार पाकिस्तान पर यह एक ठोस कारवाई हो सकती है कि उससे संबंघ खत्म कर लिये जाय। मानवाधिकार संघ इस बात पर गौर करे कि पाकिस्तान में किसी समुदाय पर दमन की नीति तो नही चल रही है । इस बात पर भी गौर किया जाय कि पाक ने जो भारत का हिस्सा दबा रखा है और बलूचिस्तान पर कब्जा कर रखा है उसे तत्काल मुक्त करने की दिशा में कदम उठाया जाय क्योंकि अब कोई देश किसी भी देश पर कब्जा नही कर सकता और करता है तो उसे उसका दंड मिलना ही चाहिये।