भारत में पारसी और जैन समुदाय की आबादी में भारी गिरावट आई है।साल 1950 से 2015 के बीच देश की जनसांख्यिकी में हुए बदलाव पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार पारसी समुदाय की आबादी में 85 फीसदी तक की कमी देखी गई है।पारसी और जैन समुदाय के अलावा बाकी सभी अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ी है और सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मुसलमानों की संख्या में देखी गई है। वहीं, हिंदुओं की आबादी में 7.82 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपनी ताजा रिपोर्ट में देश की रिलीजियस पॉपुलेशन शेयर को लेकर ये खुलासे किए हैं।रिपोर्ट में कहा गया कि पारसी धर्म के लोगों की संख्या में 85 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। 1950 में इनकी संख्या देश की कुल आबादी का 0.03 फीसदी हिस्सा थी, जो 2015 में घटकर 0.004 फीसदी रह गई।जैन समुदाय की आबादी में भी भारी गिरावट देखी गई है।देश की कुल आबादी में इनकी हिस्सा घटकर 0.36 फीसदी रह गया है, जबकि साल 1950 में यह आंकड़ा 0.45 फीसदी था, जो 2015 में 0.36 फीसदी हो गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि साल 1950 से 2015 के बीच 65 सालों में मुस्लिम आबादी 43.15 फीसदी बढ़ी है। 1950 में भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या देश की कुल आबादी का 9.84 फीसदी हिस्सा थी, जो 2015 में 14.09 फीसदी हो गई।हिंदुओं की बात करें तो 65 सालों में उनका शेयर घटकर 78.06 फीसदी रह गया।1950 में भारत में 84.68 फीसदी हिंदू रहते थे और 2015 तक इनके पॉपुलेशन शेयर में 7.82 फीसदी की कमी आई है।
रिपोर्ट के हिसाब से देश के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों- सिख, बौद्ध और ईसाइयों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। देश की सिख और ईसाई धर्म की आबादी में 6 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।ईसाई समुदाय के पॉपुलेशन शेयर में 1950 से 2015 के बीच 5.38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 1950 में उनकी आबादी 2.24 थी, जो 2015 में बढ़कर 2.36 फीसदी हो गई।सिखों की जनसंख्या में 6.58 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। 1950 में देश में 1.24 फीसदी सिख रहते थे, जो 2015 में बढ़कर 1.85 फीसदी हो गए। बौद्ध समुदाय का पॉपुलेशन शेयर 0.05 फीसदी से बढ़कर 0.81 फीसदी हो गई है।
देश में पापुलेशन एक गंभीर मुद्दा है नई सरकार इसे रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाती है यह आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन जिस तरह से मुस्लिमऔर ईसाई की संख्या बड़ी है ।अल्पसंख्यकों की संख्या में इजाफा हो रहा है उससे हिंदू समाज विघटित हो रहा है ।हिंदुओं का शेयर भी गिर रहा है। जिस पर गंभीरता से विचार करना होगा।