केन्द्र सरकार को मर्यादा पुरूषोतम राम व भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के साथ साथ महात्मा बुद्ध के रहस्यस्थली को पर्यटन हब के रूप में विकसित करना चाहिये क्योंकि यही भारत की पहचान है और इस पहचान के साथ ही भारत को विश्व में उतरना भी चाहिये। इससे कई काम होगें विश्व में एक संदेश जायेगा और सबसे बडी बात यह कि हमारे संस्कार व रीति रिवाज विश्व का एक हिस्सा बनेगें।
सबसे पहले हम भगवान कृष्ण की बात करते है, राधेय का नाम सभी को पता है और हरे रामा हरे कृष्णा से पूरा विश्व परिचित भी है। पूरे विश्व में भगवान श्रीकृष्ण की गूंज है उनके बड़े बड़े मंदिर है और गीता की बातें भी वहां होती है। वहां के लोग यह जानते है कि उन्होने महाभारत की लडाई में पांडवों के पूरे परिवार को मारवा डाला , लेकिन क्यों मरवाया , क्या संदेश था इस बात को नही जानते। उन्हें इस बात को समझाने की जरूरत है और यह उनकी समझ में तब आयेगा जब वह भारत आयेगें और महाभारत के कार्यकाल की घरोहरें कुरूक्षेत्र में जायेगे व देश के उन स्थानों का भ्रमण करेगें जो कि उस काल से धटनाओं से जुड़ी है। इसके अलावा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा , उनकी लीलाओं का क्षेत्र गोकुल , बरसाना , वृन्दावन जहां उनका बचपन बीता , गोर्बधन पर्वत जिसे उन्होने उठाया , द्वारिका जहां उनकों अपनी रासलीलायें की और विराजमान रहे, उनके बड़े भाई बलराम की गुफा देखेगें। इन स्थानों को देखने के बाद, जब अपने देश में वापस लौटेगें तो यहां की बाते वहां बतायेगें, इससे पूरे विश्व में एक नया संदेश जायेगा और भारत की वैचारिक स्थित भी मजबूत होगी ।
इसी तरह से मर्यादा पुरूषोत्तम राम का भी प्रचार करना होगा ,अयोध्या, इलाहाबाद , सरयू , चित्रकूट, पंचवटी, रामेश्वर आदि को प्रचारित करना होगा व दार्शनिक स्थल के रूप में विकसित करना होगा। विदेशियों को उनके बारे में बताना होगा खासतौर से पूरे अरब देशों को , क्योंकि यही सबसे ज्यादा अमर्यादित है। रामायण , रामचरित मानस व वेद पुराणों की क्या महत्ता है यह बात यहां प्रचारित करना होगा। वहां के देशों में इसे शिक्षा के तौर पर शामिल किया जाय इसके लिये केन्द्र सरकार को प्रयास करने होगें क्योंकि जो त्याग भगवान राम ने अपने बड़ो के लिये किया , उसकी जरूरत अरब देशों को है सभी मुस्लिम देशों को है। माता सीता का चित्रण वहां की महिलाओं को करने की जरूरत है।भगवान राम के दार्शनिक स्थलों को वेबसाइट के रूप में विकसित कर पूरे विश्व में चर्चित किया जाना चाहिये। यह बताना चाहिये कि भगवान राम के राज्य का विस्तार कहां तक था। आज की श्रीलंका उस समय सोने की लंका थी जिसे उन्होने रावण को मारकर फतेह किया था। इसी तरह भगवान बुद्ध के दार्शनिक स्थलों को भी विकसित किया जाना चाहिये क्योंकि विश्व के सबसे बड़े जनसंख्या वाले देश चीन के वह आराध्य है और अगर वह सिर्फ यहां के धरोहरों व स्थलों को देखने आने लगे तो सबसे बडा पर्यटन हब बन सकता है।भगवान बुद्ध त्याग की मूर्ति थे और उन्हें जो ज्ञान मिला उसका पूरा विश्व लोहा मानता है।कौशाम्बी ,सारनाथ , बोधगया , बलरामपुर समेत कई स्थल जो कि भगवान बुद्ध से जुड़े है उन्हें विकसित करना होगा । इस पूरे मामले में जापान , तिब्बत व चीन भारत की मद्द कर सकते है।इस काम को आगे बढाने की पहल करनी चाहिये। यह सच है कि कुछ प्रयास हो रहा है लेकिन घोषणाओं से कुछ नही होगा , कार्य करना होगा और लोगों को करके दिखाना होगा कि आपके अंदर कितनी आस्था है और इस बात को लोगों के अंदर कितने दिन में आप विस्तारित कर लेते है।
इस मामले में आज की केन्द्र सरकार ने कुछ काम किया है, विश्व के कई हिस्सों में भगवान राम व कृष्ण के मंदिर के बन रहें है और सबसे अच्छी बात यह है कि वहां की सरकार ही जमीन दे रही है और वहां के मौलवी या फादर उनके शिलान्यास में हिस्सा ले रहें है । पूरे देश की सहभागिता है और सबसे खास बात यह कि वहां की सरकार उसे महत्व भी दे रही है। यह इस बात की ओर इंगित करता है कि परिवारवाद व त्याग की परम्परा को अब पूरा विश्व अपनाना चाहता है और अपने देश को शांति के पथ पर ले जाना चाहता है किन्तु भारत में इन सभी मामलों पर कुछ नही हो रहा है। उत्तर प्रदेश में अब तक की रही सरकारों में भाजपा की कल्याण सिंह सरकार को निकाल दिया जाय तो किसी ने हिन्दूओं के लिये कुछ नही किया , भगवान राम , भगवान कृष्ण व भगवान बुद्ध को लेकर कोई काम नही किया गया जबकि उत्तर प्रदेश में अगर इसे दार्शनिक स्थल के रूप में विकसित किया जाता तो आज रोजगार की हालत यह नही होती , पूरा प्रदेश खुशहाल होता।
जहां तक केन्द्र सरकार की बात है तो उसने सदैव से इस काम के लिये पैसा दिया लेकिन उसे अम्बेडकर व कांशीराम को भगवान का दर्जा देने के लिये प्रयोग में लाया गया। यदुवंशी शासन में है लेकिन भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों के लिये कुछ नही किया गया। वह उसे खुद खत्म करने पर तुले है। जो कोई हिन्दू भगवानों के बारे में बोलता है तो वहां की सरकारें इस तरह का व्यवहार करती है मानो उसमें काम करने वाले लोग भारतीय न होकर अरब से आयतित किये गये हो। पूरे प्रदेश का वजूद नष्ट हो रहा है और प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि कर रही है। ऐसे हालात उत्तर प्रदेश ही नही पूरे देश में है।