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राम मन्दिर केवल चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि सतत आस्था का प्रतीक है
भगवान श्रीराम ने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में कभी मानवीय मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। राजा, पुत्र, भाई, शिष्य और समाजसेवक के रूप में उन्होंने मानवीय मर्…