उत्तर प्रदेश में धर्म वापसी शुरू

प्रदेश में जौनपुर के डेहरी गांव में 36 मुस्लिम परिवारों ने अपने नामों में बदलाव करते हुए हिंदू सरनेम जोड़ लिया है। उनका दावा है कि उनके पूर्वज ब्राह्मण और क्षत्रिय थे, जिन्होंने करीब सात से आठ पीढ़ी पहले धर्म परिवर्तन किया था। उन्होंने बताया  कि इस कदम का उद्देश्य अपनी जड़ों और पहचान से जुड़ना है।

इन परिवारों का मानना है कि विशाल भारत संस्थान ने उन्हें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों की ओर वापस लौटने के लिए प्रेरित किया। इनमें से एक परिवार के सदस्य नौशाद अहमद अब खुद को ‘नौशाद अहमद दुबे’ के नाम से पहचानते हैं। उनका कहना है कि उनके दोस्त उन्हें हमेशा पंडित जी कहकर बुलाते रहे हैं और अब उन्होंने भी अपने पूर्वजों की पहचान से जुड़ते हुए अपना नाम बदल लिया है।

कुछ महीने पहले जब असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया गया, तो इन परिवारों ने अपने पूर्वजों के बारे में और जानकारी जुटानी शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि उनके पूर्वज हिंदू थे और आजमगढ़ के मगरावा गांव से डेहरी गांव में आकर बस गए थे। इसके बाद इन परिवारों ने अपने नाम के साथ ‘दुबे’ सरनेम जोड़ लिया। इन परिवारों का मानना है कि इस पहल से गांव में आपसी सौहार्द और एकता को बढ़ावा मिला है। डेहरी गांव में लगभग 5000 लोग रहते हैं, जिनमें से तीन हजार मुस्लिम परिवार हैं। इस पहल से समुदाय में सामंजस्य का वातावरण बना है।

गांव के नौशाद अहमद दुबे का कहना है कि उन्होंने दो साल पहले अपने नाम में ‘दुबे’ जोड़ने की शुरुआत की। वे बताते हैं कि विशाल भारत संस्थान के राजीव गुरुजी की प्रेरणा से उन्होंने यह कदम उठाया। अब वे जल्द ही जिला प्रशासन को पत्र देकर अपने दस्तावेजों में भी नाम में ‘दुबे’ जोड़वाने की योजना बना रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि इस बदलाव का उनके बच्चों पर कोई दबाव नहीं है, जैसा उनके माता-पिता पर नहीं था।

नौशाद अहमद की भतीजी की शादी हाल ही में हुई थी, और शादी का कार्ड छपने पर उसमें उनका नाम ‘नौशाद अहमद दुबे’ के रूप में छपा था। इसके बाद ही गांव के 36 मुस्लिमों ने अपने नाम में हिंदू सरनेम जोड़ने की बात साझा की, जो पूर्वजों से जुड़ने का प्रतीक बन गया है। नो शाद का मानना है कि जब और लोग अपनी पहचान से जुड़ने के लिए इस पहल को अपनाएंगे, तो इससे समाज में कोई भी विवाह संबंधी समस्याएं नहीं आएंगी। वे कहते हैं कि जब सभी लोग अपने पूर्वजों का सम्मान करेंगे और अपना नाम बदलेंगे, तो समाज में बदलाव और सहयोग बढ़ेगा।

इस बार महाकुंभ में वापस लौट भी इसी तरह की कुछ गतिविधियों होने वाली है। सनातन धर्म छोड़कर गए कई लोग सनातन धर्म में वापस आ रहे हैं जिसका संत महात्माओं ने स्वागत किया है। कई महात्माओं ने तो इसके आयोजन के लिए एक विशाल तैयारी भी कर रखी है। इससे पता चलता है कि उत्तरप्रदेश में कायाकल्प हो रखा है जो आने वाले समय में देश को एक नई दिशा देगा।

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