रिजर्व बैंक ने भारत की अपनी डिजिटल करेंसी लांच कर दी है लेकिन सवालों के भीड़ के बीच सबसे पहले यह जान लेने की जरूरत है कि भारत की डिजिटल करेंसी वैसी क्रिप्टोकरंसी नहीं है जैसी बिटकॉइन लाइट कॉइन रिप्पल और एथेरियम आदि हैं ।
यह अलग तरह की डिजिटल मुद्रा है जो सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की श्रेणी में आती है यानी किसी भी देश के प्रधान बैंक की तरफ से जारी की गई गारंटी सुधा करेंसी। यह अलग नहीं है बल्कि भारत की मुद्रा यानी रुपए का ही डिजिटल रूप है यह कोई अलग एसिड भी नहीं है जैसे कि सोना जमीन या शेयर होते हैं जिसकी कीमत बाजार की स्थितियों पर निर्भर करती हो या घटती बढ़ती रहे तो फिर यह है क्या इसे समझने की जरूरत है।
डिजिटल करेंसी रुपया ही है लेकिन कागज या पॉलीमर के रूप में नहीं बल्कि एक अलग रूप में यानी इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल स्वरूप में हर एक डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किया जाएगा उसके दस्तावेज में दर्ज होगा और उसकी 100% कीमत अदा करने की गारंटी भी आरबीआई की तरफ से दी जाएगी अगर आपके पास ₹10000 की डिजिटल करेंसी है तो इसका मतलब यह हुआ कि आपके पास ₹10000 हैं लेकिन एक अलग स्वरूप में इन इन रूपों को डिजिटल वायलेट में रखा जा सकेगा यह सरकार की तरफ से जारी किया गया वैसा ही डिजिटल ऐप होगा जैसे कि डिजिटल कर है अब हमारी मुद्रा या तो कागज के रूप में इस्तेमाल की जा सकेगी या फिर डिजिटल रूप में यानी ऐसा नहीं होगा कि आपके घर में ₹10000 के नोट रखे हैं और मोबाइल पर भी ₹10000 की डिजिटल करेंसी मौजूद है।
बैंकों के पास ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा जिसके जरिए आप अपने रूपों को बैंक अकाउंट और अपने डिजिटल वायलेट के बीच स्वतंत्रता से ट्रांसफर कर सकेंगे इसी तरह से दो लोग आपस में लेनदेन कर सकेंगे और कारोबारी ठिकानों के साथ-साथ भी यह संभव हो जाएगा अब सवाल यह है कि बिटकॉइन से कैसे अलग है इसका रिजर्व बैंक बड़ा विरोध ही रहा है ज्यादा तक क्रिप्टोकरंसी के जारी होने वाले निजी लोग हैं या फिर निजी संस्थान ना कि बैंक या सरकारी जो उनकी कीमत की गारंटी ले सके यहां पर रिजर्व बैंक की गारंटी है।
यह नेट बैंकिंग से ऐसे अलग है कि इसका सेटलमेंट तुरंत होगा जैसे रूप्यों का होता है इधर दिया उधर लिया क्योंकि इसमें ब्लॉक चैन तकनीक का प्रयोग हो रहा है। हर एक रुपया प्रमाणित है और उसका स्वतंत्र संप्रभुत्व अस्तित्व है ।नेट बैंकिंग में कई बार आपको सूचना मिलती है कि आपका ₹300000 के ट्रांसफर में दो या दो से ज्यादा दिन भी लगा सकते हैं तो वही आने वाले समय में संभव है कि आप बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के भी स्वदेशी डिजिटल करेंसी का प्रयोग कर सकें ।पारंपरिक बैंकिंग के तुलना करें तो बैंक ड्राफ्ट बनवाने, चेक जारी करने ,उनके बाउंस होने, हस्ताक्षर मिलान न होने ,अकाउंट में धन के बिना चेक दे दिए जाने, ड्राफ्ट चोरी हो जाने और ऐसी अनेक दूसरी सुविधाओं तथा वक्त की सीमाएं खत्म हो जाएंगे लेकिन लेनदेन डिजिटल और त्वरित हो जाएगा।
फिलहाल इसके लिए आपको इंतजार करना होगा। हमारी डिजिटल करेंसी ,बिना किसी तकनीकी दिक्कत के जारी तो हो गई है लेकिन फिलहाल इसका इस्तेमाल कुछ बड़े बैंकों तक ही सीमित है जिनके बीच लाखों करोड़ों रुपए तथा प्रतिभूतियों का आपसी लेनदेन करने पर करोड़ों की रकम खर्च हो जाती है।
फिलहाल चुनिंदा बैंकों में सीबीडी अकाउंट बनाए गए हैं और जिन्हें आरबीआई संचालित कर रही है। बैंक पहले अपने खर्च चालू खाते से इस खाते में धन ट्रांसफर करेंगे और फिर एक दूसरे के साथ लेनदेन करेंगे ।यह अभी पहले चरण है अगले चरण में यह मुद्रा सामान्य जन तक पहुंचेगी लेकिन इसके लिए हमें पायलट योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा होने का इंतजार करना होगा।