राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की घोषणा आज से 90 वर्ष 6 माह 3 सप्ताह और 6 दिन पूर्व 27 सितम्बर, 1925 को विजयादशमी के दिन डा. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने अपने घर पर बुलायी गयी एक सभा में की और इसकी स्थापना का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। मेरा यह बताने का तात्पर्य मात्र इतना है कि संघ की स्थापना तब हुई जब देश परतन्त्रता की बेडियों में जकड़ा हुआ था और राष्ट्रीयता की आग जनता के दिलों में धधक रही थी। संघ ने जनता की उसी आग को हवा देने का प्रयास किया। 1955 में गोवा मुक्ति संग्राम में संघ के कार्यकर्ताओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2 अगस्त 1954 को दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराकर उसे भारत सरकार को सौंपने का राष्ट्रस्तरीय कार्य संघ के इन्हीं कार्यकर्ताओं द्वारा सम्पादित किया गया। 1962 के चीन युद्ध में भी सेना की सहायता तत्परता से की और जनरल करियप्पा ने संघ शाखा को सम्मानित किया। 1965 में भारत पर पाकिस्तानी आक्रमण के समय तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने सर्वदलीय सम्मेलन में गुरुजी को सहभागिता का निमन्त्रण दिया जिसे स्वीकार करते हुए गुरुजी ने इस विषम परिस्थिति में पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन दिया और 22 दिनों तक स्वयंसेवकों ने दिल्ली में यातायात नियन्त्रण जैसे नगरीय कार्यों में सहभागिता निभाई। इतना ही नहीं संघ के इन्हीं सामाजिक कार्यों से प्रेरित होकर प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वयंसेवकों को गणतन्त्र दिवस की परेड में भी शामिल किया।
परन्तु देश की परिस्थितियों में परिवर्तन हुआ और कांग्रेस को सत्ता की इतनी कुत्सित ललक लग चुकी थी कि वह सत्ता प्राप्ति के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार थी। इसका वीभत्स उदाहरण जनता आपातकाल के रूप में देख चुकी थी। संघ राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूल पाया था अतः देश को अनाचार और भ्रष्टाचार की विभीषिका से बचाने के लिए उसे राजनीति में सक्रियता से आना पड़ा। बस यहीं से संघ के प्रति कांग्रेस की कटुता उभरने लगी। जनसंघ के अस्तित्व में आने के पश्चात कांग्रेसी नेताओं की नींद उड़ने लगी। संघ की यह राजनीतिक इकाई अपना प्रभाव बढ़ा रही थी और देश के सम्मुख निरन्तर प्रशासन की तानाशाही को उजागर करने लगी। उसी काल से संघ और उसके अनुषंगी संगठनों का शूल कांग्रेस के हृदय को कचोटता रहा। और कांग्रेस की वितृष्णा का वह रूप आज इतना विकृत हो गया है कि वह संघ और भारतीय जनता पार्टी को कोसते-कोसते राष्ट्रविरोधी तत्वों तक से मेल-जोल में परहेज नहीं करती। उसे संघ और भारत राष्ट्र में अन्तर ही नहीं प्रतीत होता।
2008 के मालेगाँव बम-विस्फोट में भी वही कहानी दुहराई गयी। उसमें सम्मिलित अपराधियों के नाम काटकर संघ के कुछ लोगों के नाम जोड़ने के लिए एनआईए को विवश किया गया। महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस चीफ के.पी. रघुवंशी मालेगाँव ब्लास्ट की जाँच कर रहे थे जिन्होंने बताया था कि इस केस में सिमी के कुछ सदस्य और कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी लिप्त थे। और सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की थी बाद में कांग्रेस सरकार के दबाव एनआईए ने उसे बदलकर दूसरी चार्जशीट दाखिल की ताकि संघ को बदनाम किया जा सके।
अब कांग्रेस सरकार के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मन्त्री कह रहे हैं कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने उनसे मिलकर संघ के उन कार्यकर्ताओं को छोड़ने का अनुरोध किया था जो कथित तौर पर ब्लास्ट में लिप्त थे। यहीं से कांग्रेस की नीयत का खोट फिर उजागर हो जाता है। सर्वप्रथम तो यह कि संघ का कोई कार्यकर्ता ऐसे अमानवीय कार्य कर ही नहीं सकता और दूसरी बात, यदि इस प्रकार का अमानवीय कार्य कोई करता है तो वह संघ की विचारधारा का पोषक नहीं हो सकता। दोनों ही स्थितियों में, क्या इन मन्त्री महोदय का दायित्व यह नहीं बनता था कि अपराधियों को संरक्षण देने वाले लोगों का नाम प्रकाश में लाते और देश को बताते कि ये नेता अपराधियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि मन्त्री महोदय तब चुप रहे तो इसका अर्थ है कि उन्होंने देश की अस्मिता से समझौता किया था। और यह तो मात्र एक उदाहरण है जो प्रकाश में आया है। ऐसी न जाने कितनी अन्य परिस्थितियों में भी ऐसे कांग्रेसी नेताओं ने समझौता किया होगा यह तो छिपे हुए तथ्यों के प्रकाश में आने के पश्चात ही पता चल पायेगा।
अब देश की जनता को भी समझना होगा कि क्यों कांग्रेस और उनके विरोधी विचारधारा वाले लोग भी एक ही स्वर में भारत को सिरमौर बनाने का स्वप्न देखने वाले संघ और बीजेपी के विरुद्ध एकजुट होकर खड़े हो रहे हैं। उन्हें भय है कि उन्होंने विगत समय में अपनी सत्ता के समय जो देशविरोधी कार्य किए और जनता का अनेक माध्यमों से शोषण किया, उसे उजागर करने तथा सत्य को जनता के सम्मुख प्रस्तुत करने वाली एकमात्र भारतीय जनता पार्टी ही है, अतः यदि वह कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति की भावना से इसी प्रकार कार्य करती रही तो हमारी सत्ता का क्या होगा? इसी कारण वह ऐसे अपराधियों की भाँति कार्य कर रही है जैसे किसी निर्दोष को फंसाने के लिए उसके घर में कोकीन की पुड़िया रख दी जाती है क्योंकि सत्यमार्ग के अनुगामी की चारित्रिक दृढ़ता के कारण उसे दोषी सिद्ध कर पाना अत्यन्त कठिन है। अतः अब कांग्रेस मोदी सरकार को कलंकित करने के प्रयास में कोकीन की पुड़िया से खेल रही है जो कभी न कभी उसी के गले का फाँस बन जायेगी। बेहतर होगा कि कांग्रेस ऐसी आग से खेलना बन्द कर दे अन्यथा वह स्वयं होलिका की भाँति जलकर भस्म हो जायेगी और देश कृष्ण की भाँति सदैव सुरक्षित रहा है और रहेगा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी संघ के आदर्शों की वाहक है और वह अपनी आखिरी साँस तक देश की किसी क्षति को कभी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।