संजय सिंह को सोच समझ कर बोलना था।


पिछले कुछ दिनों राममंदिर केा लेकर काफी बातें सामने आ रही है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह का आरोप है कि इसमें धांधली हो रही है। लेकिन इस आरोप में सबसे खास बात यह है कि संजय सिंह राममंदिर के बारे में कुछ नही जानते , आबो हवा से परिचित नही है और जब वह जवान रहें होगें तो कल्याण सिंह सरकार ने इस राममंदिर के लिये अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस्तीफा दिया तो तीन और सरकारों की बलि ब्याज के तौर पर ले ली गयी। वैसे संजय सिह को अंधेरे में तीर चलाने की आदत है। राममंदिर मामले पर भी एैसे ही हो रहा है।इसलिये अब जरूरी हो गया है कि अन्ना हजारे के कार्य का जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने लाभ उठाया राम मंदिर मुद्दे पर एैसा कुछ न हो।

अब बात करते है जिन पर आरोप लगाया है उन चंपत राय जी की । क्या ऐसे ही किसी ऐरे,गैरेको विहिप का सर्वे सर्वा बना दिया जाएगा? या,फिर रामजन्म भूमि ट्रस्ट का महासचिव ? लो आज जानो कौन हैं चम्पत रायजी.जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय 1975 इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है। पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है।प्रोफेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये में बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊँगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे अतः वे लौट गए। क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे, माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए।


18 महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक श्री रज्जूभैया ने पहचाना और राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया।चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दिया और राम काज में जुट गए। वे अवध के गाँव गाँव गये हर द्वार खटखटाया। स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी। अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया। उन्हें अवध का इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया उपनाम से बुलाने लगे।

बाबरी विध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर डॉक्यूमेंटल एविडेंस् जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे। ढांचे को नुकसान न पहुचाने की कसमें दी जा रहीं थीं, उस समय चंपत राय जी मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे। एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा अब क्या होगा?् उन्होंने हँस कर उत्तर दिया ये राम की वानर सेना है, सीटी की आवाज पर   पी टी करने यहां नहीं आयी…ये जो करने आयी है करके ही जाएगी.इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और ढांचे की ओर बढ़ गये। फिर सिर्फ जयश्रीराम का नारा गूंजा और… इतिहास रच गया।

आदरणीय चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है। प्यार से उन्हें लोग रामलला का पटवारी भी कहते हैं,यह व्यक्ति, सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं।ढांचा ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जनसामान्य दोनो ंके सामने सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया है। चम्पत राय जी कह चुके हैं, जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की जिमेदारी निभाने को प्रेरित करनेमें जुट जाएंगे,चंपत रायजी धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखनेवाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रि में देखा तो पाया कि बैड का डायरेक्शन कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो जा रहे थे, उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था, रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए। जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवन चर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है वह श्री राम मंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है।वो लोग तो हमेशा हरामजादों की पूंछ में आग लगाने की कोशिश करते आए हैं, अंजाम तो उलट पुलट सब लंका जारी ही हुआ है।

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